Friday, October 23, 2020

मिशन शक्ति ##सामाजिक विधान# मीडिया

 मिशन शक्ति# सामाजिक विधान# मीडिया# सामाजिक परिवर्तन#

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कानपुर दिल का नाता है कानपुर के लोगों के बीच में जाना , बोलना सुनना हमेशा खुशी देता है उत्साह देता है और मनोबल को बढ़ाता है बहुत-बहुत धन्यवाद  प्राचार्या जी का , Dr Jaya ji

एनसीसी प्रभारी लेफ्टिनेंट डॉ मंजू भारती का और मिशन शक्ति की पूरी टीम और सभी बच्चों का बालिकाओं का और उन सभी महानुभावों का जिन्होंने मिशन शक्ति की नींव रखी और मुझे मिशन शक्ति का एक हिस्सा बनने का मौका मिला गर्व के क्षण बहुत-बहुत धन्यवाद बहुत-बहुत आभार



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23/10/2020 

Thursday, October 1, 2020

 https://youtu.be/IKvc9I2BNQU


Wednesday, July 29, 2020

मीडिया में सही विकल्प का चयन

मीडिया में सही विकल्प का चयन


बहुत से रास्ते है, बहुत से अवसर

परन्तु अपने रूचि और क्षमता के अनुसार ही सही विकल्प चुनने की जरूरत है


तनाव और जोश नहीं होश और सही planning hi सफलता और खुशी देती हैं


https://youtu.be/_B-XDDXfUGE





Sunday, July 26, 2020

siyapa ज़िन्दगी का 🤣😂 part-3 wake up for Happiness खुशी के लिए बेहोशी से जागना होगा


   siyapa ज़िन्दगी का 🤣😂 part-3      wake up for Happiness  खुशी के लिए बेहोशी से जागना होगा


कैसे हो दोस्तों मजे में हो

क्या कहा बहुत हैरान परेशान
हो
अरे चिल मारो परेशानियां सबकी जिंदगी में चल रही है
सुकून खत्म हो गया है कोरोना के केश ज्यादा गए हैं
और जिंदगी रुक सी गई है
आपाधापी है और मन खुशी को तलाश रहा है

अरे जनाब जी आपकी नहीं सबकी हालत है
 तो थोड़ा रिलैक्स करो ठंड मारो और दिमाग को भी ठंडा करो माना तासीर गर्म चीजों की खानी है और korona की बीमारी से घर बैठे ही दो-दो हाथ करने हैं,

कर ली सबने खूब तैयारी है और ऐसा लगता है कि मन का उत्साह भी गर्मी की बारिश सा हो गया है

जो बहुत कम दिखाई देता है परंतु धूप की अपने मजे हैं अब बारिश का अपना आनंद मौसम जो भी हो जिंदगी तो एक ही है तो थोड़ा गुनगुना ले थोड़ा हौसलों को बढ़ा ले
और मरना तो सबको एक दिन है डर को अपने दिल से हटाकर उमंगो और हौसलों को जगा ले

बहुत हो गई उदासी की बातें डरते डरते बीती ये रातें अब तो बस मन में ठानी है कि बहुत हो गई उदासी अब तो जितने दिन बचे हैं जिंदगी के अपने और अपनों के लिए मुस्कुराना है और खुश रहना है जनाब ही बहुत मुश्किल नहीं है


हमे परंतु सफलता और संतुष्टि के अंतर को समझना होगा

 हम सफलता के पीछे भाग रहे हैं और जीवन की वास्तविक खुशियों को पीछे छोड़कर जा रहे हैं जिंदगी का एक पल दोबारा नहीं मिलेगा यह नहीं सोचते हैं और हमारे पास क्या-क्या नहीं है बस यही सोचते रह जाते है

जिंदगी के बेशकीमती लम्हों को उदासी के हवाले कर देते हैं चिंता की चिता में अपनी खुशियों को जला देते हैं ,
परंतु यह भूल जाते हैं कि जिंदगी उसी की है जो तूफानों पर भी अपनी कश्ती चला ले गया।
 बवंडर से भी अपने जहाज को बचा ले गया ज्यादा कुछ नहीं करना है।
 बस हमें अपने दिमाग में हो रहे केमिकल लोचा या कहे तो डिप्रेशन और तनाव दूर करना है ।

हर एक के दिमाग की वायरिंग अलग अलग सी है हर एक दूसरे का जीवन लुभाना लगता है एक शादीशुदा लड़की सिंगल लड़की के जीवन से जलती है या सही शब्दों में कहे तो आजादी अकेलेपन और मी टाइम खोजती है

तो वहीं कोई सिंगल शादी सपने बुनती
तो कोई शादी के बाद divorce को झेल चुकी होती तो कोई कम उम्र में  ही विधवा होने की त्रसादी झेलती है

लड़कियों को लड़कों की तो लड़कों को लड़कियों की ज़िन्दगी आसान लगती है।
जनाब लड़कों की तो और muskil हो जाती है।
नौकरी ,प्यार,परिवार तो ना जाने की पंगे पार लगाने होते ज़िन्दगी के जैसे कि नौकरी करने वाला छुट्टी को तरसता है घर में रहने वाला नौकरी मिलने जुगाड़ में लगा रहता है।
तो कोई माताजी और बीबी के झगड़ो को ही सुलझाता रह जाता है।
घर चलाने के लिए पिता की कुर्बानियों को कितने याद रखते है।
ममता का मोल सब चुकाते पर पिता के दर्द को कितने समझ समझ पाते।
सबकी जिंदगी के अपने अपने किस्से है।

हमारे पास क्या है यह छोड़कर दूसरों को क्या मिला है यह देखने में ही जिंदगी गवा देंगे

कुछ पल अपनों के साथ बैठो या अकेले मेंआत्ममंथन करो

योगा करो या डांस करो क्रिकेट खेलो या बच्चों के साथ मस्ती करो बागवानी करो

किताबों को पढ़ो किताबों को पढ़ो और जिंदगी के गीत सुनाओ

बहुत खूबसूरत है यह जिंदगी इसमें सियापे बिल्कुल भी नहीं सिर्फ हमारी सोच के पहरे  है


सबके दिमाग के बाहर में कोई कनेक्शन छूट गया है और वह दूसरे को सिर्फ अपनी समस्याएं सुनाने में लगा है एक बार अगर हम सामने वाले को देखें तो समझ पाएंगे कि उसके मुस्कुराते चेहरे के पीछे भी कुछ  सियाँपा जरूर है


खुशी तो चंद लम्हों की मेहमान है सामने वाले का मुस्कुराता चेहरा उसके दर्द के ऊपर एक नकाब है आप यह एक बेहोशी में सो रहे हैं कि सामने वाला बहुत खुश है सारे सियाँपे ऊपर ने आपके जिंदगी में दिए हैं

ऐसा बिल्कुल भी नहीं है हमारे सामने बस वह सामने वाला अपना दर्द नहीं बताता अपने सियापे छुपा के मुस्कुराता तो आप भी बेहोशी जाग जाओ

खुद को ये एहसास दिलाओ की बहुत सी आप धापी और चिता हो गई
 बहुत तनाव है परंतु थोड़ा मुस्कुरा भी ले थोड़ा हंस भी ले और चिंताएं छोड़ कर थोड़ी मानसिक अवस्था पर ध्यान देंगे तो निश्चय ही कोरोना क्या हम बड़ी से बड़ी बीमारी और संकट से लड़ लेंगे जो ताकत हमारे मन की है वह ताकत सकारात्मक सत्ता ने दी है


बस हमारे साथ कुछ बुरा हो रहा है ऐसी बेहोशी में ना सोए बस जो भी है आज है अभी है और हम अपने कल को आज से बदल सकते हैं इसलिए अपने सोच की ताकत को जगाओ बेहोशी से जाग जाओ जीवन में खुशियां खोजनी नहीं खुशियों को जीना है जो आज है इस पल में है वही आपका है और वही आपके कल की खुशियों का आधार बनेगा

आपको क्या लगता है कि मैं कुछ गलत कह रही हूं या सही जिंदगी के सियापो  को कम करने और खुशी खोजने तलाश में आप क्या कहते हैं आपके विचारों का स्वागत है

डॉ साधना श्रीवास्तव





Wednesday, July 22, 2020

Siyapa Zindgi Ka part -२ (Pain of Relationship- रिश्तों का दर्द

Siyapa Zindgi Ka part -२ (Pain of Relationship-   रिश्तों का दर्द


ज्यादा इंतजार तो नहीं करना पड़ा आपको

यह सफर जिंदगी का है
Siyapa ज़िन्दगी -१ की शुरुआत में इतना प्यार देने के लिए धन्यवाद आज की श्रृंखला की दूसरी किस्त रिश्तो का दर्द आपको बताने और सुनाने जा रही हैं

रिश्ते सुख का आधार भी होते हैं और जीवन का सार भी होते हैं परंतु यही रिश्ते जब आपके सामने दीवार बन जाए और आपकी जिंदगी से सुकून होने की वजह बन जाए तो उस दर्द को आप बयां भी नहीं कर सकते हैं बता भी नहीं सकते हैं,

शुरुआत कुछ ऐसी है कि यह मेरी ही नहीं सभी की कहानी इस लॉकडाउन के दौरान कितने दर्द के छुपे किस्से सीने में ही दफन हो गए एक और जहां जाओ और पैसों का संकट आया तो वहीं दूसरी ओर असली और नकली रिश्तो की पहचान भी हुई है,


2020 का साल जीवन बचाने का साल हो गया लेकिन korona तो हमारा मास्टर बन गया
जो जिंदगी ना सिखा पाई जो सच हमें हमारी आंखें न दिखा पाए वह आइना हमें korona काल ने दिखा दिया,

महाभारत के अर्जुन से लेकर लॉकडाउन में बंद घरों की दीवारों में बैठे लोगों तक अपने ही रिश्तो की आगे और आत्मसमर्पण द्वंद और प्यार की कशमकश है,


अपने दर्द को होठों पर छुपा छुपा कर अपनों को खुश रखना ही जिंदगी है

लेकिन जब वही अपने आप से चालाकी करते हैं
झूठ बोलते हैं या उनकी बातों में अंतर आता है तो जो तीर दिल में चुभता है
वह इतना घातक होता है कि अपना आत्मविश्वास और रिश्तो की नींव सब हिल जाता है,

किसी एक की बात नहीं कर रही हूं हमारा और आप सब का दर्द है कोई प्यार का मारा है तो कोई टूटा दिल बेचारा है किसी को भाई ने छोड़ा है तो किसी को बहनों ने आहत किया है
कलियुग में तो माता पिता परिवार रिश्ते सब रूप बदल रहे है

पति और पत्नी के किस्से तो घरेलू हिंसा की फाइलों में दब गए परंतु जिन दोस्तों को अपना माना था कभी-कभी वह भी दे गए धोखा और उस धोखे ने इंसान को अंदर तक तोड़ देता है,



आज हर शक्स अकेला है खुद में

बस एक ही बात निकलती है सब पूछ लेना बस हाल मत पूछना मेरे दोस्त

ऐसे रिश्ते को तरस जाता है दिल जो आपकी हंसी के पीछे के दर्द को समझ सके

Social distancing क शब्द तो अब आया है रिश्तो में तो कब से दूरियां आ गई थी

रिश्ते के दर्द को जो लोग फील करते हैं टूट कर भी नहीं टूटते हैं जिंदगी उन्हीं का साथ देती है

अकेलेपन से मत घबरा एक जगह धोखा मिले तो नई जगह दिल लगा मुन्ना भाई की फिल्म नहीं जिंदगी का भी यही फलसफा है
 यूं ही नहीं कहा जाता पूरी दुनिया हमारी और हम पूरी दुनिया के हैं


हर शख्स तन्हा सा है और रिश्तो को खोजता है

समाज को दिखाने बताने को बहुत रिश्ते हैं लेकिन वही रिश्ते कहीं न कहीं दर्द की वजह होते हैं रिश्ता कोई भी हो सकता है

कहानी मेरी और आपकी नहीं हर एक की है कहना सिर्फ इतना है कि आपका दिल टूट रहा है तो आप दूसरे के दिल के टूटने की वजह ना बने

दूसरे धोखा कर रहे हैं आपसे ईमानदारी नहीं निभा रहे हैं तो भी आप अपने हिस्से की ईमानदारी निभाई है अपने से भी और अपनों से भी such कहे उनका साथ दे


रिश्तो का दर्द सबसे तकलीफ दे होता है यह जिसने सहा है वही समझ सकता है

छोड़ा जा सकता है ना अपनाया जा सकता है

गीता का ज्ञान रिश्तो के दर्द से ही उपजा था

 बुद्ध की व्यथा ने भी संघर्ष पथ में आगे बढ़ने के लिए रिश्तो को छोड़ा था

त्याग विश्व के काम आया था


रिश्तो का दर्द तोड़ता भी है और जोड़ता भी है
 तो आप तोड़ने वालों में नहीं जोड़ने वालों में रखिए
 खुद को रखिए और अगर खुद को अकेला फील करते हैं तो भी उस ऊपर वाले से रिश्ता बनाए रखें इसमें कहीं ना कहीं एक सकारात्मक सकता है जो आपको आगे बढ़ने का हौसला और मंजिल देती हैं

अगर आप अपने रिश्तो में ईमानदार रहेंगे तो जो आपके काबिल है वह आपकी जिंदगी में बस जाएंगे बाकी की चटनी और दूरी वो ऊपर वाला खुद ब खुद कर देगा

तू ना तो रिश्तो में दर्द दे ना तो रिश्तो में दर्द ले हौसलों से जिए उत्साह में रहे और

खुद रिश्तो में दर्द नहीं प्यार की वजह बनी है दूसरों के दुख कि नहीं सहारा बनिए

सबसे पहले अपनी मदद के लिए अपने आप से रिश्ता निभाएं

तभी आप दुनिया से रिश्ता निभा पाएंगे और अगर आप खुद को अकेला महसूस कर रहे हैं आप मेरा एक सॉन्ग जोकि मेरे युटुब चैनल पर है उसे सुन सकते हैं


https://youtu.be/E6WqIXRO-G4

के बारे में आपकी अनुभव क्या रहे हैं आपके रिश्तेदार देते हैं या सुकून इस बारे में आप क्या कहते हैं आपकी राय का और सहयोग का स्वागत है


