Saturday, May 30, 2020

[30/05, 11:56 pm] Sadhna Srivastava😃😃: https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSeaUx_sVMwpQTfUGHU408JKAOuRdGjGg8XI3aDLa2LXIXo7Sw/viewform?usp=sf_link
[30/05, 11:56 pm] Sadhna Srivastava😃😃: https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1074909892906374&id=787525588311474&sfnsn=wiwspmo&extid=bzN9m9YoGw3h84mz&d=n&vh=e

National  Webinar

                ON

*MEDIA ETHICS DURING COVID -19 : PANDEMIC*



*Organised by*

SCHOOL OF HUMANITIES, JOURNALISM AND MASS COMMUNICATION
U.P. RAJARSHI TANDON OPEN UNIVERSITY, PRAYAGRAJ

*Registration starts*: 30th May 2020

*Registration ends on*: 5th June 2020

*Event Date*:  6th June 2020

Time 12:00 PM Onward

*Mode of Conduction*: Through ZOOM Online Video Conferencing and YouTube Live

*Registration link*:
https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSevRX4FXOHFCUSgBYS-6WLXaadLJtdhesF5nfjwN-kfcc8ZRw/viewform

*Note:*
-> After successful completion of this E-Webinar you will get Certificate

E-mail id:- prniti.info@gmail.com

*Patron,*
PROF. K.N. SINGH
VICE CHANCELLOR
UPRTOU, PRAYAGRAJ

CHIEF GUEST

*Mr. Jagdish Upasane*
Former editor, Panchjanya
Former VC : MCRPSV, Bhopal


Keynote Speaker
*Mr. Tarun Vijay*
Former Editor Panchjanya
Former Rajya Sabha Member

Special Guest
*Navyjot Randhawa*
Eminent Anchor (Aaj Tak & news 18)


Seminar Director
*Prof. RPS Yadav*
Director, School of Humanities,UPRTOU


Conevener
*Dr. Satish  Chandra Jaisal*
Assistant Prof. JMC, UPRTOU


Organising secratary
*Dr. Sadhana Srivastava*
Assistant Prof. JMC, UPRTOU

Thursday, May 21, 2020



                        कोरोना संकट और   जनसंपर्क



वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में एक गंभीर बीमारी और महामारी के रूप में उभरे कोरो ना का संकट सभी समझ रहे हैं

इस दौर में जनसंपर्क को समझना बहुत आवश्यक है जनसंपर्क के जरिए हम इस कार की चुनौतियों को भलीभांति समझ सकते हैं और और संवाद के जरिए समाधान भी पा सकते हैं



 जैसा कि हम हम सब जानते हैं सरकार ने मोबाइल फोन की रिंगटोन से लेकर हर वह साधन जिससे संचार हो सकता है चाहे वह विज्ञापन हो समाचारपत्र हो मीडिया हो सोशल मीडिया हो या व्यक्तिगत पहुंच द्वारा लोगों को समझाना संचार को ही करो ना से युद्ध का सबसे सशक्त हथियार कहां जा सकता है जानकारी ही बचाव है यह मूल मंत्र और बार-बार माननीय मोदी जी का राष्ट्र के नाम संदेश मन की बात और लोगों को जागरूक बनाना समाधान है



किसी भी झगड़ा लड़ाई का हल आपसी बातचीत संवाद है  जिसके लिए जनसंपर्क आवश्यक है लेकिन वर्तमान में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए जनसंपर्क कर पाना कितने संभव है यह एक विचारणीय प्रश्न है परंतु यहां यह बता देना अनिवार्य है कि जनसंपर्क का तात्पर्य व्यक्तिगत रूप से मिलकर या भीड़ के बीच में जाकर ही अपनी बात रखना नहीं है बल्कि वर्तमान में ऐसे अनेक संसाधन है जन संपर्क कर सकते हैं और अपनी बातों को पहुंचा सकते हैं कोरोना संकट में जन संपर्क और संवाद बचाव का सब तैयार है सशक्त हथियार है मजदूरों के साथ सही संवाद स्थापित हो जाता तो शायद जो प्रवासी मजदूरों का संकट है वह इतना गंभीर स्वरूप ना लेता वहीं दूसरी ओर कोटा से बच्चों को लाना जनसंपर्क का धारण कहा जा सकता है कोरोना संकटकाल में सरकार ही आम जनता तक प्रत्यक्ष संवाद करना चाहिए जिसका सफल धारण माननीय प्रधानमंत्री जी का पंचायत अधिकारियों नौकरशाहों और राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अलग-अलग कांफ्रेंस के जरिए संपात करना भी हैं संवाद करना चाहिए वहीं दूसरी ओर ताकि मोबाइल रिंगटोन को बदल देना जनसंपर्क का उदाहरण है आम जनता यूट्यूब व्यक्तिगत संपर्क के स्थान पर फोन से सोशल मीडिया के जरिए अपनी बातों को रखने के लिए मंच को पाया है अनेकना यूट्यूब चैनल फेसबुक पेज और सफल बना लो का आयोजन आयोजन वेबिनार का आयोजन जनसंपर्क के उदाहरण है ताली बजाना योद्धाओं के सम्मान में ऐसा करना हो या दिवाली मनाना यह सभी जनसंपर्क के एक सशक्त उदाहरण है जो करो ना कार्य में जनसंपर्क की उपयोगिता को दर्शाते हैं करोना काल में जनसंपर्क के उदाहरण के लिए निम्नलिखित के अंतर्गत जनसंपर्क को समझा जा सकता है



