Sunday, November 15, 2015

सपनों को सच करने का रास्ता बताती हिन्दी भाषी युवक के सफलता की कहानी मंजिले 9-10

सपनों को सच करने का रास्ता बताती हिन्दी भाषी युवक के सफलता की कहानी मंजिले 9


दीपक का व्यक्तित्व पूरी तरह बदल चुका था। उसके सारे इमोशन खत्म हो चुके थे। दीपक अब तक पूरा प्रेक्टिकल इंसान बन चुका था। कब किसके आगे क्या कहना है ? वह सब जानता था। सबकी भावनाओं से खेलना और अपना काम निकालना उसे अच्छे से गया था। दो साल के मीडिया के कोर्स के दौरान दीपक का यह अच्छे से समझ गया था कि इस लाइन में लक और टैलेन्ट के साथ लिंक भी जरूरी है। इस बार उसका पूरा फोकस रिजल्ट पर था। सच-झूठ मेहनत सब का समावेश कर परीक्षा दी परिणाम उसका अच्छा रिजल्ट था।
रिजल्ट तक तो ठीक था......... लेकिन बात जब जाॅब की आयी तब फिर एक अंधकार था। उसने सभी बड़े न्यूज पेपर और चैनलों में अपना बायोडाटा भेज दिया। अपने कालेज लाइफ के सारे परिचित सीनियरों को भी अपना बायोडाटा भेज दिया। कुछ महीनों के इन्तजार के परिणाम स्वरूप एक सीनियर ने अपने परिचय से एक लोकल चैनल में उसकी इन्र्टनशिप लगवा दी। यह एक माह का प्लेटफार्म दीपक के लिए काफी नहीं था। उसने लोकल चैनल में काम करते-करते पता किया कि शहर का एक ऐसा क्लब है जहाँ प्रायः चैनलों के रिपोर्टर, एडीटर जाते थे। दीपक ने उस क्लब की मेम्बरशिप ज्वाइन कर ली। दो महीने के भीतर ही उसने बहुत से रिपोर्टरों से दोस्ती कर ली। उन्हीं दोस्तों में एक नाम अनुष्का कोहली का था।
अनुष्का एक बहुत बड़े चैनल में सीनियर एंकर थी वह पिछले पाँच सालों से मीडिया लाइन में थी।
अनुष्का नाम सोनालिका से काफी मिलता-जुलता था।
चाहते हुये बार-बार दीपक उसकी ओर आकर्षित होता।
सोनालिका के जाने के बाद से दीपक को लड़कियों और प्यार से नफरत हो गयी थी। अनुष्का थोड़ी इमोशनल नेकदिल स्वभाव की थी।
धीरे-धीरे दीपक ने अपनी सफलता की रास्ते की सीढ़ियों में अनुष्का को शामिल कर लिया।
वह जानता था कि इन शहरी लड़कियों को बस लड़कों के थोड़ी मौज-मस्ती पसंद होती है।
दीपक ने अनुष्का से करीबी बढ़ाना शुरू कर दिया। वह हर शाम क्लब में ज्यादा से ज्याद वक्त अनुष्का के साथ गुजारता। अनुष्का की सारी पसंद-नापसंद की उसने लिस्ट बना ली। वह हर काम अनुष्का के लिए, अनुष्का की पसंद से करता। मजेदार बातों से सबका दिल जीत लेता।
धीरे-धीरे अनुष्का दीपक को पसंद करने लगी। अगले दिन एक बार फिर वेलेन्टाइन डे पड़ा। उस रात 12 बजे ही दीपक ने अनुष्का को मैसेज भेजे। वह रात में अनुष्का से अकेले में मिलना चाहता था।
अनुष्का खुद लम्बे समय से दीपक से अपने मन की बात कहना चाह रही थी।
इजहारे मोहब्बते के बाद तो दीपक को लगा कि उसने अपनी मंजिल पा ली। उसका मकसद अनुष्का नहीं बड़े चैनल में नौकरी पाना था। एक दिन अनुष्का ने पीछे से दीपक की आँखें बंद करते हुये गालों पर एक किस किया तो दीपक अंदर तक हिल गया वह इस तरह के रिश्तों के लिए तैयार था। उसने उठकर जाना चाहा तो अनुष्का भागकर उसकी पीठ से चिपक गयी। एक-दूसरे को गले से लगाये कब अनुष्का और दीपक के बीच की सारी दूरियां मिट गयी इसका एहसास तो दीपक को भी हुआ।
कुछ महीनों उपरान्त ही अनुष्का और दीपक दो जिस्म एक जान बन गये।