Dr sadhana Srivastava

Saturday, July 18, 2020

Siyapa Zindgi ka--,,😂🤣सबके किस्से अपने अपने part -१

Siyapa Zindgi ka--,,😂🤣सबके किस्से अपने अपने


जिंदगी का कुल मिलाकर सियापा चल रहा है,,

अजी सिर्फ मेरा ही नहीं सबकी ज़िन्दगी में अच्छे से मूड की बैंड बजी है ,

क्यों आपको क्या लग रहा है मैं क्या गलत कह रही हूं कुछ को हंसी आ रही होगी अब कुछ कहेंगे बिल्कुल सही बात,,


चारों और korona का आतंक छाया है और लोग गली गोलगप्पे के नुक्कड़ पर ऐसे गोलगप्पे और बतासे खा रहे हैं कुछ दिनों पहले तो बिना मास्क के बहादुरी दिखा रहे हैं वाह वाह क्या बात है इनको ही मेडल मिलना है इनकी बहादुरी की सजा दूसरे भुगत रहे हैं

चलो कुछ तो गनीमत है कि कुछ ज्ञानी लोग भी बीच में ज्ञान देकर समझदारी का काम कर रहे हैं 

और दुसरी आफत मचा दी है इन ज्ञानियों ने भी जिंदगी का सियापा करने में इन न्यूज़ चैनल और सोशल मीडिया वालों की भी कोई कमी नहीं है जिसे देखो व्हाट्सएप पर और सोशल मीडिया पर ऐसे ज्ञान प्रवचन दे रहा है जैसे वही सब ज्ञानी है हमें तो कुछ आता ही नहीं


चलो इतना तो चल जा रहा है अब न्यूज़ चैनल वालों की भी क्या कहें और जान पर खेलकर रिपोर्टिंग कर रहे हैं अब कोरोना काल में संकट झेल रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर किसी एक न्यूज़ की ऐसे बार बार सुना रहे हैं चिल्ला चिल्ला कर बता रहे हैं ,बंद कर दो न्यूज़ चैनल नहीं तो और मन दुखी हो जाएगा एक ही न्यूज़ पर इतनी चर्चा और कई महत्वपूर्ण मुद्दों की अनदेखी



अब मैं भी मीडिया से हूं तो मीडिया वालों का दर्द भी समझती हूं इसलिए ज्यादा नहीं कहूंगी बस इतना ही कहूंगी कि मीडिया के समझदार लोगों को भी दुनिया का दर्द समझना चाहिए अब थोड़ी तो सकारात्मक समाचार दिखानी चाहिए जैसे कि बीच-बीच में  दिखाते हैं,,

कभी-कभी तो किसी न्यूज़ पर इतना अटक जाते हैं कि ऐसा लगता है दुनिया में और कोई घटना घटी नहीं  है पर मीडिया की भविष्यवाणी से जरूर घट जाएगी,

 देश की सुरक्षा पर भी ऐसी ऐसी बातें बता देते हैं जो उन्हें नहीं बतानी चाहिए अरे गोपनीयता नाम की कोई चीज होती है


चलिए बेचारे मीडिया वालों के दर्द पर तो हम फिर कभी चिंता करेंगे
 अभी तो बात कर रहे हैं अपनी जिंदगी में चलने वाले सियापे अरे शायद आपकी ज़िंदगी में भी आपकी ज़िंदगी चल रहा सोचा थोड़ा बैठ कर बात कर ले और कुछ समाधान निकाल ले,


क्या बताएं ऐसा समय है कि क्या नेता क्या जनता क्या प्रशासन और क्या सरकारें सब उलझे हैं

अरे शांति से मिल बैठकर बात कर ले तो शायद कुछ समाधान भी निकल आए पर यहां तो सबको ज्ञान चंद्र बनना है और ज्ञान बांटना है हल्की-फुल्की बात तो कोई करना ही नहीं चाहेगा सब एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल कर अपनी गलतियों पर पल्ला झाड़ते है

सोशल मीडिया के तो जलवे ही क्या है एक और तो कुछ लोग बहुत अच्छा भी कर रहे हैं पर ज्यादातर फेक न्यूज़ और योद्धाओं का तमगा तो सोशल मीडिया वालों को ही मिलना मिलना चाहिए,


सोशल मीडिया पर भड़ास निकालना और कुछ भी कह देना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर ऐसी अफरा-तफरी korona काल में ही देखने को मिली है पहले भी थी लेकिन आजकल कुछ ज्यादा ही हो गई है सबको कुछ न कुछ करना है

और जो बेचारे असली कोरोना के वीर योद्धा हैै, उनको शत-शत नमन और जितना भी प्रणाम करें कम है उनकी वजह से ही थोड़ा हंस बोल लेते हैं और सुकून की सांसे ले लेते हैं ऐसे वीर कर योद्धाओं के सम्मान में जो भी कहा जाए कम है वही है जो धरती के भगवान हैं इस वक्त चाहे वह सफाई कर्मी हूं चाहे डॉक्टरों नर्सों या फिर कोई भी ऐसा इंसान जो इस में दूसरे के लिए कुछ कर पा रहा है थोड़ा सा समाज में सकारात्मक सहयोग फैला रहा है

बस उनकी वजह से ही बची है और सांसे रुकी है नहीं तो इतनी नकारात्मकता है और जिंदगी के इतने सियापे पर चल रहे हैं कि फेक न्यूज़ वालों ने और भ्रष्टाचारियों ने तो अति कर कर रखी है 

साइबर क्राइम बढ़ गया है फोन पर क्राइम होने लगे हैं बहुत मजबूरियां बढ़ रही है और korona तो इस गति से बढ़ रहा है कि क्या कहा जाए जब सब बंद होना चाहिए था तो सब खुल गया है

 कभी-कभी तो इतनी घबराहट बेचैनी होती है ऐसा लगता है महाभारत का युद्ध कोई नहीं चाहता था लेकिन अब युद्ध शुरू हो चुका है और आपको हाथ पे हाथ रख के बस उस इलाके का नाम और इंसान की खबर जानी है जिसे korona हो गया ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था और आम आदमी की जेब दोनों की हालत ऐसी हो रही है जिंदगी बदल हो रही है जहां एक और जिंदगी का रिस्क है वहीं दूसरी ओर आर्थिक स्थिति में नौकरी के संकट ने  लोगों का जीना मुश्किल कर दिया



और जनाब अगर आपने इससे पहले मेरा हास्य व्यंग समाज का हिस्सा सुना होगा तो आपको तो पता ही होगा कि यह जो समाज के वीर योद्धा है जिनका काम दूसरे की जिंदगी में घुसपैठ करना होता है जबरदस्ती की सलाह और ज्ञान देना होता है उनकी सूचनाओं की त्राहि-त्राहि और अधिकता से क्या बताएं जेब के साथ-साथ दिमाग की हालत खराब हो गई है

सूचनाओं की इतनी अधिकता हो गई है कि अब तो अच्छी बात भी थका देती है  वेबिनार की   अधिकता और ऑनलाइन क्लासेस का जोर जहां एक और शिक्षक परेशान है वही बच्चे भी हैरान है लेकिन जीवन का एकमात्र सहारा और ज्ञान का रास्ता यही बचा भी है ऐसे में korona की स्थितियां

सिर्फ शरीर पर ही नहीं मन पर बुरा प्रभाव डाल रही है

बातें तो बहुत सारी है पर लंबी हो रही है सिर्फ हम ही कहे यह तो सही नहीं ना आप भी कुछ कहे

कैसा लगा मेरी ज़िन्दगी का सीयापा


अभी तो बहुत से सियापे पर चर्चा  बाकी है 
प्रतियोगी छात्र के जीवन का संकट 
अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने की चुनौती 
और रोजगार की चिंता 
लोगों की चिंता 
प्यार की कमी और 
परिवारों की चिंता
 घरों में रहते रहते घटने वाली घटनाओं और घरेलू हिंसा के सियापे 
ऑफिस में वर्क फ्रॉम होम के नाम पर होने वाले
 दोस्तों से ना मिल पाने 
और परिवार से दूर रहने के सियापे
 अपने प्यार को ना समझ पाने

अकेलेपन के रहने के साथ सबके साथ होने वाले सियापे
 आप क्या कहना चाहेंगे
 आपको क्या लगता सियापो के बारे में 
आपका आभार और प्यार 
मेरी कोई बात बुरी लगी हो तो क्षमा 
सोचा मिल बैठकर कुछ समाधान निकालेंगे 
अपने दिल की अगर आपको कुछ बुरी लगी हो तो सॉरी 
और आप भी कुछ बताइए कैसे हो सकता है समाधान 

