कितने दूर हो तुम
परदेश बसे जा तुम , घर छोड़े अपने छोड़ें
सपनो में गुम , पुरे हो गए सपनें
लेकिन रह गए अपने
ये माना हाल बुरा है देश का
खाने को नहीं खाना और करने को रोजगार नहीं
हरियाली का पता नहीं, पानी बिकता
बिकती इज्जजत और दर्द न सुनता कोई
,शायद शिकायतें बहुत ,,, फिर भी
पर मेरा पूछे एक सवाल
अगर बारिश में अपने घर छत टपका पानी
तो कब तक रहोगे
या फिर अपनी छत बनवाओगे
खुद तो भारत छोड़ बस गए परदेश
क्या अपने देश खातिर तुम कुछ नहीं जाओगे
न लौटो देश पर कुछ ऐसा कर जाओ
याद करें ये देश तुम्हे और परदेश में भी छा जाओ ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, सवाल वही पुराना आप भी मेरे साथ खोजो जवाब। ....
काहे को जाये परदेश , ..काहे को छोड़े अपना देश
कोई कहे रोजगार मिले तो कोई बोले मान मिले
सच क्या तुम ही बोलो। . क्या अपना देश इतना बुरा
ये सवाल हमेशा दिल में उठता है। ...
जवाब जिससे मागो वो इंडिया की बहुत की कमिया गिना देता है....
उनसे मेरा एक ही सवाल है
की अगर मेरे घर की छत टूटी हो ? या गंदगी हो तो हम भाग भाग कर दूसरे के
फलैट या घर में रहेंगे या फिर अपने घर को सुधरेंगे। .मई विदेश जाने के
खिलाफ नहीं। ...नही ही मुझे वो लोग गलत लगते जो विदेश रहना चाहते है..मेरी
तो सिर्फ एक कोशिश है.. एक सवाल है. की क्या कर रहे है हम अपने देश और
अपने बच्चो के लिए ? क्या इतिहास है और क्या दे रहे है आने वाली जेनेरेशन
को....
कुछ साल है जिनके जवाब हमे और आपको खोजने ही होगे ????
आज का सवाल
ये साल आप सब से है... चाहे कही रहे पर कुछ तो ऐसा करे की जो परिंदे अपने
घोसलों को छोड़ गए है... उन्हें एक बार अपने घरो का रास्ता दिखाया जाये???
कैसे रोके देश से प्रतिभाओं का पलायन
मेरा सवाल था आपसे की कैसे रोके प्रतिभाओ का अपने देश से पलायन... विदेश
जाना गलत नहीं। स्टडी करना करना और वहाँ रहना रुकना सब ठीक है , लेकिन गलत
है.. अपने देश को भूल जाना।
क्यों हो रहा है ऐसा ?
ऐसा हम क्या क्या करे की घर के परिंदो अपने घोसलों पे ऐतबार हो जाये.....
अपने वतन बोले तो देश के लिए कुछ जज़्बा हो लौटने के लिए उनका अपना घर हो।
देश के लिए कुछ करना चाहते है तो कुछ पल निकले और सिर्फ इस चर्चा में भाग ले।
मेरा मकसद सिर्फ देश की खातिर कुछ करने का है।
अभी अकेले है.......
हौसला चाहिए साथ चाहिए ,,भूले नही किस कीमत पे आज़ादी पायी है,
और आज हम क्या चाह रहे। ...कुछ पल निकले और खोजे रास्ता अपने देश के लिए कुछ करने का......
सवाल वही ऐसा हम क्या क्या करे की घर के परिंदो अपने घोसलों पे ऐतबार हो जाये.....
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