दीपक अब तक जान चुका था कि अनुष्का को उसका स्पर्श बहुत पसंद है। दीपक अब जब-जब मौका देखकर अनुष्का का हाथ पकड़ता तो कभी किस करता......... अनुष्का पूरी तरह दीपक में डूब चुकी थी।
जब दीपक को यकीन हो गया कि अनुष्का उसके बिना एक पल भी नहीं रह सकती तब दीपक ने अपना आखिरी दाँव खेला।
उसने अनुष्का को फोन किया और कहा- ‘‘अनु डार्लिंग क्या आज रात हम मिल सकते हैं।’’
‘‘हाँ, क्यों नहीं जान तुम्हें यह पूछने की जरूरत कब से पड़ गयी।’’
‘‘बस यूं ही मुझे लगा तुम्हारा बिजी शेड्यूल कहीं तुम डिस्टर्ब  हो जाओ।’’
‘‘कैसी बातें करते हो दीपक मैं तो तुम्हारे लिए हमेशा खाली हूँ।‘‘ अनुष्का ने कहा।
‘‘थैंक्स’’ दीपक ने धीमे स्वर में कहा।
‘‘कैसे बेगानों की तरह बात कर रहे हो ? क्या बात है सब ठीक तो है ना ?’’ अनुष्का ने पूछा।
‘‘नहीं तुम मेरे रूम पर जाओ। हम मिलकर बातें करेंगे....... यूं फोन पर मैं कुछ नहीं बता सकता।’’
उस शाम शो खत्म होते ही अनुष्का सीधे दीपक के रूम पर गयी।
वहाँ.......का नजारा देख अनुष्का चैंक गयी। दीपक ने सारा समान पैक कर रखा था। वह शहर छोड़ कर जाने वाला था।
अनुष्का ने आश्चर्य से पूछा- ‘‘यह क्या दीपक ? तुम ऐसे कैसे जा सकते हो ? कुछ परेशानी हो तो मुझे बताओ’’
दीपक ने मायूसी का नाटक करते हुये कहा- ‘‘क्या कहूँ अनु मैं तुम्हारे लायक नहीं। सोचा था कुछ बन जाऊँगा........... तो............ लेकिन यहाँ तो मैं इतने दिनों की कोशिशों के बाद एक अदद नौकरी भी नहीं खोज पाया। गाँव में बूढ़ी माँ और क्वाॅरी बहन है। सोचता इस तरह शहर में भटकने से तो अच्छा है कि मैं गाँव वापस चला जाऊँ। मुझे माफ कर दो अनु। तुम कोई अपने बराबर का पार्टनर खोज लो’’ अनु दौड़कर दीपक के गले लग गयी। बस इतनी सी बात तुम कल मेरे चैनल जाना। समझो तुम्हारी नौकरी पक्की।
बस फिर क्या था दीपक तो चाहता भी यही था। अगले दिन वह अनुष्का के चैनल गया वहाँ अनुष्का की सिफारिश के आधार पर दीपक को नौकरी मिल गयी।
दिन, महीने यँू ही बीतने लगे जल्दी ही दीपक भी मशहूर होने लगा। जल्दी उसने एक फ्लैट ले लिया। गाँव से माँ और छोटी बहन को भी बुला लिया।
एक सफल बेटा और कमाउ पूत को माफ करने में माँ ने भी देरी लगायी।
दो साल होते-होते दीपक ने बहन की शादी कर दी।
बहन की शादी में उसने आकाश और विजया को भी बुलाया।
अब तक आकाश और विजया भी परिणय सूत्र में बँध चुके थे। विजया से ही दीपक को पता चला कि सोनालिका का पति राहुल बहुत पैसेवाला है लेकिन वह सोनालिका को प्यार नहीं करता। आज सोनालिका के पास हर सुख-सुविधा है, ऐशो-आराम, पैसे हैं लेकिन प्यार सुकून नहीं है।
पुराने दोस्तों से मिलकर दीपक को बहुत अच्छा लगा।
जब आकाश ने दीपक से उसकी कामयाबी का राज पूछा तो दीपक आकाश से कुछ छुपा पाया। उसने पूरा सचा आकाश को बता दिया। सब सुनकर आकाश बहुत नाराज हुआ बोला- ‘‘दोस्त तुमने अच्छा नहीं किया आज तुम मेरी नजरों से गिर गये। मैं तुम्हारी बहुत इज्जत करता था, लेकिन आज मुझे यकीन नहीं आता कि जिसे मैंने अपना आदर्श माना। वह ऐसे बदल जायेगा। तुम्हारा दिल तो खुद टूट चुका है तो फिर तुम कैसे अनुष्का जी के दिल से खेल सकते हो।’’
दीपक ने लापरवाही से कहा- ‘‘तुम नहीं जानते इन लड़कियों को इन्हें प्यार नहीं पैसा सुख चाहिए। वह नारी जो त्याग की मूर्ति हुआ करती थी, वह आज वासना और पैसों की पुजारी बन चुकी है।