Friday, July 17, 2020

Ek Toor yaado ka -- MGKVP university trip 2005

  शैक्षणिक भ्रमण- अनुभव, ज्ञान व रोमांच की अनोखी त्रिवेणी
नववर्ष का प्रथम दिन काफी उथल पुथल, उत्साह आशा निराशा के बीच बीता। दिन की शुरूआत बधाई लेने देने से हुयी। पूरा दिन टूर के सामान पैकिंग में गया। शाम चार बजे महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के मदन मोहन मालवीय पत्रकारिता संस्थान बुलाया गया। वहाँ सामूहिक भोजन व कुछ पेपर साइन करने थे। 1जनवरी 2005 को ही रात में हमारी टेªन चली। रास्ते में टंेªन से सड़के हरे भरे खेत खेतों में खड़े बजूके के पहाड़ टीले कुहरा ईटों की कटाई झोपड़ी छोटे छोटे मंदिर नदियों आदि के मनोरम दृश्य दिखाई पड़ रहे थे। राजस्थान प्रदेश में प्रवेश करते ही सरसों के हरे भरे खेत दिखाई पड़े। अरावली और सतपुड़ा की पहाड़ियाँ और हल्दी घाटी का क्षेत्र मन को उत्साहित कर गया। इससे पूर्व उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद, कानपुर, आगरा जैसे प्रसिद्ध शहर पड़े। राजकोट में इंडियन आॅयल की फैक्टरी दिखी। राजस्थान में छोटे-छोटे पेड़ थे, कटीली झाड़ियाँ थी। रात में अत्यधिक सर्दी पड़ती थी। गुजरात में साबरमती नहीं देखी। कपास के खेत दूर-दूर तक फैले थे। वहाँ लाल और काली मिट्टी भी देखने को मिली। लखतर से आगे छोटी-छोटी पहाड़ी। गुजरात काफी संसाधन युक्त प्राप्त लगा। सिंचाई के उत्तम साधन थे। जेनरेटर व पम्पिंग सेट की भी व्यवस्था थी। सड़के साफ थी, पेड़ों की ऊँचाई कम थी, छोटी-छोटी झाड़ियाँ थी। छोटे मकान भी पक्की ईटो के बने थे।
द्वारका के यादगार क्षण -  3 जनवरी की शाम 5ः30 पर 44 घंटे की यात्रा पश्चात् हम सब द्वारका पहुँचे। सभी थके। ठहरने की व्यवस्था शारदापीठ के मठ (आश्रम) में थी। फ्रेश होने के पश्चात् सभी ने द्वारकाधीश के दर्शन किये व वहाँ आरती में भाग लिया। रात्री सभी ने अपने-अपने घरो को फोन किया। पूरी रात आराम किया। दूसरे दिन प्रातः काल द्वाराकाधीस जी का दर्शन पूजन किया। प्रसाद-माला चढ़ायी। जहाँ रूकने की व्यवस्था थी। वही से अरब सागर का मनोरम दृश्य दिखता था। जीवन में पहली बार ज्वार भाटाा देखा। चाँद की रोशनी के प्रभाव से अरब सागर की लहरें किनारों को छूने को बेचैन हो उठी। सूर्य के प्रभाव से वो लहरें समुद्र की गहराइ्रयों में लौटने लगी। प्रातः काल मंदिर में प्रथम भोग माखन मिश्री कर लगता है फिर वही प्रसाद स्वरूप भकतों में बँटता है। गुजारती जन समूह भगवान द्वारिका जी की स्तुति व भजन गा रहा था। सारा वातावरण कृष्णमय, राधामय था। मन में भक्ति की धारा का प्रवाह हो रहा था। वहाँ के वातावरण में अवार शंाति थी। मन श्रद्धा से परिपूर्ण हो उठा। फिर सब समुद्र तट देखने गये जहाँ पूरे ग्रुप का फोटो सेशन हुआ। वहाँ सागर की लहरों की जल क्रीडा देख कर मन प्रसन्न हो रहा था। वहाँ बहुत शांति थी। हवाएं ठंडी ठंडी थी। उसके बाद थोड़ी शापिंग हुयी। हमने द्वारिका जी के पट व लाकेट खरीदे वापस गेस्ट हाउस लौटकर आये। वहाँ स्वामी स्वरूपानंद जी की प्रेस कांफेस हुयी। उन्होंने मठ, मंदिर व द्वारिका जी के बारे में जानकारी दी। फिर भोजन के उपरांत सभी वापस आ गये।
जामनगर- द्वारिका से जामनगर के लिए चले शाम 4 बजे जामनगर पहुँचे। यह रास्ते का एक ठहराव था। वहाँ से अहमदाबाद के लिए टेªन रात 10ः00 बजे थी। सभी वेटिंग रूम में थे। चाय नाश्ता किया। फिर सर ने स्टेशन के आस पास का क्षेत्र घुमाया। यहाँ के घर काफी साफ सुथरे थे। स्थानीय लोगो से वहाँ की संस्कृति जनसंचार माध्यमों के बारेमें बात चीत की। यहाँ के स्थानीय जन भोले भाले ईमानदार थे। संप्रेषण का माध्यम हिन्दी ही था। लोग अच्छे से हिन्दी समझ रहे थे। एक मंदिर में गुजराती में साईं चालीसा व रामायण के दोहे गुजराती में देखने को मिले। वहाँ की दीवारों पर रामायण व साईं के जीवन के चित्र दिवार पर अंकित थे। वहाँ पर सुपारी से बनी गणेश भगवान गणेश की भव्य मूर्ति थी। लौटते वक्त एक छोटी सी मस्जिद देखी। जहाँ पर लड़कियों का प्रवेश वर्जित था वहाँ एक पुराना कुआँ था जिस पर पानी कम था। कुएँ की दीवार पर कबूतरों ने अपना घोसला बनाया था। एक घोसले में कबूतर के दो छोटे छोटे बच्चे भी थे जो बहुत प्यारे थे। रपत सब वापस वेटिंग रूम आ गये। रात 11  बजे ट्रेन आयी व सभी अहमदाबाद के लिए रवाना हुए।
अहमदाबाद- 5 जनवरी 6ः15 पर हम सब अहमदाबाद पहुँचे। वहाँ थोड़ी अव्यव्स्था का सामना करना पड़ा। गुजरात विद्यापीठ में ठहरने कर व्यवस्था थी पर साइंस काफें्रस के कारण जगह भर गयीं मजबूरी में जिस धर्मशाला में रूके वहाँ काफी गंदगी व अव्यवस्था थी। अहमदाबाद में स्वामी नारायण सम्प्रदाय के प्रसिद्ध मंदिर अक्षरधाम में गये। हमारा अगला पड़ाव विश्व संवाद केन्द्र था। यह केन्द्र गुजरात की स्थानीय खबरों को गुजरात के स्थानीय क्षेत्रों तक पहुँचाता है। फिर गुजरात स्थित एकमात्र हिन्दी प्रेस गुजरात वैभव गये। वहाँ से सब गुजरात विद्यापीठ गये वहाँ का पत्रकारिता संस्थान देखा पर अंदर नहीं पा पाये रात्रि होने के कारण वह बंद हो गया था। गाँधी जी का नवजीवन प्रेस भी बाहर से देखा। दूसरे दिन प्रातः ही सभी तैयार हो कर गाँधी जी की कर्म भूमि साबरमती आश्रम गये। वहाँ गाँधी युग की स्पष्ट छाप थी। वहाँ एक संग्रहालय व पुस्तकालय भी था। वहाँ के पिछले भाग में साबरमती नदी बहती थी जिसमें पहले पानी कम फिर नर्मदा नदी से जोड़े जाने के बाद से पानी है। यह वही नदी है जहाँ स्वतंत्रता सेनानी स्नान करते थे। वहाँ गाँधी जी के जीवन काल चित्रों की एक प्रदर्शनी थी। पास में ही एक पुल था जिस पर से गाँधी जी ने डंाडी मार्च शुरू किया था। फिर धर्मशाला आये काफी देर हो रही थी। सभी ने अपना सामान धीरे-धीरे पैक किया फिर जल्दी जल्दी स्टेशन पहुँचे और प्रारम्भ हुआ अगला सफर त्रिवेन्द्रम के लिए। ट्रंेन बम्बई वाले रूट से जा रही थी। टेªन से हम सब ने आनंद देखा। यह दूध का सबसे बड़ा केन्द्र व अमूल प्रोडक्शन का केन्द्र यही हैै इनका मैनेजमेण्ट इनस्टीट्यूट है। यहाँ से फ्री वाफ कास्ट मैनेजमेण्ट है। इनका अपना फार्म हाउस है। इसके संस्थापक वर्गीस कुरियन थे। रास्ते में मुम्बई पड़ा। रात होने के कारण मुम्बई ठीक से देख नहीे पाये पर टेªन से जगमगाती रोशनी दूर से ही दिख रही है। मुम्बई सपनों का शहर है। जगमगाते बल्बांे व वाहनों की रोशनी में टेªन से मुम्बई बहुत सुंदर दिख रहा था।
रास्ते में कोंकर्ण रेलवे से गुजर रहे हैं। वहाँ आस पास के दृश्य काफी मनोरम थे। टेªन की दोनो खिड़की से ताड़ के पेड़, समुद्री झीले, पहाड़ व उनके पीछे से उगते सूरज का दृश्य मन को मोह रहा था। ट्रे चलते चलते गुजरी गोवा से वहाँ स्टेशन पर काजु किशमिश वाले घूम रहे थे। मडगाँव में सबने उतर कर पानी भरा। उससे पूर्व करमाली स्टेशन पर समुद्री झील का नजारा बहुत संदर था। ंबीच में समुद्र पड़ा और काफी लम्बी अंधेरी सुरंग भी पड़ी। इन अंधेरी सुरंगो से गुजरते हुए एक रोमांचक अनुभव हो रहा था। यहाँ कहीं धान की खेती कहीं ईख के खेत कहीं नारियल के पेड़ों का झुंड तो कहीं ताड़ के झुंड शहर की भीड़ व ईमारतो की जगह संुदर प्राकृतिक दृश्य देखकर बहुत अच्छा लग रहा था। जो दृश्य सपनों में, टी.वी. में या कैलेंडर मेें देखे थे उन्हें सही में देखने में बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। गोवा में दूर से दिखती चर्च व ताड़ो के झुंड बीच के बीच में समान दूरी पर बने घर आकर्षण का केन्द्र लग रहे थे। प्राकिृतक सौन्दर्य का अनूठा नजारा था। सबसे अनोखा व रोमांचक अनुभव सागर से गुजरने पर हो रहा था। चारों ओर पानी ही पानी था खिड़की से जिस ओर देखो समुद्र बहुत अच्छा लग रहा था। ठंडी हवा चल रही थी। समुद्र में जहाज भी चल रहे थे और ऊपर पंक्षी भी उड़ रहे थे।
त्रिवेन्द्रम- हापा त्रिवेन्द्रम एक्सप्रेस से प्रातः 3ः40 पर तिरूवनंतपुरम पहुचें। स्टेशन के पास ही पद्यनाभन भगवान के मंदिर ले गये। वहाँ मूछों वाले भगवान की दिवारों में मूर्ति थी। वहाँ दक्षिण भारतीय मंदिरों की विशिष्ट परम्परा थी। वहाँ लड़कियों को साड़ी या एक विशिष्ट प्रकार के वस्त्र को पहनना पड़ता है। मंदिर बालूदार पत्थरों से बना था। वहाँ मंदिर कई प्रागणों में बटाँ था। रास्ते में गणेश जी का एक मंदिर था तो काफी सुंदर था। वहाँ से शाम 3ः30 पर कन्याकुमारी के लिए चले।
कन्याकुमारी- मनोरम दृश्यों का आनंद उठाते हुए भारत के दक्षिण के अंतिम छोर कन्याकुमारी शाम 6ः30 पर पहुचे। विवेकानंद केन्द्र से बस आयी थी। हम सभी विवेकानंद केन्द्र पहुचे। 100 एकड़ की भूमि में फैले केन्द्र स्थापत्य कला का अनूठा उदाहरण है। रात्रि सबने भोजन उपरंात आराम किया। अगले दिन प्रातः सभी सुर्योदय देखने के लिए गये। वहाँ से समुद्र के बीच स्थित विवेकानंद मंदिर दिखायी दे रहा था। सागर की लहरों की जलक्रीडा व उससे आती ध्वनि तरंगों को सन कर मन प्रसन्न हो रहा था पर भगवान भास्कर की कृवा ना होने से उस अद्भुत दृश्य को देखने से हम वंचित गये। फिर शिव मंदिर कन्याकुमारी मंदिर व कन्याकुमारी देखने गये। कन्याकुमारी में अरब सागर हिन्दमहासागर और बंगाल की खाड़ी के संगम की त्रिवेणी है। पूरे विश्व में एक अद्भुत दृश्य और कही नही है। सागर की लहरो की दिशा से इस संगम के साक्षात दर्शन होते हैं। तट पर सुनामी लहर के कहर का स्पष्ट छाप थी। शिला पर जाने की किसी को अनुमति नही थी। बगल में कई जहाज क्षतिग्रस्त थे। वहाँ शंख व सीप के ढ़ेरो सामान काफी सस्ते दामों में मिल रहे थे। कन्याकुमारी में हम लोग एक चर्च में भी गये। यहाँ की सड़के काफी ढलान वाली थी। कन्याकुमारी जितनी संुदर मनोरम जगह है काफी संुदर यादंे हैं वहाँ का पर एक बुरी बात भी हुयी वहाँ लड़के लड़कियों में गैप आ गया अब यह गु्रप दो हिस्सों में बटँ गया था। यहाँ पर बहुत से लोगो की तबियत भी खराब हो गयी थी। शाम 5ः15 बजे सब कन्याकुमारी एक्सप्रेस से मदुरई के लिए चल पड़े।
मदुरई- 10 जनवरी उसी रात सब मदुरई पहुचें। रात एक धर्मशाला मे गुजारी। अगली सुबह सब मिनाक्षी मंदिर गये। शाम को मदुरई युनिवर्सिटी और प्रसारभारती आकाशवाणी मदुरै गये। मदुरै में ही डेली थान्थी प्रेस के कार्यालय गये। रात आस पास की दुकानो का पी.सी.ओ. वाले और राजस्थान निवासी मदुरै घूमने आयी एक लेडिज से बातचीत की। मदुरै में हिन्दी भाषा की किताबें मिली।
9 बजे शाम बस से मान मदुरै पहुचे। मान मदुरै का अनुभव सबसे बुरा रहा। जीवन में पहली बार स्टेशन पर सोये और बस वाले ने 2 किलो मीटर पहले उतार दिया। वहाँ से सबको अपना सामान रात में ढोना पड़ा। 12 तारीख की सुबह 4 बजे टेªन आयी
रामेश्वर- 12 तारीख की सुबह 6ः30 पर रामेश्वर पहुचे। वहा सब भारत सेवा श्रम में ठहरे। बस से धनुष कोटि के लिए निकले। धनुषकोटि से श्रीलंका बार्डर दिखायी देता है परंतु 7 किमी पहले ही रूकपा पड़ा। वहाँ तक जाने की यात्रा काफी रोमांचक रही। दोनो ओर बंगाल की खाड़ी और बीच में रास्ता एक अनोखी अनुभूति हो रही थी। रामेश्वर बहुत छोटा शहर है। वहाँ की परम्परा में दक्षिण भारतीय शैली की स्पष्ट छाप थी। यात्रा के दौरान पूरी बस मछली की दुर्गन्ध से भर गयी थी लेकिन जब समुद्र तट पहुचे तो सारी थकान मिट गयी और मन प्रसन्नता से भर गया। समुद्र के बीच में कई सारे जहाज थे। वहाँ सागर की लहरो के स्पर्श से मन प्रसन्न हो उठा। लौटते वक्त सभी के मन में धनुष कोटि ना जा पाने की कसक थी।
शाम को सब रामेश्वर मंदिर दर्शन करने गये। दूसरे दिन सब मंदिर, अब्दुल कलाम के घर दूरदर्शन गये। वहाँ शंख और सीप की बहुत बड़ी और सस्ती मार्केट थी।अब्दुल कलाम जी के बडे भाई से मिलने का अनुभव काफी अच्छा रहा। सभी ने उनके साथ फोटो खीचायी। अगला पड़ाच चेन्नई था।
चेन्नई जाते वक्त रास्ते में पावन ब्रिज की यादगार यात्रा की। मान्यता है कि यह वही ब्रिज है जिस पर चढकर भगवान रामचन्द्र जी लंका गये थे।
चेन्नई- खिचड़ी की सुबह 9 बजे के आस पास लोकल टेªन से (पोंगल) के दिन सभी चेन्नई पहुचंे पर चेन्नई में पोंगल की 3 दिन की छुट्टी रहती है अतः कहीं घूम नहीं पाये। शाम को चेन्नई में राष्ट्रीय स्वंय सेवक के आफिस गये। वहाँ उन्होनें सुनामी राहत कार्य की टेप दिखायी। उसी रात प्रसिद्ध मारिना ब्रिज गये पर रात होने के कारण वहाँ ठीक से घूम नहीं पाये। रात खाना खाया व घरों को फोन किया। अगले दिन चेन्नई से तिरूपति के लिए निकले।
तिरूपति- 15 जनवरी की शाम 6 बजे तिरूपति पहुचें। वहाँ दर्शन के लिए बुकिंग करायी। रात्रि 1 बजे उठकर सब दर्शन के लिए निकले पर भगवान तिरूपति की इच्छा नहीं थी। मंदिर तक पहुचँ कर बाला जी के दर्शन नहीं हो पाये। पद्यमावती देवी के मंदिर में भी मेरी तबियत भारी थी और शायद माता की इच्छा नहीं थी। हम लाइन में नहीं लगे और दर्शन नहीं हो पाये। शाम को तिरूपति के प्रेस आन्ध्र ज्योति गये। वहाँ अखबार कैसे छपता है यह देखा गया। तिरूपति में भगवान बाला जी को बाल चढ़ाऐ जाते हैं ज्यादातर लोग सिर मुडाये थे।
तिरूपति में टूर खत्म होने का एहसास भी हो रहा था क्योकि अगला पड़ाव पुरी था और भुवनेश्वर का था जो टूर के अंतिम स्थान थे।ं
पुरी भुवनेश्वर- यात्रा का अन्तिम पड़ाव भगवान जगन्नाथ का धाम पुरी था। वह नगरी अनुठी है। वहाँ का समुद्र सबसे सुन्दर था। ट्रान्टी की कांफ्रेस हुयी। औैर वही से एक बस रिजर्व करा के हम सबने भुनेश्वर घूमा। नन्दन कानन का नाम बहुत सुना था। पर वहाँ के अनोखे अजूबे जानकर देखने का सौभाग्य पहली बार प्राप्त हुआ। ज।न मंदिर, लिंगराज मंदिर व उदयागिरी- धवलगिरी की पहाड़िया देखी। काॅर्णाक मंदिर में पहुँचे। अतः उसे अन्दर से नहीं देख पायें। बाहर से ही देखकर सन्तोष करना पड़ा। अंतिम दिन सभी ने बढ़िया रेटोरेन्ट में लन्च किया व पुरी से यादगार शाॅपिग की। वहाँ पर्स व बैग बहुत सस्ते थे। और 21 जनवरी की सुबह वापसी थी। दिल में अनोखे ख्वाब सजाये। खट्टी-मीठी यादे बसाये। कुछ पल खास लिए, यादो के एहसास लिये। हम सभी 22 जनवरी की सुबह वाराणसी वापस आ गये।  यह शैक्षणिक भ्रमण काफी रोमांचक, दिलचस्प व शिक्षाप्रद रहा। जीवन के कई अनुभव प्राप्त हुये। जहाँ एक ओर धार्मिक दृष्टि से तीन धामों की यात्रा का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अक्षरधाम मंदिर, तिरूपति बाला, मिनाक्षी मंदिर, पद्यनाभन जैसे दुर्लभ और ऐतिहासिक मंदिरो को देखने को मिला। तो दूसरी डेली थंाथी, आंध्र ज्योति जैसे प्रेसो से नयी तकनीक सीखने को मिली। स्वरूपानन्द स्वामी पुरी के ट्रस्टी, गुजरात वैभव के सम्पादक, चेन्नई राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से काफी कुछ अनुभव व ज्ञान की बाते पता चली। कुल मिलाकर यह शैक्षणिक भ्रमण अनुभव, ज्ञान व रोमांच की अनोखी त्रिवेणी रही। यह यादो का यादों का सफर काफी यादगार रहा।
  डाॅ साधना श्रीवास्तव