सरकारी प्रयास और जनसंपर्क



 जनसंपर्क और व्यक्तिगत प्रयास

 NGO और जनसम्पर्क

अमित और प्रसिद्ध कलाकार और जनसंपर्क

 नौकरशाह और  जनसम्पर्क



 जनसम्पर्क, विज्ञापन और कोरोना संकट



 संसार में अगर देखा जाए विज्ञापन की अहम भूमिका है वर्तमान के प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक सभी विज्ञापनों में आप देखेंगे कि कोरोना के खिलाफ कैसे जागरूकता फैलाई जा रही है चाहे वह चमनप्राश का ऐड हो या नंबर वन साबुन का डेटॉल का या फिर अन्य तरह के विज्ञापन यहां तक की टाटा स्काई से लेकर अनेक ऐसे विज्ञापन बने हैं जो हमें यह संचालित करते हैं यह कैसे घर पर रहकर बच   सकते है और कोरोना से कैसे और क्या बचाव कर सकते लॉक डाउन डाउन को लेकर भी जागरूकता और संचार के प्रभावी विज्ञापन बने हैं



 प्रिंट मीडिया के जरिए और  जनसंपर्क कोरोना संकट



 वर्तमान में अगर कोई सबसे विश्वसनीय माध्यम बनकर उभरा है तो वह प्रिंट माध्यम है प्रिंट माध्यम की खबरों में संपादन और लेखन का पर्याप्त समय मिल जाता है जिससे खबरों तथ्यों की पुष्टि की जा सकती है हम कह सकते हैं कि इस दौर में जो भी खबरें प्रिंट माध्यम से आ रही है अधिक विश्वसनीय हैं स्थानीय खबरों के लिए सूचनाओं के लिए प्रिंट मीडिया संकट  संकट में संचार के सशक्त माध्यम के रूप में उभरा है



 कोरोना काल में जनसंपर्क की चुनौतियां और   महत्व



एक ओर जान का संकट है दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था हिली है प्रवासी मजदूर जहां जिंदगी रोटी रोजी रोटी के लिए तरस के पैदल चलकर अपने गांव पर जाने को मजबूर है वहीं घरों में बैठे   मानसिक चुनौतियां आरती चुनौतियां का सामना कर रहे हैं ऐसे में ज्ञान और उपदेश उपदेश कितना समझ आएगा यह एक दुष्कर प्रश्न है जनसंपर्क कीजिए हम सही जानकारी एक दूसरे को दे सकते हैं चुनौतियों को साझा कर सकते हैं आपसी बहस और विवादों को सुलझा सकते हैं  कोरोना के संकट काल में सभी जनसंपर्क और सटीक जानकारी हमें सुरक्षित कर सकती हैं संकट काल में जनसंपर्क का बहुत महत्व है 





 Dr Sadhana Srivastava assistant professor journalism and Mass Communication



UPRTOU prayagraj, U. P


Sunday, May 10, 2020



वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में एक गंभीर बीमारी और महामारी के रूप में उभरे कोरो ना का संकट सभी समझ रहे हैं. आज
के समय में जब कोरोना की वैक्सीन दवाई या कोई समाधान नहीं दिख रहा है उस वक्त जानकारी ही बचाव है और सही और सकारात्मक संचार ही एक सशक्त हथियार है .