‘‘तुम गलत हो दीपक’’ तभी पीछे से अनुष्का की आवाज आयी। दरअसल उसने आकाश और दीपक की सारी बात सुन ली थी।

सपनों को सच करने का रास्ता बताती हिन्दी भाषी युवक के सफलता की कहानी मंजिले 10


उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे वह बोली- ‘‘तुमने एक बार कहा होता दीपक की तुमने जाॅब के लिए यह सब किया। मैं तो यूं ही तुम्हारी मदद कर देती। इस तरह मेरे दिल से खेलने की क्या जरूरत थी। अगर एक लड़की ने पैसों को प्राथमिकता दी तो तुम हर लड़की को ऐसा कैसे समझ सकते हो ? मैंने तो तुमसे सच्चा प्यार किया था। सम्पूर्ण समर्पण किया था। मेरे पास तो बहुत पैसा था बस सच्चे प्यार की तलाश थी। मैं तो तुम्हारी सादगी मासूमियत पर मर मिटी थी और तुम........... इसके आगे वह एक पल भी रूक पायी।
दीपक को अपनी गलती का एहसास था लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
वह पीछे से आवाज देता रह गया.... अनु............ अनु मेरी बात सुनो........ लेकिन अनुष्का जा चुकी थी।
आकाश विजया ने भी दीपक का साथ छोड़ दिया। माँ बहन ने भी उसे धिक्कार दिया। एक बार फिर सबकुछ पाकर खो दिया। आज दीपक के पास ऐशो-आराम हर सुख-सुविधा थी लेकिन एक खालीपन था। आकाश-विजया जैसे दोस्तों ने साथ छोड़ दिया। माँ और उसकी बहनें नाराज थी।
दीपक को कुछ समझ नहीं रहा था। अनुष्का के जाने से उसकी जिन्दगी में एक अजीब सूनापन गया।
रह-रहकर उसे अनुष्का याद आती। उस दिन के बाद से उसने अनुष्का से बहुत संपर्क करने की कोशिश की लेकिन अनुष्का ने सिर्फ चैनल की नौकरी बल्कि शहर ही छोड़ दिया।
जाते-जाते उसने दीपक के नाम खत छोड़ा था जिसमें लिखा था........दीपक,
मैं तुमसे बहुत प्यार करती रही। तुम खास थे मेरे लिए लेकिन तुम भी औरों जैसे निकले तुम मेरे जीवन के पहले और आखिरी प्यार हो। ईश्वर ने मुझे सबकुछ दिया बस प्यार देना भूल गये। बचपन में माँ चली गयी। पापा बिजनेस में बिजी रहते........ समाज के लिए कुछ करना चाहती थी इसीलिए मीडिया ज्वाइन की। यहाँ अच्छे-बुरे सब तरह के लोग मिले लेकिन तुम खास थे उन सबसे अलग........ लेकिन मैं तुम्हें पहचान पायी। जिस दीपक को मैंने प्यार किया था तुम वह नहीं............ तुम अजनबी हो मेरे लिए....... मैं जा रही हूँ बहुत दूर मुझे, खोजने की कोशिश मत करना।
          अनुष्का।
सफलता, प्रसिद्धि और पैसा कमाने की धुन में दीपक ने सब कुछ खो दिया। दीपक को अब अपने आप से नफरत होने लगी। उसे अपना वजूद अधूरा लगने लगा। वह गाँव से शहर यह ख्वाहिश तो लेकर नहीं आया था। उसकी हर ख्वाहिश अधूरी रह गयी थी।