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Monday, July 13, 2020

Lockdown story-1 कुबेर का खजाना

स्टोरी -१

                        कुबेर का खजाना


शाम को चाय का कप लेकर बैठे रागिनी और सुमित डूबते सूरज को देख रहे थे

आज दिन भर के काम से लैपटॉप पर बैठे-बैठे सुमित के सिर में दर्द हो गया था ऐसे में रागनी की हाथों की कड़क चाय सुमित को बहुत आराम दे दी एक चाय की प्याली में सुमित की सारी चिंताएं दूर कर दी थी,
रागिनी एक समझदार पत्नी मां के साथ-साथ शहर के एक प्रतिष्ठित स्कूल स्कूल की शिक्षिका शिक्षिका थी तो वही सुमित सॉफ्टवेयर कंपनी में इंजीनियर उन दोनों के सुखी परिवार को कोरोना की जैसे नजर सी लग गई थी एक और जहां बेटे वैभव के अच्छे स्कूल में पढ़ाने की फीस की चिंता थी तो वहीं दूसरी ओर सुमित की कंपनी ने सुमित के ऊपर काम का बहुत ज्यादा डाल दिया था और आर्थिक संकट बताकर सैलरी आधी कर दी थी ऐसे में रोशनी की ऑनलाइन क्लासेस से होने वाली कमाई से थोड़ा सहारा था,


रागिनी ने सुमित से धीरे से पूछा सुमित क्या आपके पास अभी ₹5000 हैं

इतने पैसों का क्या करोगी अभी तो करो ना कल चल रहा है तुम्हें तो पता ही है की पैसों की कितनी दिक्कत है थोड़ा हाथ दबा कर चलो

रागिनी ने कहा मुझे अपने लिए नहीं चाहिए वह जो काम वाली शीला ताई है उनको देना है

शीला ताई देना है क्यों वह तो काम पर भी नहीं आ रही है और तुमने उनके वेतन भी बिना नाम के ना आए दे दिया है फिर अब क्यों इतने पैसे


रागिनी ने संकोच से कहा शीला ताई को स्मार्टफोन लेना है

सुमित को गुस्सा आ गया यहां खाने और जान के संकट पड़े हैं और शीला तारीख को स्मार्टफोन लेना है और तुम्हें क्या लगता है हम लोग कुबेर का खजाना रखे हैं

रागिनी ने संकोच से कहा ऐसा नहीं है मैं भी समझती हूं हमारा वैभव तो ऑनलाइन पढ़ाई कर ले रहा है लेकिन शीला ताई बेचारी इतनी गरीब है कि अपनी बेटी को जैसे-तैसे पढ़ा रही थी अब ऐसे में उनकी बेटी ऑनलाइन कैसे पड़ेगी उनके पास तो पुराना मोबाइल है

सुमित सोच में पड़ गया हां बात तो सही है लेकिन हम भी क्या करें तुम्हें तो पता है पैसों की आर्थिक दिक्कत

तो अब आप बताएं कि अगर आप सुमित रागनी की जगह होते तो शीला ताई की मदद कैसे कर पाते और शीला ताई की बेटी जैसी उन हजारों लोगों को कैसे ऑनलाइन शिक्षा से जोड़ पाते... 


 Dr sadhana Srivastava

Smile,hope dearm- sadhana ki sadhana



https://youtu.be/iI20295iTjk

Thursday, July 9, 2020

Diwali नहीं एकता की परम्परा निभाई है

 दीया जलाकर दिवाली नहीं मना मनाई है
 बढ़ाया है हौसला और हिंदुस्तान से मोहब्बत निभाई है
जब हालात कठिन हो और मन थोड़ा डरा हो उस वक्त खुद की रोशनी से मुलाकात कराई है रोशनी से उन मेहंदी लोगों की हिम्मत बढ़ाई है
जो करोना के काम वीर हैं उनकी की हौसला अफजाई है
याद किया है अपने अपने ईश्वर को और अपनों को
कि बैठे हो तुम दूर कहीं पर दिल में
एक करीबी है जो वह निभाई है
एक दिया जलाकर दिवाली नहीं बनाई है
बल्कि दुनिया में भारत की रोशनी फैलाई है कहना चाहूंगी उनसे जिनको तो एतराज इस बात से एक दिया क्या कर लेगा मुश्किलों में हालातों से क्या वह अकेला लड़  लेगा
 कहना है उनसे सिर्फ इतना एकता की परंपरा बनाई है
हम सब भारतवासियों की हौसला अफजाई है कुछ ना कर सको तो
जो पल मिले हैं खुशियों के
उन पर ही कुछ ऐतबार करो
दिवाली ना सही  दिए पर रखो ऐतबार
करो हौसला रखो अंधेरा दूर होगा और जीवन में नया प्रकाश होगा करो ना हारेगा  और भारत जीतेगा जय हिंद जय भारत

कुछ पल घर में बिताया जाए

बढ़ गई थी दिलों में दूरियां चलो कुछ तो करीब आया जाए
बहुत हो चुकी दुनिया में भागम भाग
चलो कुछ पल सुकून से घर में बिताया जाए
दूर हो गए थे अपनों से
कुछ भागे थे ऐसे
सपनों के पीछे
ऐसे प्रकृति ने एहसास दिलाया सपने भी तो पूरे तभी होंगे
जब अपने होंगे
चलो खुद को ना सही अपनों को
बचाया जाए
थोड़े दिन को अपने ही घर में ठिकाना बनाया जाए
ना भटके बंजारों से इधर-उधर
बस कुछ पल राहत की सांस लें
अपनी-अपनी और प्रभु को याद
करें घर में ही कुछ आराम करें आराम क्या करें इस समय कुछ ऐसे बिताएं कि आने वाले पलों को याद करें
अच्छे बुरे कर्मों को बुलाया जाए इस मुसीबत से बचाए तो
करो
करोना से निपट जाए तो
नई जिंदगी के सपनों को फिर से सजाया जाए
चलो कुछ दिन तो अपने घर में अपनों के साथ बिताया जाए
घर में रहे चैन से नहीं अपनों के साथ सपने जिए
सपनों के लिए अपने होने चाहिए अपनों के लिए सपने घर से बाहर ना जाए
डाॅ साधना श्रीवास्तव

ना समझो को समझाया कैसे जाए

ना समझो को समझाया जाए कैसे
 पैसों के ऊपर जिंदगी को लाया जाए कैसे कागजों का खेल चलता है
ना समझो को समझाया जाए कैसे
 कोई रुकना नहीं चाहता
 इनको समझाया जाए कैसे काम सब हो जाएंगे अभी तनाव को निपटाया जाए कैसे डॉ साधना श्रीवास्तव

Girl wish

 मैं भी पढ़ना चाहूं मैं भी लिखना चाहूं
बनके आजाद चिरैया नील गगन में उड़ना चाहूं तुम ही तो बाबा मेरे सुन लो विनती मेरी मैं भी पढ़ना चाहूं मैं भी लिखना चाहूं जग में नाम करूंगी रोशन मेरी विनती सुन लो मैं भी पढ़ ना चाहूं मैं भी लिखना चाहूं
https://youtu.be/jPZM3FrTpdI

Poem korona

करोना से लड़ो ना उस से डरो ना आपस में नहीं जाति धर्म और राजनीति के लिए नहीं देश के लिए समाज के लिए अपने लिए और अपने अपनों के लिए अब तो एक रहो ना अब तो बागी बनो ना कह रही प्रकृति जो संदेश उसे समझो ...



करोना से लड़ो ना
उस से डरो ना आपस में नहीं
जाति धर्म और राजनीति के लिए नहीं
देश के लिए समाज के लिए अपने लिए
और अपने अपनों के लिए अब तो एक रहो ना अब तो बागी बनो ना कह रही
प्रकृति जो संदेश उसे समझो ना
करोना से लड़ो ना दिल से
एक थैंक्स उन सबको कहो ना जो आज भी लड़ रहे है करोना से
अब तो आपस में झगड़ों ना प्यार से रहो ना
करोना से लड़ो ना
अपने लिए ना सही तो अपनों के लिए कुछ दिन घर पर तो रहो ना
डॉ साधना श्रीवास्तव

Tuesday, July 7, 2020

Poem - shiva

 कण-कण में बसते हैं शिव
जन-जन को रचते हैं
शिव मनोकामना पूरी करते हैं
शिव सृजन भी करते हैं विध्वंस भी करते हैं 
विष्णु ने पूजा ब्रह्मा ने पूजा
सभी देवी देवताओं के वंदनीय है शिव
ना महलों में बसते हैं ना भवनों में बसते हैं
शिव क्या करूं कैसे करूं
 प्रशन प्रसन्न उनको जो जग के हैं
स्वामी उनको क्या करूं अर्पण और समर्पण
शिव को कंदमूल भी हैै प्रिय
तप कर्म समर्पण में निष्ठा
छल कपट से .परे हैं शिव
शिव सच्ची श्रद्धा है शिव
बहुत ही भोले हैं शिव
मानवता में बसते हैं शिव
शिव को पूजना है तो मानवता की सेवा
प्रकृति की सेवा
जीवन के मूल को समझना ही सच्ची श्रद्धा है सिर्फ कण-कण में बसते हैं सब जन जन को रचते हैं शिव
 डॉ साधना श्रीवास्तव

Short story - life

जिन्दगी
संदीप एक लड़की शिवानी से प्यार करता था। शिवानी का सपना डाक्टर बनना था। अपनी मेहनत के बल पर उसका एडमीशन भी मेडिकल कालेज में हो गया। हम बहुत खुश थे। वह मध्यमवर्गीय परिवार की सीधी-साधी लड़की थी। शिवानी ने कहा था जब वह डॉक्टर बन जायेगी तब संदीप से शादी करेगी। उसका एडमीशिन भी हो गया। मेडिकल कालेज में रैगिंग के नाम पर कुछ अजीबों-गरीब हरकतों  सवालों का जवाब  दे पायी। वह बेचारी उस महौल में खुद असहज महसूस करने लगी। रैगिंग से बचने को उसने आत्महत्या कर ली। संदीप उसकी मौत सह नहीं पाया। सदमे से गुमसुम हो गया। बार-बार लगता काश मैं शिवानी को बचा पाता। काश शिवानी जैसी होनहार लड़की को खुदकुशी  करनी पड़ती। उसके बिना एक दिन भी जीना मुश्किल था। मेरी हालत पागलों सी हो गयी। तब संदीप की मॉ ने संदीप को रास्ता दिखायाहौसला बढ़ाया।
संदीप की मां ने कहा-जानती हैं आत्महत्या करने वाला यह भूल जाता है कि अपने चाहने वालों को कितना दुख होता है। तिल-तिल कर मरने को मजबूर हो जाता है। शिवानी की खुदकुशी ने मुझे तो तोड़ा ही साथ ही दुनियावालों को लगा कि उसका चरित्र ठीक नहीं। उसकी छोटी शुभांगी से शादी को कोई लड़का तैयार  होगा। तब मॉ जी ने शुभांगी के पापा को मनाया। संदीप और शुभांगी की शादी हो गयी। शिवानी की कमी तो कभी पूरी नहीं हो सकती है। पंरतु उसकी बहन का घर बसाकर संदीप बहुत तसल्ली हुयी। सच हारने में नहीं जिन्दगी का मजा और सुख तो दूसरों के सपने पूरे करने में है।
डॉ. साधना श्रीवास्तव