 हम हम सब जानते हैं सरकार ने मोबाइल फोन की रिंगटोन से लेकर हर वह साधन जिससे संचार हो सकता है चाहे वह विज्ञापन हो समाचारपत्र हो मीडिया हो सोशल मीडिया हो या व्यक्तिगत पहुंच द्वारा लोगों को समझाना संचार को ही करोना से युद्ध का सबसे सशक्त हथियार कहां जा सकता है जानकारी ही बचाव है यह मूल मंत्र है.

सोशल मीडिया के तहत फेसबुक ट्विटर ब्लॉग इत्यादि सभी आ जाते हैं सोशल मीडिया ने एक और जहां उन खबरों को तवज्जो दिया है जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया नहीं दिखाता है तो वही दूसरी ओर से एक न्यूज़ और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर अतिशयोक्ति और विश्वसनीयता का संकट उत्पन्न किया है आपदा प्रबंधन के समय व्हाट्सएप पर जारी अफवाहें गलत न्यूज़ फेक न्यूज़ निश्चय ही संकट को करोना की चुनौतियों को बढ़ाते हैं परंतु वही सोशल मीडिया ने  कोरोना में लोगों की अभिव्यक्ति और रचनात्मकता को एक मंच दिया है बहुत सारे लोगों ने लॉक डाउन के समय में   अपने यूट्यूब चैनल फेसबुक इंस्टॉल इंस्टाग्राम pratilipi.com और अन्य सोशल मीडिया के माध्यमों के द्वारा रचनात्मक सृजनात्मक कहानी कविताएं और कहानियों का मंच दिया

 यह समय चुनौतियों का है इसमें  मैंने खुद को सकारात्मक रखने का बहुत प्रयास किया
 इसी क्रम में कुछ पुस्तकों के अध्याय अनेकों कविताएं अपना यूट्यूब चैनल अपने ब्लॉक साधना की साधना के जरिए खुद को उन लोगों को सकारात्मक रखने के संदेश दिए साथ ही विश्वविद्यालय की गतिविधियों और छात्रों से निरंतर संपर्क बनाए रखा जिसमें सोशल मीडिया ने अहम भूमिका निभाई इसी दौरान खुद को अपडेट करने के लिए बेबिनार   और फेसबुक की चर्चा में भाग लिया 
 छात्रों और परिवार से भी निरंतर संपर्क बनाए रखा .   साथ ही नई तकनीक और योग    भी सीखा.  
लाक डाउन के भी नियमों का गंभीरता से पालन किया.

 परंतु फिर भी खुद को सकारात्मक रखना सबसे बड़ी चुनौती है वर्तमान में मनोवैज्ञानिक दबाव अपनों की चिंता आसपास का महौल  और अकेलेपन  की अनेक चुनौतियां थी यह पूरा समय इंटरनेट और मोबाइल टीवी पर निर्भरता की वजह से कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हुई चुनचुनाहट चिड़चिड़ा हट घबराहट और बेचैनी के साथ एक अंजाना सा डर हमेशा मन में रहता है अपने से ज्यादा अपनों को खोने की चिंता और उनसे दूर होने की बेचैनी हर वक्त रहती है फिर भी हमारे हाथ में जो है वह हम कर रहे हैं अपने-अपने इष्ट देव और   प्रभु पर आस्था है कि वह कुछ अच्छा जरूर करेंगे यदि प्रकृति करवट ले रही है और वैश्विक स्तर पर भारत की चुनौतियां अब आर्थिक संकट भारत की अर्थव्यवस्था भी मन में बेचैनी उत्पन्न करती हैं जिस तरह से केस बढ़ रहे हैं और बाजार दुकाने ओपन हो रही हैं खुल रही हैं या निश्चय ही चिंता का विषय है इस वक्त प्रत्येक व्यक्ति नकारात्मकता और दुष्परिणाम को सोच रहा है या फिर एक काल्पनिक सकारात्मकता में जी रहा है परंतु इस वक्त जो सबसे बड़ी चुनौती है वह है समाधान खोजने की अगर जीवित रहे तो निश्चय ही भविष्य उज्जवल होगा तो ऐसा लगता है कि उस समय अनवर आवश्यकताओं की चीजों को छोड़कर राम को बढ़ाया जाना चाहिए क्या की स्थिति नियंत्रण में रहे सकारात्मक प्रयासों के बावजूद भी  एक अंजाना डर रहता है  तनाव और मनोवैज्ञानिक दबाव का अनुभव होता है फिर भी मेरा यही कहना है जानकारी ही बचाव है कोरोना को महामारी के साथ साथ  सामाजिक मनोवैज्ञानिक और आर्थिक संकटों का भी मुकाबला करना है अतः धैर्य और सकारात्मकता से ही समाधान मिलेगा जल्दबाजी में या घबराहट में सब कुछ खोलने से या फिर सिर्फ चिंता करने से कुछ नहीं होगा वक्त बुरा है परंतु निकल जाएगा इस हौसले के साथ हर दिन खुद से जीते हारते अकेलेपन से संघर्ष करते भी जाता है सोशल मीडिया के   के जरिए अपने परिवार और छात्र छात्राओं से   संवाद और संपर्क बना रहता है