दूसरों के रंग में रंगते-रंगते कब वह भटक गया इसका उसे एहसास भी था। बहुत दिनों तक वह उदास भटकता रहा। उसका काम में भी मन नहीं लग रहा था।
अंत में उसने वापस अपने गाँव लौटने का फैसला किया। उसने चैनल की जाॅब छोड़ दी ओर फ्लैट भी बेच दिया।
वह जिस ट्रेन से शहर आया था। उसी ट्रेन से वापस गाँव जा रहा था। अपने बाबा की अधूरी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए जा रहा था।
जाते-जाते वह आकाश से मिला। आकाश दीपक को सही रास्ते पर वापस लौटते देखकर बहुत खुश हुआ।
वह फिर से दीपक का दोस्त बन गया। ट्रेन में पूरे रास्ते दीपक सोचता रहा कि सोनालिका ने उसे इसलिए छोड़ा कि वह बेरोजगार था और अनुष्का ने इसीलिए कि वह रास्ते से भटक गया था।
एक बार फिर गाँव वाले स्कूल में दीपक का सम्मान समारोह स्वागत कर रहे थे। जिसमें माँ और दीपक की दोनों बहनें भी थे। जैसे ही दीपक वहाँ पहुँचा तो देखा कि माँ के साथ अनुष्का भी खड़ी है।
दीपक ने उससे माफी माँगी। तो अनुष्का ने उसे गले से लगा लिया। बोली- ‘‘तुम्हें मैं अपना सबकुछ मान चुकी थी। तुम्हारे दिये धोखे से टूट गयी थी। जीने को मन नहीं करता तो यह जीवन समाज के नाम कर दिया। जिस गाँववालों का प्यार तुम्हारी प्रेरणा बना मैंने उसे अपनी जिन्दगी बना लिया। अब जब तुम सही रास्ते पर गये हो तब मैं तुमसे दूर एक पल भी नहींे रहना चाहती। हम दोनों यहीं साथ रहेंगे।.......... इनकी अधूरी ख्वाहिशों को पूरा करेंगे। दीपक ने भी अनुष्का को कसकर गले से लगा लिया। इस बार माँ और गाँववालों का आर्शीवाद भी था। आज सही मायनों में दीपक अपने आप को धनवान और सफल महसूस कर रहा था। आज उसे जिन्दगी और सफलता के सही मायने समझ में गये थे। आज वह अपनी मंजिल पर पहुँच चुका था।
कथा काल्पनिक है.... मौलिक है किसी से जुड़ाव संयोग मात्र है   आज यह कहानी पूरी हुयी। और  कहानियों चाहते है तो मेरा ब्लॉग देखते रहे अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे आपके सुझावों और आलोचनाओ का इंतज़ार है 
 साधना श्रीवास्तव

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1 comment:

  1. bahut achhi hai mam....but part 6 ke bad nahi mil rahi mjhe

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