Short play - ye hmari life hai


यह हमारी लाइफ है
                  यह हमारी लाइफ है

जैसे-जैसे ट्रेन कानपुर स्टेशन छोड़ रही थी, वैसे-वैसे सपना को मंजिल करीब नजर आ रही थी। उसकी आँखों मंे हजारों सपने एक बार फिर झिलमिला उठे।
सपना ने इंटर की परीक्षा पास की हैं। यू0पी0 बोर्ड से उसने जिला टाॅप किया था। आंखों में हजारों सपने लिये सपना ने शहर के सबसे बड़े कालेज में कृषि विज्ञान से स्नातक के लिए एप्लाई किया था।
दृश्य-1
 सपना जब हास्टल पहुची तो उसकी  रूममेट महक ने उसका स्वागत किया।
महक ने सपना स्वागत है तुम्हारा इस नयी जिन्दगी में
सपना- स्वागत का बहुत धन्यवाद महक
आचनक हास्टल के एक रूम से बहुत लड़कियों के बात करने की और हल्के म्यूजिक के शोर की आवाज आने लगी और उन्हीं आवाज के बीच एक महिला की तेज आवाज में डाॅटने की आवाज आयी जो कि  हाउस कीपर की सख्त आवाज थी।
हाउस कीपर-’’इतना शोर क्यों हो रहा यहाँ से तुम लड़कियों शांन्ति से नहीं सकती।
चलो नीचे चलो वार्डन मैम आॅफिस में बुला रही है आज से आपकी नयी वार्डन ज्वाइन किया है?’’
अचानक बिल्कुल शांति का माहौल.............
फिर एक स्वर में लड़कियों की आवाज
यह मैम हम लोग आते है, आप चलिए।
सपना भी महक के साथ वार्डन के रूम की ओर गयी।
रास्ते में फिर लड़कियों के कानाफूसी की आवाज...................
’’यार आज तो ज्यादा हल्ला हो गया’’
हो यार, कही मैम घर फोन न कर दें’’
’’क्या करेंगी कुछ नहीं’’
’’हाँ’’ और ’’नहीं’’ तो क्या ये हमारी लाइफ है.............
शंाति से डाॅट सुन लेगे...........और फिर वापस जिदंगी शुरू’’
’’चलो पहले नयी वार्डन से मिले तो...................
लड़कियाँ जब वार्डन रूम में पहुॅची तो उन्होनें वहाॅ पुरानी मैडम ही बैठी थी।
-’’ कहाँ है मैम आॅफिस में तो सिर्फ पुरानी वाडेन में बैठी है,
महक ने  खिड़की से देखा’’
हाउस कीपर मुस्कुराते हुए ’’अरे अपने पीछे देखो जहाँ लड़कियों खड़ी आपस में कानफूसी कर रही थी वही सीढ़ी के पास तो नयी मैम खड़ी थी।
लडकियों की आवाज-’’गुड मार्निग मैम’’
’’ -’’साॅरी मैम’’
’’ -’’मैम आप तो बहुत यंग हो’’
’’ -’’हाँ हमें तो बहुत नयी लड़की होगी’’
’’ -’’मैम आप नाराज मत होना।’’
वार्डन मैम की आवाज-हँसते हुए-’’ थैक्स - थैक्स कोई बात नहीं तुम कैसे पहचानती यह तो मेरी उम्र कम है जो तुम सब में मिल गयी। यह मेरी पहली जाॅब है हम भी अपना घर छोड़कर इतनी दूर आये है, तुम सबके लिए।
चलो तुम सब वाडेन रूम में आओं........
सबके एक साथ चलने की आवाज...........
दृश्य-2
तो यह आपकी नयी वार्डन है, खैर मैं तो आज से जा रही हूँ और नये  वर्ष की ढेरों शुभकामनाएँ ये है..........ये है..............(नाम भूलने की अदा)
बाल पकड़ते हुये नयी वार्डन..............
मैं हूँ मिस रीना.........आज ही ज्वाइन किय हमारी मुलाकात तो बाहर हो चुकी है।
’’जी मैम’’-लड़कियों का एक स्वर में जवाब।
वार्डन-’’ तो ध्यान से सुनो यह भी आप लोगों का एक घर है। इसे साफ रखना, आपस में प्यार से रहना और नियमों का पालन करना। लड़कियों हम एक  परिवार है सब अपने घरों से दूर रहते है।
लड़कियाँ-’’जी मैम हम आपको शिकायत का मौका नहीं देंगे।
वार्डन-’’ यह हाॅस्टल शहर से दूर है तो इस शहर से दूर है तो इस बात का विशेष ध्यान रखना कि शाम 7 बजे तक सारी लड़कियाँ हाॅस्टल वापस आ जाये। देर तक बाहर ना रहे...................बिना सूचना, एटलीकेशन दिये बाहर ना जाये।
दिवारों और हास्टल की सफाई का ध्यान रखे। अब आप सब जाइये आपको कोई शिकायत या परेशानी हो तो शिकायत पटी में लिख कर डाल दे। आपकी शिकायत पर तुरंत कार्यवाही होगी। मेरा फोन नं0 नोटिस बोर्ड पर है आप कभी भी किसी भी समय फोन कर सकती है और हाँ एक बात जरूर ध्यान रखियेगा सभी लड़कियाँ अनुशासन का विशेष ध्यान रखेंगी।
लड़कियों के स्वर में-’’थैक्यू मैम, हैव ए नाइस डे हम चलते है।
हाउसकीपर की आवाज--’’वार्डन मैम आप जरा बचके रहियेगा।
वार्डन मैम ’’हँसते हुये’’- सब बच्चे है आप चिन्ता न करें। अग मुझे इतना अपना घर याद आता तो यह तो मासूम है कोई अपराधी नहीं।’’
दृश्य-3
जल्दी ही वह दोनों अच्छी सहेली बन गयी । दोनो विपरित स्वभाव के होने के बाद भी एक दूसरे की हमदर्द थी ।

सपना-’’यार तुम तो मुझे छमू लमंत पार्टी घूमाने वाली थी।..........अब क्या?
महक-’’अब क्या अब भी चलेगे, तुम बस तैयार रहना।
सपना-’’पर कैसे पार्टी तो रात को होती है और हम सात के बाद बाहर नहीं रह सकते’’
महक यार तुम लोग तो बेकार में चिन्ता कर रही हो मैम डाटेगी और वापस फिर से अपनी जिन्दगी फिर से अपनी जिन्दगी शुरू.......ये हमारी लाइफ है।
सपना-’’यार तुम जो जानती हो इतनी देर बाहर रहने का नियम नहीं है।
महक- यह नियम कायदे नाटिस बोर्ड पर चिपकने को होते है हमारे लिए नहीं’
सपना-क्या कह रही हो, हम कैसे मैनेज करेंगे?
महक-’’ हम है तो क्या गम है? हम तो इस हाॅस्टल के अन्दर होली खेल चुके है, मेरा कोई काम रूकता नहीं...........तुम्हें डर लग रहा तो सोच लो मेरा तो हर पार्टी अटैंड करने का प्रण है और मैं कँरूगी।’’
सपना-’’ पर कैसे?’’
महक-’’ वह मुझ पर छोड़ दो, बस तुम बताओं तुम्हें चलना है या नहीं’’?
सपना-’’ हाॅ लेकिन कैसे?’’
महक-’’ वह तुम मुझ पर छोड़ दो। हम सुबह-सुबह ही हास्टल में एपलीकेशन देकर चले जायेगे और फिर पूरा दिन अपना, यह हमारी लाइफ है। दिनभर मस्ती करेंगे। मेरे ब्यायफ्रेन्ड आकाश ने सब प्लान कर लिय है वह अपने दोस्तों को छमू लमंत पार्टी दे रहा और मैं उसमें शामिल न हूँ यह हो नहीं सकता।
सपना-’’मै तो पहली बार किसी ऐसी पार्टी में जाऊँगी जहाँ लड़के होगे?
महक-’’लाइफ में हर काम पहली बार होता है। लाइफ मोबाइल बिना और पार्टी लड़कों बिना सूनी होती है मेरा नाम है महक और मैं अपनी लाइफ किसी बंधन में नहीं जी सकती।
सपना हँसते हुए हाँ यह हमारी लाइफ जो है।
दृश्य-4
-’’हैलों आकाश की आवाज
-’’हैलो -महक
-’’यार एक प्राब्लम है, देर रात तक पार्टी की परमिशन नहीं, ध्वनी प्रदूषण वालों ने वैन लगाया है, तुम्हें रात हाॅस्टन लौटना होगा।’’
महक-’’क्या यार ये प्रदूषण वाले क्या जिदंगी। में नरक करते पूरी पार्टी का मजा खराब करते। रात में हास्टल कैसे जाऊँगी। सपना भी होगी, नयी वार्डन भी आयी है। इसमें तो अच्छा हम न आये।’’
आकाश-’’नहीं-नहीं तुम्हें आना होगा तुम्हारे बिना कैसा छमू लमंतघ् मैं तुम्हें अपनी कार से वापस हास्टल छोड़ दूगां’’ तो हम मैनेज कर सकते हैं।’’
आकाश-’’यह हुयी न बात-----

दृश्य-5
दृश्य-डिस्क
कलाकार- भीड़ ,, डिस्क का शाॅट

पार्टी अपने पूरे रंग में थी हल्का गाना, मस्ती डांस का महौल।
महौल के बीच महक डिस्क बार में थिरक है। झूम रही है।
बैकग्राउड से गानों की आवाज.......................
महक- ’’कैसी लगी पार्टी’’
सपना- ’’बहुत अच्छी, बहुत मजा आया।
अचानक टेबुल की ओर इशारा करती, बिन्दास महौल थिरकते कदम, हल्की इस्माइल, खुशदिल महौल में अकाश को आवाज देती।
महक- आकाश , आकाश
टेबुल से आकाश - ‘‘या महक’’
महक- ‘‘आ ना डांस करते है’’।
आकाश - नही यार मैं थक गया हूॅ।
महक- क्या थक गये इतने जल्दी आ ना कितना मजा आ रहा, आ ना
आकाश के पास खीचतीं सी..............
आकाश भी उठ कर आ जाता है।
दोनों डांस करते है...................
अकाश- वाॅव महक तू कितना अच्छा डांस करती।
महक- ‘‘अच्छा-वच्छा का पता नही, बस आई लव यू डांस’’ बचपन से किसी से यह कह पायी ना कभी खुल कर यह आजादी।
महक- ‘‘बस आज की रात दे दो कुुछ पल दे दो, कल से तो मैं गाॅव जा रही, फिर पता नही कब मुलाकात हो?
आकाश - ‘‘रोज-रोज’’
आकाश महक को टेबुल के पास ले जाता, आंखें बन्द करों।
महक- ‘‘क्या है, बताओं ना?
आकाश प्लीज आॅखें बन्द करों ना , प्लीज।
महक आॅखें बन्द करती है।
अर्पित अब हाथ आगे करों।
महक हाथ आगे करती है।
आकाश उसके हाथ में दो मोबाइल रखता है।
महक- आॅख खोलती- ‘मोबाइल’?
संदीप - आॅख के इशारे से हां करता है, फिर प्यार से महक का हाथ पकड़ कर कहता- ‘बाबू, मैं भी तुम्हारे बिना जी नही सकता, तुम मेरी आदत जरूरत, चाहत बन गयी हो, मैं जानता हूॅ कल से हम अलग हो रहे, कालेज, पढ़ायी, मस्ती, सब खत्म..............बस होगी तो यादें।
महक- ‘‘तब ही तो मै। आज और पल तुम्हारे साथ जीना चाहती। थैंक्स।
संदीप - किस बात का?
‘‘मोबाइल का’’ महक
‘‘तो तुझेे क्या लगता है कि मैं जी सकता तुम्हारे बिना रह सकता बिना बात किये रह सकता, अच्छा सुन यह देख मैं सारे फंक्शन समझा देता तुम्हें’’
महक- हॅू।
देख यह कैमरा है, यह रेडियों, गाने और रात 12 से सुबह 6 तक फ्री रहेगा।
महक- अच्छा।
आकाश - अच्छा तुम ठीक से बैठों, तुम्हारी एक फोटो लेनी है।
महक- अच्छा रिकार्डिंग भी’
आकाश - हाॅ
महक खुशी से बच्चों की तरह उदलते हुए डांस फ्लोर की ओर- ‘‘प्लीज मेरे डांस की रिकार्डिंग कैसी लगती हॅू’’।
आकाश - अरे हो।
और महक के डांस को रिकार्ड करने लगता।
महक और मस्ती से डांस कर रही, खिला-खिला। गुनगुना रही।
आकाश अचानक बेटर को आवाज देता- ‘बेटर’
आकाश यह फोन पकड़ और हमारे डांस की रिकार्डिंग कर’ मोबाइल वेटर को देते हुए स्टेज की ओर भागता है’’।
वेटर मुस्कुराता हुआ रिकार्डिंग करने लगता है।
थोड़ी देर बाद दोनों टेबल पर आकर बैठते है।
आकाश - आज का दिन बहुत खास है।
महक- मेरे लिए भी कल से ना जाने कैसे रहूंगी।
आकाश - चिंता न कर पागल मैं जल्दी कोई अच्छी नौकरी खोज लूंगा, फिर आऊंगा। ना तेरे बाबा से हाथ मागनंे।
महक- ‘‘सच्ची मुझे भूल तो ना जाओगें।
आकाश उसके होंठों पर अंगुली रखकर...........मरते दम तक नही।
महक- जानती हूं कि तुम मेरा हर महक पूरा करोंगे मेरा साथ कभी मत छोड़ना।
आकाश - कभी नही।
महक के हाथांे पर हाथ रखकर।
‘‘अब चल बहुत देर हो रही । अकाश
अचानक महक टेबुल पर रखे गिलास को झटके से दी जाती।
आकाश - यह क्या यार टाªई करने के ठीक, यह एक साथ पूरा गिलास नही.....................
महक- हल्के नशे में.....
पहले तो लत लगाते, फिर दूर जाने की बात करते, मुझ गवार को छोड़ेगे नही।
आकाश - पागल तुझे चढ़ गयी है, चल घर चल। ठीक है हम बड़े शहर मंे रहते, पर पले-बढ़े तो गाॅव की मिट्टी में हैं। अब घर चल।
महक टेबुल पर रखपे मोबाइल को पर्स में रखते हुए आकाश का सहारा लेते हुए बाहर जाती है।
वेटर जाते-जाते पीछे से साहब-टिप। यह आपका मोबाइल हा यार जल्दी-जल्दी में भूल गया।
आकाश जब से उसे पैसे निकाल कर दे देता, अचानक उसके जेब से कुछ पर्चा गिरता जिसे वह बिना देखे निकल जाता।