डॉ साधना   श्रीवास्तव
Uttar Pradesh Rashi Tandon



Sunday, May 3, 2020

कोरोना संकट और संचार

कोरोना संकट और संचार





मानव सभ्यता ने अपनी लम्बी अवधि में अनेक महामारियों  के दुष्प्रभाव को सहन किया है जोकि एक विशेष क्षेत्र तक ही सीमित रही है, तथापि कोविड -19   सही मायने में वैश्विक महामारी कहा जा सकता है जिसने लगभग पूरे विश्व को अपने आगोश में ले लिया है | इस संकट से उबरने में मुख्य भूमिका  संचार माध्यमों की हो गयी है| संभवतः  संचार माध्यमों का इतना व्यापक लोकहितकारी  स्वरूप  पहली बार उभरकर आ रहा है | एक ओर बीमारी से बचाव की  जानकारी देकर निरोग करने में भूमिका निभा रहा है तो दूसरी ओर  लोगों को अपने विचारों और भावनाओं को मंच प्रदान कर स्वस्थ वातावरण का भी निर्माण कर रहा है|

वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में एक गंभीर बीमारी और महामारी के रूप में उभरे कोरो ना का संकट सभी समझ रहे हैं.



आज के समय में जब कोरोना की वैक्सीन दवाई या कोई समाधान नहीं दिख रहा है उस वक्त जानकारी ही बचाव है और सही और सकारात्मक संचार ही एक सशक्त हथियार है.



जैसा कि हम हम सब जानते हैं सरकार ने मोबाइल फोन की रिंगटोन से लेकर हर वह साधन जिससे संचार हो सकता है चाहे वह विज्ञापन हो समाचारपत्र हो मीडिया हो सोशल मीडिया हो या व्यक्तिगत पहुंच द्वारा लोगों को समझाना संचार को ही करो ना से युद्ध का सबसे सशक्त हथियार कहां जा सकता है जानकारी ही बचाव है यह मूल मंत्र और बार-बार माननीय मोदी जी का राष्ट्र के नाम संदेश मन की बात और लोगों को जागरूक बनाना समाधान है.



विज्ञापन और कोरोना संकट

 संसार में अगर देखा जाए विज्ञापन की अहम भूमिका है वर्तमान के प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक सभी विज्ञापनों में आप देखेंगे कि कोरोना के खिलाफ कैसे जागरूकता फैलाई जा रही है चाहे वह चमनप्राश का ऐड हो या नंबर वन साबुन का डेटॉल का या फिर अन्य तरह के विज्ञापन यहां तक की टाटा स्काई से लेकर अनेक ऐसे विज्ञापन बने हैं जो हमें यह संचालित करते हैं यह कैसे घर पर रहकर बच   सकते है और कोरोना से कैसे और क्या बचाव कर सकते लॉक डाउन डाउन को लेकर भी जागरूकता और संचार के प्रभावी विज्ञापन बने हैं



 प्रिंट मीडिया के जरिए संचार और  करोना ना संकट



वर्तमान में अगर कोई सबसे विश्वसनीय माध्यम बनकर उभरा है तो वह प्रिंट माध्यम है प्रिंट माध्यम की खबरों में संपादन और लेखन का पर्याप्त समय मिल जाता है जिससे खबरों तथ्यों की पुष्टि की जा सकती है हम कह सकते हैं कि इस दौर में जो भी खबरें प्रिंट माध्यम से आ रही है अधिक विश्वसनीय हैं स्थानीय खबरों के लिए सूचनाओं के लिए प्रिंट मीडिया संकट  संकट में संचार के सशक्त माध्यम के रूप में उभरा है



 इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए संचार और   कोरोना संकट



 इस समय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के चैनल जिस त्वरित गति से भारतीय और वैश्विक खबरों को दिखा रहे हैं वह काबिले तारीफ है अपनी जान पर खेलकर ग्राउंड जीरो से या घटनास्थल पर जाकर सच्ची खबरों को लाना जौनपुर और सराहनीय है जोखिम पूर्ण है एबीपी न्यूज़ नमस्ते भारत मन का विश्वास सच्चाई का सेंसेक्स सेंसेक्स और मास्टर स्ट्रोक जैसे कार्यक्रमों के जरिए तो वही आज तक दंगल हल्ला बोल और ऐसे अनेक कार्यक्रमों के जरिए खबरों का विश्लेषण और वस्तुस्थिति से लोगों को अवगत करा रहे हैं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर कभी-कभी आरोप और पक्षपातपूर्ण    व्यवहार का दोष लगता है इलेक्ट्रॉनिक चैनल जहां संचार के सशक्त माध्यम है वही इनका दायित्व और बढ़ जाता है कि समाज में सकारात्मक और प्रभावशाली संचार करें जाति धर्म राजनीति से परे एक अच्छी पहल और शुरुआत की   आवश्यकता है



सोशल मीडिया के जरिए संचार और   कोरोना  संकट



सोशल मीडिया के तहत फेसबुक ट्विटर ब्लॉग इत्यादि सभी आ जाते हैं सोशल मीडिया ने एक और जहां उन खबरों को तवज्जो दिया है जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया नहीं दिखाता है तो वही दूसरी ओर से एक न्यूज़ और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर अतिशयोक्ति और विश्वसनीयता का संकट उत्पन्न किया है आपदा प्रबंधन के समय व्हाट्सएप पर जारी अफवाहें गलत न्यूज़ फेक न्यूज़ निश्चय ही संकट को करोना की चुनौतियों को बढ़ाते हैं परंतु वही सही और सटीक जानकारी के जरिए त्वरित संचार के लिए त्वरित संचार के लिए सोशल मीडिया एक अच्छा माध्यम है



 सोशल मीडिया ने    कोरोना संकट में लोगों की अभिव्यक्ति और रचनात्मकता को एक मंच दिया है बहुत सारे लोगों ने लॉक डाउन के समय में   अपने यूट्यूब चैनल फेसबुक ,इंस्टाग्राम pratilipi.com और अन्य सोशल मीडिया के माध्यमों के द्वारा रचनात्मक सृजनात्मक कहानी कविताएं और व्याख्यान दिए हैं यहां तक कि शैक्षणिक गतिविधियां भी ऑनलाइन माध्यम से हो रही हैं



 वर्तमान में मैंने भी एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते एक लेखिका होने के नाते सोशल मीडिया के जरिए यूट्यूब चैनल और pratilipi.com के जरिए संचार किया अनेक कविताएं कोरोना जागरुकता  के संदर्भ में लिखी जिनमें से कुछ रचनाओं का जो मेरी मौलिक और स्वरचित है जिनका प्रयोग मैंने कोरोना संकट में लोगों को जागरूक करने के लिए किया अग्र लिखित   संदेश  सोशल मीडिया के जरिए संचारित किए

करोना से लड़ो ना, सेआपस में नहीं



जाति धर्म और राजनीति के लिए नहीं



देश के लिए समाज के लिए अपने लिए



प्रकृति जो संदेश उसे समझो ना,

अपने लिए ना सही तो अपनों के लिए कुछ दिन घर पर तो रहो ना  या रुकना नहीं चाहता

 इनको समझाया जाए कैसे काम सब हो जाएंगे अभी तनाव को निपटाया जाए कैसे   जाएगा का   उत्तर सकारात्मक संचार है.



थोड़ा तो इस तनाव कम करो थोड़ा तो वक्त की नजाकत को समझने की  आवश्यकता है



कोरोना संकट में मीडिया की भूमिका और मूल्यांकन  महत्वपूर्ण है,  अफवाहों और फेक समाचार की  चुनौती को तथ्यों की जांच और एक जिम्मेदारी पूर्वक दायित्वों का निर्वाह करते हुए दूर किया जा सकता है आज तक सुना था की जानकारी ही बचाव है परंतु पुराना काल में यह सिद्ध हो गया कि जानकारी ही बचाव है और संचार कितना आवश्यक है सकारात्मक समाचार और मीडिया के सकारात्मक रुख ने इस संकटकाल में संचार की प्रासंगिकता को सिद्ध कर दिया है अतः हम यह कह सकते हैं कि जीवन के

सभी क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.





 डॉ साधना श्रीवास्तव



 assistant professor



 सहायक प्रवक्ता पत्रकारिता एवं जनसंचार



 उत्तर प्रदेश  राजर्षि  टंडन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज