Tuesday, March 3, 2015

मनरेगा 70

हरिया खुश था की अब हर दिन काम मिलेग……। रोज का काम और काम के दाम। ………।
उसका बेटा हरी परेशान था शहर जा के कितनी डिग्री ली ली कब से नौकरी खोज रहा  छोटा काम वो कर नही सकता और बड़े काम  मिलता नहीं। ................उसके लिए बड़ी सिफारिश और   किस्मत चाहिए।
मनरेगा का सही हिसाब का हरिया को और अच्छी नौकरी का हरी को इंतज़ार है. 

Monday, March 2, 2015

वैलेन्टाइन डे का फितूर


             वैलेन्टाइन डे का फितूर
 जितना भोला प्रसाद सरल, भोला, सच्चा इंसान था। उतना ही चालक और झूठा था प्यार का महाजाल जिसमें एक बार जो फॅस गया तो उसका ध्यान पढ़ना छोड़कर बाकी सब बातों में रहता था। भोला प्रसाद बेचारा गाॅव आये थे  पढ़ने के लिए शुरू- शुरू में वह प्यार के मामले में खुद को बहुत असहज महसूस करते थे। 
नये वातावरण व रंग-ढंग में अपने को नहीं ढाल पाया तो क्या होगा ? प्यार ने धोखा दिया और अगर प्यार के इस संघर्ष में उसकी हार हुयी तो क्या होगा ? 
कैसे कर पायेगा सामना अपने माता-पिता का ? ऐसे हजारों सवाल उसके मन में थे। लेकिन जनाब गिरते है सहसवार मैदाने जंग में प्यार की जंग में अपने शहरी दोस्तों के प्रभाव में रहकर यही सीख लिया भोला प्रसाद ने और उन्होनें भी वैलेन्टाइन डे मनाने का फैसला कर लिया। बस अब तलाश थी एक अदद मशूका की जो उसे भी प्यार की दुनिया में जीरो से हीरो बना सके ।
इस तलाश में सर्वप्रथम बलिदान पढ़ाई हुयी और अलमारी में माँ के हाथ बने लड्डू व नमकीन का अगली बारी थी। 
अपनी रिसर्च में भोला ने सबसे पहले पता चला कि लड़कियों स्मार्ट हैन्डसम लड़के पसंद होते है पेटू और मोटू के सपने तो हर वैलेटाइन में शहीद होते है।
अभी -अभी रैंगिग से बचा था कि हवा लग गयी प्यार की पहले सीनियर  रोज कैंटीन में भोला प्रसाद की रैगिंग लेने आये थे और अब प्यार के सपने दिन-रात  आने लगे । 
 रैगिंग का तुफान तो बीत गया लेकिन अब मशूका की तलाश में भोला प्रसाद को कुछ समझ नहीं आता क्या करे ? 
जब भी भोला प्रसाद की हिम्मत टूटती या फिर वह मुश्किल में पड़ता तो उसके दोस्त दिलासा देते थे। जैसे-जैसे लड़कियों खोजने की परीक्षा की घड़ी नजदीक आ रही थी वैसे-वैसे भोला प्रसाद की कोशिशे बढ़ जाती। 
जो  भोला प्रसाद पूरी-पूरी रात पढ़ाई करता वह अब अपना सम्पूर्ण फोकस प्यार की तलाश पर लगया अब तो जो कहता-‘‘ तुम बनाओ  अपना कैरियर वह उसे प्यार के दुश्मन नजर आता  अब तो बस यही ख्याल आता कि  प्यार का अपना रंग होता है जिसमें डूबकर देखो जिन्दगी कितनी हसीन हो जाती है। यह कितना खूबसूरत एहसास है एक बार जिया जाये।
 कई लड़कियों पर बहुत ट्राई किया कभी सुमन कभी मीता तो कभी सुस्मिता सारा पैसा गिफ्ट, मोबाइल और फैशन में जाता ................बचे कुचे पैसें फिल्मों के टिकट पे जाता । आखिरकार विजयदिवस आ गया मतलब काॅलेज की वैलेटाइन पार्टी का आयोजन एक क्लब मेें किया गया। सभी जोड़ों में थे, हर एक के दिल में एक हल्का गुलाबी एहसास और हाथों में लाल गुलाब था। 
पूरा दिन तो सब छुपते-छुपाते इजहार-इनकार कर रहे थे। शाम दोस्तांे के साथ भोला प्रसाद को एक क्लब में गया ।
क्लब की रौनक, मस्ती और डांस भोला के लिए सब नया था। 
बड़े हाॅल को लाल और सफेद गुलाबों गुब्बारों और चमकीले दुपट्टों से सजाया गया था। हल्की धुन में गाना बज रहा था और माहौल में एक अजीब खुमारी थी। इस डांस और मस्ती के बीच भोला प्रसाद ने देखा कि कालेज के अधिकतर लड़के-लड़कियाँ वहाँ थे। अधिकतर लड़के-लड़कियों ने लाल कपड़े पहने हुये थे। उस पार्टी में कई तरह के कम्पटीशन थे। 