दृश्य-6
बाकी सब तो अपने घर चले जाते है। सपना भी हाॅस्टल को निकल जाती है लेकिन महक ने जोश में इतनी पी ली कि अपने होश खो बैठी । आकाश महक को अपने साथ ले जाता है।
सड़क पर बाइक दौड़ती............
आगे आकाश पीछे नशें में महक............
महक- थैंक्स आज मैंने भी तुम्हारी वजह से एक शहरी लड़की की जिन्दगी जी।
आकाश - थैंक्स मत बोल तेरा महक पूरा करना मुझे भी अच्छा लगता............... काश मैं तुम्हारे हर अरमान पूरे कर सकूं।
महक- अरे प्लीज आज हास्टल नही।
आकाश - क्योें?
महक- मैं इस हालात, कपड़ों में हास्टल गयी तो वार्डेंन मैंम मार डालेगी।
अकाश- फिर कहां।
महक- कही भी, बस हास्टल नही........आज मैंने बोल दिया है कि रात मैं एक दोस्त रहूंगी।
अकाश- बे ऐसा क्यांे।
महक- आज की रात मैं तुम्हारे साथ रहना चाहती। हर पल.तुमने भी कल कहा था।
अर्पित- लेकिन मैं अब तुझे लेकर कहां जाऊं, भावनाओं में बहककर कह दिया।
महक- लेकिन मैंने तो तुम्हारी ख्वाहिश को पूरा करने ऐसा किया।
अकाश- लेकिन मैं इतनी रात तुझे कहां ले जाउ।
महक- कही भी लेकिन हास्टल नही अच्छा चलों अपने रूम ले चलों।
अकाश- आर यू श्योंर  पक्का।
महक- नशें में झूमती पक्का।
दृश्य-7
कमरे का लाक टटोलते हुए अकाश अन्दर आता, पीछे-पीछे महक
बेड के बगल में महक की फोटो फ्रेम में
महक- ‘‘मेरी फोटो‘‘
अकाश- हाँ तुम्हें देखे, सोचे बिना नींद ही कहाँ आती
महक- सच
अचानक रूम का बिखरा सामान देख ठीक करती, लड़खड़ाते
कदमो से..........
अकाश- उसकी रिकाार्डिग फिर करने लगता?
महक- यह क्या?
अकाश- मेरे कमरे में कुछ हसीन यादों को इस मोबाइल
में कैद करना चाहता......
महक- मुस्कुराने लगती........ हसी की आवाज
अकाश- अचानक मोबाइल आॅन करके साइड टेबुल पर रख
देता, और धीरे से महक के करीब आता
‘‘जान हमेशा यूॅ ही मुस्कुराना‘‘
महक- ‘‘तुम भी ऐसे ही हमेशा साथ देना
दोनो की नजदीकियाॅ बढ़ती है।
गाना बज रहा।
आचनक आकाश बोला - ’’मजा तो तुम लोगों के रहने से रहा वरना यह पार्टी, मस्ती सब बेकार....................अच्छा यह बताओं हाॅस्टल में क्या बोला?
’’अरे तेरी भूल गयी...........महक
क्या करती हो मैम को फोन लगाओं...............
महक ’’आकाश म्यूजिक बंद कर दो मिनट को’’
ट्रिन,ट्रिन......................(खामोशी में मोबाइल की रिंग...............)
हैलो................वार्डन की आवाज
’’ मैम हम जाम में फँस गये है, आने में देर होगी।’’ महक
’’ बेटा तुम्हें समय से आना चाहिए था जानती हो ताकि हास्टल का रास्ता कितना सुनसान है। अच्छा होता अगर आप लोग वही अपनी आंटी के यहाँ रूक जाते।
’’नहीं हम रास्ते में है आप परेशान मत हो हम गाड़ी से है ...................साॅरी मैम आगे से हम ऐसा नहीं करेंगे।’’
वार्डन मैम परेशान होतु हुए-’’ तुम सब समझते नहीं तुम्हें कुछ हो गया तो हम तुम्हारे माता-पिता को क्या जवाब देंगे। हम जाग रहे है तुम जल्दी आओं’’
’’जी मैम’’ महक
फोन रखते हुये वार्डन मैम का बुदबुदाना-’’ यह लड़कियाँ भी समझती नहीं--- कहाँ फँस गये ये वार्डन की नौकरी तो ..........लेकिन हम वार्डन का दर्द समझता कौन? कोई होनी अनहोनी हुयी तो ले दे के इल्जाम वार्डन पर आ जायेगा।
महक- ’’म्यूजिक शुरू’’.........
फिर वहीं हल्ला मस्ती अब तक उसका नशा भी कम होने लगा था, उसे माॅ- पापा के नाम से ही डर लगता था।
डरते-डरते आकाश से बोली - जल्दी हास्टल छोड़ दो ।
दृश्य-8
टैªफिक का शोर-’’आकाश गाड़ी जल्दी चलाओं’’
महक-हाँ वार्डन मैम बहुत गुस्सा करेगी---
आज तो पक्का नोटिस है।
आकश-’’अरे यार जो होगा सो होगा अभी तो इन्जाय करों, सुनसान रात में लाॅग ड्रइव का मजा ही कुछ और होता है। थैक्स महक तुमने पार्टी में आकर मेरा छमू लमंत खुशियों से भर दिया।
आकाश का गुनगुना-’’ आने से तेरे आये बाहर तेरे जाने से तेरे जाये बहार.........
आकाश सामने देखो वह बाइक सवार ड्रिंक करके चला रहा है--बचों आकाश गाड़ियों के भीड़ने (एक्सीडेंट की आवाज)
दृश्य-10
वार्डन मैम-’’देखा तुम लोगों के झूठ बोलने का अंजाम’’
सपना रोते हुए-’’साॅरी मैम, प्लीज महक और आकाश को बचा लिजिये।
मैं क्या करूँ.... अब तो भगवान या डाक्टर ही कुछ कर सकते।

सपना- मैम प्लीज इसके पापा से कुछ मत कहना, वह पढ़ाई छुड़ा देंगे। उन्होंने लोन लिया है इसको पढ़ाने को....
 वार्डन मैम-’’ अब कुछ नहीं हो सकता । घर पर खबर तुम सबके जा चुकी है। सब आते ही होगे।
 आकाश और महक पिछले 7 घंटे से बेहोश है पता नहीं इतने भयानक एक्सीडेंट से बच भी पायेगें या नहीं। न जाने तुम सब समझते क्यों नहीं अनुशासन और नियम भलाई के लिए होते। कुछ पल की मस्ती और मजे के लिए अपनी जिंदगी को खतरे में डाल देते। खैर तुमने यह बहुत अच्छा किया कि इन सबको समय से अस्ताल ले ले आयी। यह आगे की सीट पर थे तुम्हारी किस्मत अच्छी थी जो इतने बड़े एक्सीडेंट से बाल बच गयी। बस मामूली चोट आयी है।
महक को होश आ गया-डाक्टर की आवाज अब कैसी हो? वार्डन की आवाज
महक रोते हुये-’’ बहुत कमजोरी लग रही और दर्द भी है साॅरी मैम माफ कर दो।
देर से सही लेकिन तुम्हें अनुशासन व जिन्दगी की कीमत तो पता चली।
मैम आकाश कैसा है?
डाॅक्टर ’’वह भी खतरे से बाहर है’’
वार्डन मैम- जो हुआ उस गलती से सबक लो। मैं तुम्हारें माता-पिता को समझा लूँगी। लेकिन फिर ऐसा मत करना।
नया साल, नयी सीख और नया जीवन मुबारक हो।

डॉ. साधना श्रीवास्तव

Writer sadhanaमेरी मंजिल तो पता है रास्ता कुछ मुश्किल है. अपनी लेखनी से लोगो के दिलो में उत्तर जाना है इस दुनिया और समाज से निराशा उदासी को भुला कर हौसलों के दिये जालना है. न हार हो न जीत का गर्व हम तो एक पथिक है चलते जाना है।

Poem rule of lockdown

 मन डरा डरा सा है हौसला गिरा गिरा सा है क्यों नहीं निभा रहे लोग नियमों को
  क्यों मौत से लोग आंखें निभाने को है तैयार हालात इतने बिगड़ रहे फिर भी नहीं लोग संभल रहे
कोई अर्थव्यवस्था संभाल रहा
तो कोई लॉक डॉन के नियमों की अनदेखी
मन डरा डरा सा है हौसला गिरा गिरा सा है
हम तो सब निभा लेंगे पर क्या सब यह कर ले जाएंगे ए दोस्तों जिंदगी है तो. सब कर लेंगे
थोड़ा तो इस तनाव कम करो थोड़ा तो वक्त की नजाकत को समझो तुम
थोड़ा तो हालातों को जानो
तुम थोड़ा तो हकीकत को पहचानो तुम
काम जो रूके रूके से हैं
सिर्फ तेरे ही नहीं वह सबके हैं जिंदगी होगी
तो सब संभाल लेंगे पर अभी जिंदगी तो बचा लो ऐ मेरे दोस्त लौट डाउन के नियमों को निभा लो
मत करो आपसी बहस मत करो आपसी संघर्ष
कुछ पल बैठो सुकून से कुछ पल तो अपने घर में
बिता लो मन डरा डरा सा है हौसला गिरा गिरा से है के नियमों को निभा लीजिए
डॉ साधना श्रीवास्तव

Education

पुराने अध्यापक को प्रशासन ने बदल दिया था।कक्षा में उदासी का वातावरण था, बच्चे चुप थे। किसी का पढ़ने में मन नहीं लग रहा था। उन्हें लगा नये अध्यापक भी पढ़ाने को नहीं आयेगे। आचनक शोर शांत हो गया।
अध्यापक क्लास में थे उन्होने तेजस्वी आवाज में कहा-‘‘शिक्षा समाज के सामाजिक आर्थिक विकास के लिये बहुत जरूरी है।इस बात का गवाह इतिहास है।शिक्षा का मुख्य लक्ष्य छात्रों को सामाजिक आर्थिक रूप से सक्षम बनाना है।शिक्षकों को अपने दायित्व का निवार्हन करना चाहिये,बिना किसी भेदभाव के स्वार्थरहित हो कर सभी छात्रों को पढ़ाना चाहिये और उनकी ज्ञान की क्षमता को विकसित करना चाहिये। अपने लक्ष्य निर्धारित करे सफलता जरूर मिलेगी।
बच्चे शांति से सुन रहे थे एक ने कहा-‘‘क्या फायदा नौकरी तो मिलनी नहीं मेरे भाई साहब तो बहुत पढ़े लिखे है लेकिन बेरोजगार है।‘‘
दूसरे ने कहा -‘‘बिल्कुल सही नौकरी तो परिचय वालो और पैसों वालो को मिलती है।‘‘
अध्यापक -‘‘आज के समाज को विकास लिये कपड़े,घर,कार या अन्य सुख सुविधाओं से ज्यादा आवश्यकता शि़क्षा की आवश्यकता है,इससे आत्मविश्वास आता है।अगर सभी अपना लक्ष्य लेकर चलें जिन्दगी की चुनौतियों से ना डर नहीं बल्कि अपनी आलोचना सुनते हुये,कठिन परिश्रम से आगे बढ़ते रहे तो सफलता अवश्य मिलेगी है।‘‘
उनके अच्छे से पढ़ाने से क्लास का रिजल्ट अच्छा आया । लेकिन अगले साल उनके स्थान पर किसी और को नौकरी मिल गयी। कुछ बच्चे उदास थे तो कुछ उपहास से देख रहे थे ।
परन्तु अध्यापक निराश नहीं था क्योकि उसे यकीन था कि जीवन भर सीखना ,प्रेरणादायक सपने और आंतरिक आत्मविश्वास शिक्षा से ही आता है जो आपके और आपके परिवार के सपनों को पूरा कर सकते है। अपनी शिक्षा और डिग्रीयों के साथ नये सफर को वह एक बार फिर तैयार था।
डॉ साधना श्रीवास्तव

Goddess of time

बात उन दिनों की है जब मैं हाई स्कूल में थी, उस साल के जो एग्जाम सभी पेपर बहुत अच्छे गये और आखिरी पेपर सामाजिक विषय II (दूसरा ) था।
सामाजिक विषय का प्रथम प्रश्नपत्र बहुत अच्छा गया था हम थोड़े से लापरवाह हो गये उस रात हम दो बजे ही सो गये जबकि रोज सुबह 4 बजे तक पढ़ते थे।
मेरी लापरवाही का यह नतीजा हुआ कि हम देर तक सोते रह गये आँख खुली, घड़ी देखी 7 बज रहे थे, जबकि 7 बजे एग्जाम शुरू हो जाता था।
हम घबड़ा गये, जल्दी-जल्दी बिना ब्रश किये ही बस ड्रेस पहन कर स्कूल भागे।
वहाँ रोल न0 के हिसाब से रोज रूम खोजना होता था, हम जल्दी-जल्दी अपना रूम खोजने लगे और जब रूम मिला तब तक 8.15 हो चुका था। टीचर ने मुझे बहुत डॉटा कहा कि अब क्या एग्जाम दोगी, जाओ घर जाकर मस्ती से सो जाओे,------
हम लगातार रोये जा रहे थे।
टीचर के हाथ-पैर जोड़कर कापी पेपर माँगा, अब सिर्फ डेढ़ घंटा बचा था, कुछ समझ नहीं आ रहा था, बस हम लागातार रोये जा रहे थे।
क्या लिखें ? क्या करें ?
जितना याद किया था, वो सब भी भुलने लगे कुछ याद ही नहीं आ रहा था क्या लिखे।
मेरी कापी के पन्ने मेरे जवाबो से नहीं आँसूओं से भीग रहे थे।
अचानक मेरे कानों में किसी के हँसी की आवाज आयी, मैंने आस-पास नजर उठाकर देखा कोई नहीं था, मैं अब लिखने लगी कि फिर वह खनकदार हँसी की आवाज मेरे कानों में पड़ी थी।
नजर घुमा कर देखा एक स्त्री हवा में तैर रही थी, जिसके बाल काफी लम्बे, घने, काले व खुले थे।
उसने बिलकुल सफेद रंग का लहंगा चुनरी पहना हुआ था वह हवा मेंं तैर रही थी।
उसका शांत चेहरा देखकर मुझे डर बिल्कुल नहीं लग रहा था।
वो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी, उसकी हँसी अब थम चुकी थी।
मैं एकटक उस स्त्री के चेहरे की जादुई कशिश को देखे जा रही थी।
उसने मुस्कुरा कर कहा-’’मैं समय की देवी हूँ, समय मेरे वश में है, जो इन्सान समय की परवाह नहीं करता, वो कितनी भी मेहनत कर ले पर वह सफल नहीं होता, लगातार कोशिशें, मेहनत सब तब ही काम करता जब लोग मेरी यानि समय की देवी की परवाह करते ..... इसी के साथ वो हँसती हुयी हवा में अदृश्य हो गयी।‘‘
और मेरी आँख खुल गयी, घड़ी देखा सुबह के पाँच बज रहे थे।
वो सब एक सपना था, मुझे देर नहीं हुयी थी।
देर होती भी कैसे मुझे जगाने समय की देवी खुद आयी थी । तब से हमने गाँठ बाँध ली।
हमेशा समय की कद्र करना सीख गयी। मुझे पापा और समय की देवी की सीख हमेशा याद रही, जिसके वजह से मुझे पढ़ाई में कभी दिक्कत नहीं आयी।

Way and distinction

 पथ और मंजिल

 पथिक तुम भटके हो  पथ से
या कोई  भ्रम तुमको है
बात तो सही है पथ भी सही है
फिर क्यों मंजिल दूर है
उलझे हो मन के झंझावातों में
उलझे हो या पथ के कांटो ने रोका है
जब मंजिल है इस पर स्थिर
तो तुम क्यों अस्थिर चकाचौंध है
जिसमें खो गए हो
इससे निकले की रोशनी की किरण
सवाल तो बहुत है जवाब सिर्फ तुम हो
अपनी उलझनों से निकलो
आगे बढ़ो कोई भी हो मंजिल तो पता है
फिर कैसे कोई चक्रव्यू क्यों रोकता है
आगे बढ़ो आगे बढ़ते रहो
आगे बढ़ते रहने से हिम्मत मिलेगी
पथिक तुम्हारा होगा मार्ग प्रशस्त 
यहीं पर तुम्हें देगा मंजिल का रास्ता
 पथ और मंजिल का है गहरा रिश्ता
यह रिश्ता तोड़ना ना मंजिल के पाने से पहले 
अपने पथ को छोड़ना ना
तुम्हारी मंजिल  है तुम्हारी
बस यही है और मंजिल की कहानी
डॉ साधना श्रीवास्तव

The girl

 वह लड़की
बहुत छोटी सी लड़की
जिसकी आंखों में नहीं हाथों में था पानी
हर राही से पूछ रही थी वह स्टेशन पर पानी बेच रही थी
थी नन्ही सी खुद भी जो प्यासी
फिर भी कर्म पथ की अनुरागी
कड़ी तपती धूप बड़ी थी
फिर भी जीवन से हार न मानी
उसके नन्हे बनने पर तो जलते थे
पर तो जलते थे पर हाथ तो सब की प्यास मिटाते
वही बगल में एक भिखारी मांगे भी
जिसको नन्ही लड़की दे गई थी सीख
लगन अगर सच्ची हो तो कुछ भी कर सकती है नन्ही सी बच्ची बूंद बूंद सब की प्यास मिटा दें कितनी मेहनत वह करती थी
हाल देख कर जग को सारे मेरी आंखो में आ गया था पानी
वह नन्ही सी लड़की पानी को बेच रही थी

Thursday, June 18, 2020

गीतों भरी कहानी एक बार फिर story about love, care and life




https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=119690973111414&id=100052115345251




https://youtu.be/0whAJ1gKpok


Full story

जिंदगी के मायने बताती एक परिवार की खुशियों का राज गीतों भरी कहानी एक बार फिर रौनक रूपाली का प्यार निकी और रौनक की भाई बहन की नोकझोंक और रामा और उनके पति का अतीत अपने आप में ढेरों राज समेटे कहानी एक बार फिर गीतो भरी कहानी सुनने के लिए लिंक पर क्लिक करें आपका प्यार साथ अपनापन ऐसा ही रहा तो आपको और कहानियां सुनने को मिलती रहेंगी पेश है  गीतों भरी कहानी----

 एक बार फिर

Saturday, June 6, 2020



https://youtu.be/xQR-GFHRXXk



Watch full webinar

MEDIA ETHICS DURING COVID -19 : PANDEMIC






SCHOOL OF HUMANITIES, JOURNALISM AND MASS COMMUNICATION
U.P. RAJARSHI TANDON OPEN UNIVERSITY, PRAYAGRAJ is inviting you for the scheduled Workshop.

Topic: MEDIA ETHICS DURING COVID -19 : PANDEMIC
Time: Jun 6, 2020 11:40 AM India

Join Zoom Meeting
https://us02web.zoom.us/j/5047788122?pwd=ZkhOVXFxZU1IUHpWYmUxQ2Y1eC9kZz09

Meeting ID: 504 778 8122
Password: prniti

*This link is only for guests and Speakers*
all the participants will join through YouTube live

If you have any Issues/queries




Hello,

SCHOOL OF HUMANITIES, JOURNALISM AND MASS COMMUNICATION
U.P. RAJARSHI TANDON OPEN UNIVERSITY, PRAYAGRAJ is inviting you for the scheduled Workshop

Topic: *MEDIA ETHICS DURING COVID -19 : PANDEMIC*

Time: June 6, 2020 12:00 PM Onward


We are looking forward for your presence in the webinar.
All the participants will be joining through YouTube. Even if you join through YouTube, you'll receive the e-certificate

https://www.youtube.com/channel/UCGukStZjvGJp1OaLB2J4Jjg/live

Note: Even if you join the webinar with YouTube, you'll be provided with e - certificate,
If you attend the Meeting via YouTube live, Do comment your Full name with your email id so that we can provide you with the e-Certificate

Or find the Live video on PR Niti's Youtube Channel Or Facebook page:

http://fb.me/prnitiofficial
https://www.youtube.com/channel/UCGukStZjvGJp1OaLB2J

Please share your questions in the YouTube comments sections which will be addressed in the later part of the session.

Saturday, May 30, 2020

[30/05, 11:56 pm] Sadhna Srivastava😃😃: https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSeaUx_sVMwpQTfUGHU408JKAOuRdGjGg8XI3aDLa2LXIXo7Sw/viewform?usp=sf_link
[30/05, 11:56 pm] Sadhna Srivastava😃😃: https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1074909892906374&id=787525588311474&sfnsn=wiwspmo&extid=bzN9m9YoGw3h84mz&d=n&vh=e

National  Webinar

                ON

*MEDIA ETHICS DURING COVID -19 : PANDEMIC*



*Organised by*

SCHOOL OF HUMANITIES, JOURNALISM AND MASS COMMUNICATION
U.P. RAJARSHI TANDON OPEN UNIVERSITY, PRAYAGRAJ

*Registration starts*: 30th May 2020

*Registration ends on*: 5th June 2020

*Event Date*:  6th June 2020

Time 12:00 PM Onward

*Mode of Conduction*: Through ZOOM Online Video Conferencing and YouTube Live

*Registration link*:
https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSevRX4FXOHFCUSgBYS-6WLXaadLJtdhesF5nfjwN-kfcc8ZRw/viewform

*Note:*
-> After successful completion of this E-Webinar you will get Certificate

E-mail id:- prniti.info@gmail.com

*Patron,*
PROF. K.N. SINGH
VICE CHANCELLOR
UPRTOU, PRAYAGRAJ

CHIEF GUEST

*Mr. Jagdish Upasane*
Former editor, Panchjanya
Former VC : MCRPSV, Bhopal


Keynote Speaker
*Mr. Tarun Vijay*
Former Editor Panchjanya
Former Rajya Sabha Member

Special Guest
*Navyjot Randhawa*
Eminent Anchor (Aaj Tak & news 18)


Seminar Director
*Prof. RPS Yadav*
Director, School of Humanities,UPRTOU


Conevener
*Dr. Satish  Chandra Jaisal*
Assistant Prof. JMC, UPRTOU


Organising secratary
*Dr. Sadhana Srivastava*
Assistant Prof. JMC, UPRTOU

Thursday, May 21, 2020



                        कोरोना संकट और   जनसंपर्क



वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में एक गंभीर बीमारी और महामारी के रूप में उभरे कोरो ना का संकट सभी समझ रहे हैं

इस दौर में जनसंपर्क को समझना बहुत आवश्यक है जनसंपर्क के जरिए हम इस कार की चुनौतियों को भलीभांति समझ सकते हैं और और संवाद के जरिए समाधान भी पा सकते हैं



 जैसा कि हम हम सब जानते हैं सरकार ने मोबाइल फोन की रिंगटोन से लेकर हर वह साधन जिससे संचार हो सकता है चाहे वह विज्ञापन हो समाचारपत्र हो मीडिया हो सोशल मीडिया हो या व्यक्तिगत पहुंच द्वारा लोगों को समझाना संचार को ही करो ना से युद्ध का सबसे सशक्त हथियार कहां जा सकता है जानकारी ही बचाव है यह मूल मंत्र और बार-बार माननीय मोदी जी का राष्ट्र के नाम संदेश मन की बात और लोगों को जागरूक बनाना समाधान है



किसी भी झगड़ा लड़ाई का हल आपसी बातचीत संवाद है  जिसके लिए जनसंपर्क आवश्यक है लेकिन वर्तमान में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए जनसंपर्क कर पाना कितने संभव है यह एक विचारणीय प्रश्न है परंतु यहां यह बता देना अनिवार्य है कि जनसंपर्क का तात्पर्य व्यक्तिगत रूप से मिलकर या भीड़ के बीच में जाकर ही अपनी बात रखना नहीं है बल्कि वर्तमान में ऐसे अनेक संसाधन है जन संपर्क कर सकते हैं और अपनी बातों को पहुंचा सकते हैं कोरोना संकट में जन संपर्क और संवाद बचाव का सब तैयार है सशक्त हथियार है मजदूरों के साथ सही संवाद स्थापित हो जाता तो शायद जो प्रवासी मजदूरों का संकट है वह इतना गंभीर स्वरूप ना लेता वहीं दूसरी ओर कोटा से बच्चों को लाना जनसंपर्क का धारण कहा जा सकता है कोरोना संकटकाल में सरकार ही आम जनता तक प्रत्यक्ष संवाद करना चाहिए जिसका सफल धारण माननीय प्रधानमंत्री जी का पंचायत अधिकारियों नौकरशाहों और राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अलग-अलग कांफ्रेंस के जरिए संपात करना भी हैं संवाद करना चाहिए वहीं दूसरी ओर ताकि मोबाइल रिंगटोन को बदल देना जनसंपर्क का उदाहरण है आम जनता यूट्यूब व्यक्तिगत संपर्क के स्थान पर फोन से सोशल मीडिया के जरिए अपनी बातों को रखने के लिए मंच को पाया है अनेकना यूट्यूब चैनल फेसबुक पेज और सफल बना लो का आयोजन आयोजन वेबिनार का आयोजन जनसंपर्क के उदाहरण है ताली बजाना योद्धाओं के सम्मान में ऐसा करना हो या दिवाली मनाना यह सभी जनसंपर्क के एक सशक्त उदाहरण है जो करो ना कार्य में जनसंपर्क की उपयोगिता को दर्शाते हैं करोना काल में जनसंपर्क के उदाहरण के लिए निम्नलिखित के अंतर्गत जनसंपर्क को समझा जा सकता है



सरकारी प्रयास और जनसंपर्क



 जनसंपर्क और व्यक्तिगत प्रयास

 NGO और जनसम्पर्क

अमित और प्रसिद्ध कलाकार और जनसंपर्क

 नौकरशाह और  जनसम्पर्क



 जनसम्पर्क, विज्ञापन और कोरोना संकट



 संसार में अगर देखा जाए विज्ञापन की अहम भूमिका है वर्तमान के प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक सभी विज्ञापनों में आप देखेंगे कि कोरोना के खिलाफ कैसे जागरूकता फैलाई जा रही है चाहे वह चमनप्राश का ऐड हो या नंबर वन साबुन का डेटॉल का या फिर अन्य तरह के विज्ञापन यहां तक की टाटा स्काई से लेकर अनेक ऐसे विज्ञापन बने हैं जो हमें यह संचालित करते हैं यह कैसे घर पर रहकर बच   सकते है और कोरोना से कैसे और क्या बचाव कर सकते लॉक डाउन डाउन को लेकर भी जागरूकता और संचार के प्रभावी विज्ञापन बने हैं



 प्रिंट मीडिया के जरिए और  जनसंपर्क कोरोना संकट



 वर्तमान में अगर कोई सबसे विश्वसनीय माध्यम बनकर उभरा है तो वह प्रिंट माध्यम है प्रिंट माध्यम की खबरों में संपादन और लेखन का पर्याप्त समय मिल जाता है जिससे खबरों तथ्यों की पुष्टि की जा सकती है हम कह सकते हैं कि इस दौर में जो भी खबरें प्रिंट माध्यम से आ रही है अधिक विश्वसनीय हैं स्थानीय खबरों के लिए सूचनाओं के लिए प्रिंट मीडिया संकट  संकट में संचार के सशक्त माध्यम के रूप में उभरा है



 कोरोना काल में जनसंपर्क की चुनौतियां और   महत्व



एक ओर जान का संकट है दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था हिली है प्रवासी मजदूर जहां जिंदगी रोटी रोजी रोटी के लिए तरस के पैदल चलकर अपने गांव पर जाने को मजबूर है वहीं घरों में बैठे   मानसिक चुनौतियां आरती चुनौतियां का सामना कर रहे हैं ऐसे में ज्ञान और उपदेश उपदेश कितना समझ आएगा यह एक दुष्कर प्रश्न है जनसंपर्क कीजिए हम सही जानकारी एक दूसरे को दे सकते हैं चुनौतियों को साझा कर सकते हैं आपसी बहस और विवादों को सुलझा सकते हैं  कोरोना के संकट काल में सभी जनसंपर्क और सटीक जानकारी हमें सुरक्षित कर सकती हैं संकट काल में जनसंपर्क का बहुत महत्व है 





 Dr Sadhana Srivastava assistant professor journalism and Mass Communication



UPRTOU prayagraj, U. P


Sunday, May 10, 2020



वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में एक गंभीर बीमारी और महामारी के रूप में उभरे कोरो ना का संकट सभी समझ रहे हैं. आज
के समय में जब कोरोना की वैक्सीन दवाई या कोई समाधान नहीं दिख रहा है उस वक्त जानकारी ही बचाव है और सही और सकारात्मक संचार ही एक सशक्त हथियार है .