डांस, ड्रेस, मस्ती व खेल-कूद के इन कम्पटीशनों के बीच सबसे आकर्षक कम्पटीशन था मि0 एण्ड मिस0 रोज डे का............ जिसका नियम था कि वहाँ उपस्थित सभी लड़कियों में जिसे सबसे ज्यादा गुलाब  मिलेंगे वह मिस रोज बनेगी। जिसको मिस रोज गुलाब देगी वह मि. रोज बनेगा। उस कम्पटीशन के इन्तजार में भोला प्रसाद ने बहुत सारे दूसरे कम्पटीशनों में भाग लिया।
भोला प्रसाद को भी बहुत मजा आ रहा था। पहली रात ऐसी थी जब भोला किताबो और पारिवारिक जिम्मेदारियों से खुद को मुक्त महसूस कर रहा था। जिन्दगी जीने का यह नया ढ़ंग जितना शुरू में असहज लग रहा था, उतना अब उसे मजा आ रहा था। काफी लम्बे इन्तजार के बाद बारी आ ही गयी। मि. एण्ड मिस रोज प्रतियोगिता की। प्रतियोगिता का परिणाम काफी चैकाने वाला रहा।
 सबसे ज्यादा गुलाब वाली लड़की विजया ने जब हर लड़का दिल थाम कर चाह रहा था कि सोनालिका उसे गुलाब दे। तब सोनालिका ने सब लड़कों को पीछे छोड़ते हुए वह गुलाब भोला प्रसाद के हाथों में पकड़ा दिया। पूरा हाॅल तालियों की आवाज से गूँज उठा। भोला प्रसाद को मि. रोज चुन लिया था।
 सोनालिका मुस्कुरा रही थी भोला प्रसाद को यकीन नहीं आया कि सोनालिका उसको चुन सकती है। भोला प्रसाद के लिये वह रात बहुत खूबसूरत थी, वह खुद सबसे अलग, सबसे खास महसूस कर रहा था। सोनालिका का साथ पाकर भोला प्रसाद को अपनी किस्मत पर यकीन नहीं आया। वह तो खुद को इस लायक समझता ही नहीं था, कहाँ स्मार्ट, सुन्दर, अमीर, तेज-तर्राक सोनालिका और गाँव का सीधा-साधा भोला प्रसाद । उस दिन के बाद से तो सभी लड़कों को भोला प्रसाद से जलन होने लगी। 
अब तो उसके बाद से भोला प्रसाद के सब दोस्त भी दूर हो गये।
भोला प्रसाद और सोनालिका का अफसाना प्यार का पूरे काॅलेज में मशहूर हो गया ।
भोला प्यार में डूब गया और पढ़ाई को भूल गया । बस यही ख्याल रहता प्यार एक ऐसा शब्द है जो जिन्दगी में रंग भर देता है। जब इंसान किसी से प्यार करता है तो खुद तो भूल जाता है बस हर ओर प्यार ही प्यार नजर आता है। जिन्दगी की मुश्किलें आसान भी करता है तो जिन्दगी में मुश्किलें बढ़ाता है। कभी हौसलों को बढ़ाता तो कभी परास्त भी करता है। जिन्दगी प्यार के इन्हींे रूपों को याद करने में बीतने लगी।
रातें करवटों में बितने लगी पर नींद उसकी आंखों से कोसों दूर थी। मन में अजीब हलचल थी। उसे नींद भी नहीं आ रही थी। 
लेकिन भोला के प्यार पर तब वज्रपात हुआ जब भोला बी0ए0 फेल हो गया और सोनालिका मजबूर हो गयी । दोनों के घरों धमाल हो गया जब दोनों का ब्याह बिना कॅरियर गूलर का फूल हो गया और काफूर वैलेन्टाइन डे का फितूर हो गया।
साधना श्रीवास्तव

Sunday, March 1, 2015

दर्द बिकता है 69

माँ उठो.…। माँ उठो.माँ उठो  …… हम तुम्हारे बिना कैसे जीयेंगे
 उन दोनों मासूमो के रोने से किसी का   भी  दिल काँप उठता
लेकिन वक्त किसके पास था मासूमो के आँसू  पोछने का
किसी ने १० किसी ने ५ तो किसी दानवीर ने ५० का नोट डाल दिया। …।
देखते देखते रात  हो गयी।
माँ उठो.…। माँ उठो.माँ उठो  …… रात हो गयी

एक झटके से वो महिला उठ बैठी। …आज कितने की कमाई हुयी
माँ आज तो रोज से ज्यादा की कमाई हुयी क्यो……
गिल्सरीन की शीशी अंदर रखते हुए बेटी ने पूछ लिया। ।
माँ ने कहा ---क्योंकि दर्द बिकता है.।
गरीब की मदद करे लेकिन भीख न दे देश के होनहार बच्चों  को गलत राह पर न जाने दे