 हम हम सब जानते हैं सरकार ने मोबाइल फोन की रिंगटोन से लेकर हर वह साधन जिससे संचार हो सकता है चाहे वह विज्ञापन हो समाचारपत्र हो मीडिया हो सोशल मीडिया हो या व्यक्तिगत पहुंच द्वारा लोगों को समझाना संचार को ही करोना से युद्ध का सबसे सशक्त हथियार कहां जा सकता है जानकारी ही बचाव है यह मूल मंत्र है.

सोशल मीडिया के तहत फेसबुक ट्विटर ब्लॉग इत्यादि सभी आ जाते हैं सोशल मीडिया ने एक और जहां उन खबरों को तवज्जो दिया है जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया नहीं दिखाता है तो वही दूसरी ओर से एक न्यूज़ और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर अतिशयोक्ति और विश्वसनीयता का संकट उत्पन्न किया है आपदा प्रबंधन के समय व्हाट्सएप पर जारी अफवाहें गलत न्यूज़ फेक न्यूज़ निश्चय ही संकट को करोना की चुनौतियों को बढ़ाते हैं परंतु वही सोशल मीडिया ने  कोरोना में लोगों की अभिव्यक्ति और रचनात्मकता को एक मंच दिया है बहुत सारे लोगों ने लॉक डाउन के समय में   अपने यूट्यूब चैनल फेसबुक इंस्टॉल इंस्टाग्राम pratilipi.com और अन्य सोशल मीडिया के माध्यमों के द्वारा रचनात्मक सृजनात्मक कहानी कविताएं और कहानियों का मंच दिया

 यह समय चुनौतियों का है इसमें  मैंने खुद को सकारात्मक रखने का बहुत प्रयास किया
 इसी क्रम में कुछ पुस्तकों के अध्याय अनेकों कविताएं अपना यूट्यूब चैनल अपने ब्लॉक साधना की साधना के जरिए खुद को उन लोगों को सकारात्मक रखने के संदेश दिए साथ ही विश्वविद्यालय की गतिविधियों और छात्रों से निरंतर संपर्क बनाए रखा जिसमें सोशल मीडिया ने अहम भूमिका निभाई इसी दौरान खुद को अपडेट करने के लिए बेबिनार   और फेसबुक की चर्चा में भाग लिया 
 छात्रों और परिवार से भी निरंतर संपर्क बनाए रखा .   साथ ही नई तकनीक और योग    भी सीखा.  
लाक डाउन के भी नियमों का गंभीरता से पालन किया.

 परंतु फिर भी खुद को सकारात्मक रखना सबसे बड़ी चुनौती है वर्तमान में मनोवैज्ञानिक दबाव अपनों की चिंता आसपास का महौल  और अकेलेपन  की अनेक चुनौतियां थी यह पूरा समय इंटरनेट और मोबाइल टीवी पर निर्भरता की वजह से कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हुई चुनचुनाहट चिड़चिड़ा हट घबराहट और बेचैनी के साथ एक अंजाना सा डर हमेशा मन में रहता है अपने से ज्यादा अपनों को खोने की चिंता और उनसे दूर होने की बेचैनी हर वक्त रहती है फिर भी हमारे हाथ में जो है वह हम कर रहे हैं अपने-अपने इष्ट देव और   प्रभु पर आस्था है कि वह कुछ अच्छा जरूर करेंगे यदि प्रकृति करवट ले रही है और वैश्विक स्तर पर भारत की चुनौतियां अब आर्थिक संकट भारत की अर्थव्यवस्था भी मन में बेचैनी उत्पन्न करती हैं जिस तरह से केस बढ़ रहे हैं और बाजार दुकाने ओपन हो रही हैं खुल रही हैं या निश्चय ही चिंता का विषय है इस वक्त प्रत्येक व्यक्ति नकारात्मकता और दुष्परिणाम को सोच रहा है या फिर एक काल्पनिक सकारात्मकता में जी रहा है परंतु इस वक्त जो सबसे बड़ी चुनौती है वह है समाधान खोजने की अगर जीवित रहे तो निश्चय ही भविष्य उज्जवल होगा तो ऐसा लगता है कि उस समय अनवर आवश्यकताओं की चीजों को छोड़कर राम को बढ़ाया जाना चाहिए क्या की स्थिति नियंत्रण में रहे सकारात्मक प्रयासों के बावजूद भी  एक अंजाना डर रहता है  तनाव और मनोवैज्ञानिक दबाव का अनुभव होता है फिर भी मेरा यही कहना है जानकारी ही बचाव है कोरोना को महामारी के साथ साथ  सामाजिक मनोवैज्ञानिक और आर्थिक संकटों का भी मुकाबला करना है अतः धैर्य और सकारात्मकता से ही समाधान मिलेगा जल्दबाजी में या घबराहट में सब कुछ खोलने से या फिर सिर्फ चिंता करने से कुछ नहीं होगा वक्त बुरा है परंतु निकल जाएगा इस हौसले के साथ हर दिन खुद से जीते हारते अकेलेपन से संघर्ष करते भी जाता है सोशल मीडिया के   के जरिए अपने परिवार और छात्र छात्राओं से   संवाद और संपर्क बना रहता है

डॉ साधना   श्रीवास्तव
Uttar Pradesh Rashi Tandon



Sunday, May 3, 2020

कोरोना संकट और संचार

कोरोना संकट और संचार





मानव सभ्यता ने अपनी लम्बी अवधि में अनेक महामारियों  के दुष्प्रभाव को सहन किया है जोकि एक विशेष क्षेत्र तक ही सीमित रही है, तथापि कोविड -19   सही मायने में वैश्विक महामारी कहा जा सकता है जिसने लगभग पूरे विश्व को अपने आगोश में ले लिया है | इस संकट से उबरने में मुख्य भूमिका  संचार माध्यमों की हो गयी है| संभवतः  संचार माध्यमों का इतना व्यापक लोकहितकारी  स्वरूप  पहली बार उभरकर आ रहा है | एक ओर बीमारी से बचाव की  जानकारी देकर निरोग करने में भूमिका निभा रहा है तो दूसरी ओर  लोगों को अपने विचारों और भावनाओं को मंच प्रदान कर स्वस्थ वातावरण का भी निर्माण कर रहा है|

वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में एक गंभीर बीमारी और महामारी के रूप में उभरे कोरो ना का संकट सभी समझ रहे हैं.



आज के समय में जब कोरोना की वैक्सीन दवाई या कोई समाधान नहीं दिख रहा है उस वक्त जानकारी ही बचाव है और सही और सकारात्मक संचार ही एक सशक्त हथियार है.



जैसा कि हम हम सब जानते हैं सरकार ने मोबाइल फोन की रिंगटोन से लेकर हर वह साधन जिससे संचार हो सकता है चाहे वह विज्ञापन हो समाचारपत्र हो मीडिया हो सोशल मीडिया हो या व्यक्तिगत पहुंच द्वारा लोगों को समझाना संचार को ही करो ना से युद्ध का सबसे सशक्त हथियार कहां जा सकता है जानकारी ही बचाव है यह मूल मंत्र और बार-बार माननीय मोदी जी का राष्ट्र के नाम संदेश मन की बात और लोगों को जागरूक बनाना समाधान है.



विज्ञापन और कोरोना संकट

 संसार में अगर देखा जाए विज्ञापन की अहम भूमिका है वर्तमान के प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक सभी विज्ञापनों में आप देखेंगे कि कोरोना के खिलाफ कैसे जागरूकता फैलाई जा रही है चाहे वह चमनप्राश का ऐड हो या नंबर वन साबुन का डेटॉल का या फिर अन्य तरह के विज्ञापन यहां तक की टाटा स्काई से लेकर अनेक ऐसे विज्ञापन बने हैं जो हमें यह संचालित करते हैं यह कैसे घर पर रहकर बच   सकते है और कोरोना से कैसे और क्या बचाव कर सकते लॉक डाउन डाउन को लेकर भी जागरूकता और संचार के प्रभावी विज्ञापन बने हैं



 प्रिंट मीडिया के जरिए संचार और  करोना ना संकट



वर्तमान में अगर कोई सबसे विश्वसनीय माध्यम बनकर उभरा है तो वह प्रिंट माध्यम है प्रिंट माध्यम की खबरों में संपादन और लेखन का पर्याप्त समय मिल जाता है जिससे खबरों तथ्यों की पुष्टि की जा सकती है हम कह सकते हैं कि इस दौर में जो भी खबरें प्रिंट माध्यम से आ रही है अधिक विश्वसनीय हैं स्थानीय खबरों के लिए सूचनाओं के लिए प्रिंट मीडिया संकट  संकट में संचार के सशक्त माध्यम के रूप में उभरा है



 इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए संचार और   कोरोना संकट



 इस समय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के चैनल जिस त्वरित गति से भारतीय और वैश्विक खबरों को दिखा रहे हैं वह काबिले तारीफ है अपनी जान पर खेलकर ग्राउंड जीरो से या घटनास्थल पर जाकर सच्ची खबरों को लाना जौनपुर और सराहनीय है जोखिम पूर्ण है एबीपी न्यूज़ नमस्ते भारत मन का विश्वास सच्चाई का सेंसेक्स सेंसेक्स और मास्टर स्ट्रोक जैसे कार्यक्रमों के जरिए तो वही आज तक दंगल हल्ला बोल और ऐसे अनेक कार्यक्रमों के जरिए खबरों का विश्लेषण और वस्तुस्थिति से लोगों को अवगत करा रहे हैं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर कभी-कभी आरोप और पक्षपातपूर्ण    व्यवहार का दोष लगता है इलेक्ट्रॉनिक चैनल जहां संचार के सशक्त माध्यम है वही इनका दायित्व और बढ़ जाता है कि समाज में सकारात्मक और प्रभावशाली संचार करें जाति धर्म राजनीति से परे एक अच्छी पहल और शुरुआत की   आवश्यकता है



सोशल मीडिया के जरिए संचार और   कोरोना  संकट



सोशल मीडिया के तहत फेसबुक ट्विटर ब्लॉग इत्यादि सभी आ जाते हैं सोशल मीडिया ने एक और जहां उन खबरों को तवज्जो दिया है जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया नहीं दिखाता है तो वही दूसरी ओर से एक न्यूज़ और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर अतिशयोक्ति और विश्वसनीयता का संकट उत्पन्न किया है आपदा प्रबंधन के समय व्हाट्सएप पर जारी अफवाहें गलत न्यूज़ फेक न्यूज़ निश्चय ही संकट को करोना की चुनौतियों को बढ़ाते हैं परंतु वही सही और सटीक जानकारी के जरिए त्वरित संचार के लिए त्वरित संचार के लिए सोशल मीडिया एक अच्छा माध्यम है



 सोशल मीडिया ने    कोरोना संकट में लोगों की अभिव्यक्ति और रचनात्मकता को एक मंच दिया है बहुत सारे लोगों ने लॉक डाउन के समय में   अपने यूट्यूब चैनल फेसबुक ,इंस्टाग्राम pratilipi.com और अन्य सोशल मीडिया के माध्यमों के द्वारा रचनात्मक सृजनात्मक कहानी कविताएं और व्याख्यान दिए हैं यहां तक कि शैक्षणिक गतिविधियां भी ऑनलाइन माध्यम से हो रही हैं



 वर्तमान में मैंने भी एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते एक लेखिका होने के नाते सोशल मीडिया के जरिए यूट्यूब चैनल और pratilipi.com के जरिए संचार किया अनेक कविताएं कोरोना जागरुकता  के संदर्भ में लिखी जिनमें से कुछ रचनाओं का जो मेरी मौलिक और स्वरचित है जिनका प्रयोग मैंने कोरोना संकट में लोगों को जागरूक करने के लिए किया अग्र लिखित   संदेश  सोशल मीडिया के जरिए संचारित किए

करोना से लड़ो ना, सेआपस में नहीं



जाति धर्म और राजनीति के लिए नहीं



देश के लिए समाज के लिए अपने लिए



प्रकृति जो संदेश उसे समझो ना,

अपने लिए ना सही तो अपनों के लिए कुछ दिन घर पर तो रहो ना  या रुकना नहीं चाहता

 इनको समझाया जाए कैसे काम सब हो जाएंगे अभी तनाव को निपटाया जाए कैसे   जाएगा का   उत्तर सकारात्मक संचार है.



थोड़ा तो इस तनाव कम करो थोड़ा तो वक्त की नजाकत को समझने की  आवश्यकता है



कोरोना संकट में मीडिया की भूमिका और मूल्यांकन  महत्वपूर्ण है,  अफवाहों और फेक समाचार की  चुनौती को तथ्यों की जांच और एक जिम्मेदारी पूर्वक दायित्वों का निर्वाह करते हुए दूर किया जा सकता है आज तक सुना था की जानकारी ही बचाव है परंतु पुराना काल में यह सिद्ध हो गया कि जानकारी ही बचाव है और संचार कितना आवश्यक है सकारात्मक समाचार और मीडिया के सकारात्मक रुख ने इस संकटकाल में संचार की प्रासंगिकता को सिद्ध कर दिया है अतः हम यह कह सकते हैं कि जीवन के

सभी क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.





 डॉ साधना श्रीवास्तव



 assistant professor



 सहायक प्रवक्ता पत्रकारिता एवं जनसंचार



 उत्तर प्रदेश  राजर्षि  टंडन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज