Saturday, December 3, 2016

करम करम अपना

करम करम अपना


करम अपना 

अपना धूप अपने चरम पर थी, सूर्य जैसे आग उगल रहा था.
मानो भगवान भास्कर कुपित हो माना सड़क के किनारे खड़ा किसी गाड़ी के आने की प्रतीक्षा पिछले 10 मिनट से कर रहा था.
उसकी गाड़ी खराब हो गई थी वरना अभी तक वह आधे रास्ते का सफर तय कर चुका होता.
मानव  एक डॉक्टर है, जो शहर के प्रतिष्ठित नर्सिंग होम में इंटर्नशिप कर रहा है.
 आज गाड़ी खराब हो गई थी तो ऑटो से जाना उसकी मजबूरी थी ,  नहीं तो कहीं भी आना जाना हो उसे अपनी गाड़ी ही पसंद थी. ना इंतजार ना भीड़ और न ट्रैफिक का चक्कर वह शहर के हर गली मोहल्ले से परिचित था जब कभी भी ट्रैफिक जाम देखता तो शॉर्टकट मारता और मिनटों में अपनी मंजिल पर होता.
 ड्राइवर की आवाज में उसके ध्यान को तोड़ा कहां जाना है? 
 मानव ने देखा विक्रम ऑटो अरे बाप रे उसकी तो सांसे अटक गई. 
 बाप रे इतने बड़े ऑटो में चार चार सवारी एक साथ बैठती कितनी घुटन बदबू कैसे होगा? 
 मानव ने देखा वह ऑटो पहले से ही भरा हुआ था तीन साधु,  दो सब्जी वाले,   दो औरतें ऑटो पूरा फुल उसने इस में बैठने से भी इनकार कर दिया वह थोड़ी देर और मुसीबत झेल सकता था थोड़ी देर और इंतजार कर सकता था परंतु इस भीड़ को बर्दाश्त नहीं कर सकता था.
मोबाइल की घंटी बज उठी फोन नर्सिंग होम से था मानव ने समस्या बताकर कुछ समय मांगा प्रत्युत्तर में सीनियर डॉक्टर से दांत मिल गई आधे घंटे के इंतजार के बाद दूसरा विक्रम आया उसमें कुछ शांति जनक स्थिति थी.
 एक नव दंपति छोटी सी बच्ची को गोद में लिए बैठे थे दो कॉलेज स्टूडेंट और दूसरी तरफ एक पतली दुबली सांवली सी लड़की अकेले बैठी थी मानव ने सीट ले ली. मानव के बैठते हैं दो वृद्ध आकर बैठ गये.
 ऑटो तेज गति से स्टार्ट हुआ तेज आवाज डीजल के बदबू और जानलेवा गर्मी मानव के लिए एक अलग अनुभव था.
जिस मानव को उसके मां बाप ने 3 वर्ष की अवस्था से ही अलग रूम और हर ऐसो आराम उपलब्ध करा दिए थे उसके लिए विक्रम में बैठना एक दुखद अनुभव था जो वृद्ध बैठे थे उनमें से एक ज्यादा मोटा था.
 ऑटो जहां किसी गड्ढे में जाता या हिलता ढूंढता तो धक्का मानव को लगता है अचानक बेचारा मानव एक धक्के को सहने पाया और बगल की लड़की से जा टकराया लड़की ने थोड़ा हड़बड़ा कर देखा वह चौक गई थी वॉइस माहौल से अनजान नाक पर रूमाल रखें खिड़की से बाहर नजारों का आनंद ले रही थी उसने मानव को घूर कर देखा और एक बार फिर बाहर देखने लगी.

 मानव को उस लड़की की इस नजर पर बहुत गुस्सा आया फिर भी उसने धीरे से उसे 
 सॉरी कह दिया जब कि गलती उसकी थी भी ना गलती तो उस मोटे आदमी के  के वजन की थी मानव का मन खराब हो गया था. ना जाने उसने कौन से कर्म किए थे कि सुबह से ही उसका दिन खराब दिखता चला गया मन बदलने को करें भी तो क्या करें वह समझ नहीं पा रहा था एक तरफ नर्सिंग होम पहुंचने की जल्दी थी नहीं तो कब का ही 
 ऑटो से उतर जाता.
 तभी अचानक मानव की नजर सामने बैठी बच्ची पर पड़ी जो इन सब परेशानियों से अनजान अपनी मां के सीने से चिपकी आंचल की छांव से सुखी सी दुनिया से   अनभिज्ञ खेल रही थी उसने लाल फ्रॉक लाल जूते और लाल टोपी लगा रखी थी,  उसके पैरों में घुंघरू वाली चांदी की पायल भी थी वह पैर हिला हिला कर जिसे बार-बार बजा 
 बचा रही थी.
 होठो पर मधुर मुस्कान थी. उसके नन्हे नन्हे हाथ पापा के हाथों से मोबाइल लेने को आतुर थे.अचानक तेज ब्रेक के साथ 
 ऑटो
 रुका रुका बच्चे झटके से रोने लगी तो पापा ने रिंगटोन बजा दी झटके से फिर मानव लड़की से जा टकराया लड़की ने गुस्से से कहा क्या ठीक से बैठा नहीं जाता है? 
मानव को अपनी मजबूरी पर बहुत रोना आया उसने धीरे से लड़की को सॉरी कहा और बगल में बैठे मोटे आदमी की ओर इशारा किया अब लड़की को भी लगा कि मानव कितना सुकून कर बैठा है और उस मोटे आदमी के धक्कों से कितना त्रस्त है लड़की बाहर की ओर देखने लगी मानव के मन में अजीब अंतर दर्द था उसे अपना कॉलेज टाइम बचपन मां यह कह तो पूरा अतीत याद आने लगा कैसे कॉलेज में वह सबसे मशहूर था कैसे सब उसे पसंद करते थे क्या लड़के क्या लड़कियां यहां तक की सारे लेक्चर सारे लेक्चरर प्रोफेसर प्रिंसिपल अधिकारी उसकी पढ़ाई करते नहीं थकते थे लेकिन मानव को इन सब से कोई वास्ता नहीं था वह तो बस अपनी मां की अंतिम इच्छा पूरी करने को आतुर था कैसे उसकी मां की मौत कैंसर से हुई थी यदि डॉ लापरवाही ना करते तो शायद समय रहते कीमोथेरेपी काम कर जाती परंतु उचित इलाज और डॉक्टरों की लापरवाही के कारण ही वह परलोक सिधार गई अपनी अंतिम इच्छा मैं कह गई कि मानव डॉ बने ताकि मानव अपने डॉ होने का कर्म सही ढंग से निभा कर लोगों की जान बचा सके यही कारण था कि वह कॉलेज में जिस लड़की को पसंद करता था जिसे चाहता था उसे पराया हो जाने दिया अपने प्यार का इजहार भी ना कर पाया उसे याद आने लगे जो डॉक्टर की पूरी पढ़ाई होते ही मिठाई के डिब्बे के साथ आकर मानव में अपना 
 जमाई खोजते मानव ने कभी उस लड़की को बुरी नजर से नहीं देखा जो लड़की उसे पसंद थी उसकी यादों को दिल में बसा ए मानव ने सेवा को अपना मकसद बना लिया उसे आज बगल की लड़की की नजर और उसकी घटिया मानसिकता पर तरस आने लगा सॉरी तो कह दे रहा था पर मन खराब हो गया अचानक जाम खुला और ऑटो पुनः अपनी गति से चलने लगा बच्चे ऑटो के चलने से फिर शांत हो गई उसकी मां उसे पेपर से हवा कर रही थी मां खुद पसीने और गर्मी से बेहाल थी वह बार-बार अपने आंचल से बच्चे का चेहरा छुपा रही थी ताकि बच्चे धूप से बच सकें मानव को अपनी मा याद आने लगी सच मां का स्पर्श और मां की गोद कितनी सुखद होती है जो हर दर्द को खुशी में बदल देती है कहीं कड़ी धूप भी छाया बनकर शीतलता देती है बच्ची अब तक मां की गोद में सो गई उसे इस माहौल में भी सुकून था सभी मानव की निगाह खिड़की से बाहर गई देखा 1:15 16 साल की बच्ची स्कूल ड्रेस में साइकिल चला रही है उसके बगल से एक 40 45 वर्षीय 
 पुरूष स्कूटर से कुछ अभद्र टिप्पणी करते हुए आगे बढ़ गया लड़की गिरते-गिरते बची मानव को बहुत गुस्सा आया कोई पुरुष ऐसा कैसे कर सकता है अपने बेटी की उम्र की लड़की से अभद्र टिप्पणी फिर देखा वह आदमी लड़की के बगल में ही स्कूटर ले जाता है कभी धीमी गति तो कभी स्पष्ट से किसी अश्लील गाने के टूटे-फूटे शब्द मानव का मन उस मनुष्य के लिए घृणा से भर गया सोचा ऐसे ही दुष्ट पापियों नालायक बुरी शैतानी हरकतों के कारण ही लड़कियां शरीफ लोगों को भी शक से देखती हैं इनकी अभद्र टिप्पणियों ने ही नारी मन में पुरुषों के प्रति घृणा का सृजन किया है मानव ने सोचा ना जाने उस पुरुष की मां ने उसे कितने दुलार और चाव से पाला होगा यह धरती का बोझ अपने आ पवित्र इरादों से पुरुष वर्ग को कलंकित कर रहा है अब मानव को उस लड़की का व्यवहार समझ आ गया शायद वह लड़की भी कभी किसी ऐसे ही पापी के कर्मों का शिकार गलत हरकत से परेशान हुई होगी तभी वहां जितनी सबकी हो गई है मानव ने एक नजर उस लड़की के चेहरे को देखा उस लड़की के चेहरे के भाव से स्पष्ट था उसने भी ऑटो से 
खिड़की से वह घटना को देखा था उस लड़की के अनकहे सवालों आंखों में उस घटना के प्रति जो घड़ा देख रहे थे उससे मानव का अंतर्मन चीख उठा उसे कुछ अजीब खोखला पर नजर आने लगा बार-बार उसका मन विचलित हो रहा था आज एक ही दिन में उसे कितने अनुभव में जीवन के कितने रूप देखें अभिव्यक्ति के सभी भावों को महसूस किया अचानक 82 फिर तेज ब्रेक के साथ रुका बहुत भीड़ थी ट्रैफिक रुक गया था ऑटो की स्पीड के साथ ही उसकी विचार श्रृंखला को विराम लगा. पता चला आगे किसी स्कूटर का बहुत भयंकर एक्सीडेंट हो गया है सभी के होश उड़ गए स्कूटर सवार किस सिर पर तेज चोट आई थी जिसके कारण खून तेजी से बह रहा था पुलिस का इंतजार होने लगा मानव मन ही मन मुस्कुराते हुए कहा हे प्रभु क्या लीला है वहां नर्सिंग होम में सब इंतजार कर रहे हैं और यहां एक के बाद एक और मुसीबत वह भी ऑटो से उतर कर घटनास्थल के समीप जा पहुंचा स्कूटर सवार था जो थोड़ी देर पहले लड़की को छेड़ रहा था मानव ने मन ही मन सोचा बहुत बढ़िया भगवान के घर देर है अंधेर नहीं बुरे कर्मों का फल शुभ फल कैसे हो सकता है मानव को समझते देर न लगी स्कूटर सवार अपनी हरकतों के कारण ही अपना संतुलन खो बैठा होगा उसने एक पल को सोचा चलो अच्छा हुआ धरती से कम हुआ पुरुष के माथे का कलंक हो गया तभी उसकी नजर ऑटो मे बैठी बच्ची पर पड़ीजो इस वक्त अपनी मां नहीं पिता की गोद में सुरक्षित थे पिता लंबे-लंबे डग भरता हुआ उस भीड़ को पीछे छोड़ता चला जा रहा था वह अपनी पत्नी से बोला जल्दी जल्दी निकलो यहां से कहीं गुड़िया जाग गई तो खून देखकर डर जाएगी फिर पुलिस आ गई तो कौन लफड़े में पड़ेगा पता चले गवाही के लिए थाने के चक्कर लगाते रहो मानव ने उस दृश्य को देखा और देखते ही सोचा सच मां के समान पिता भी कितना महत्वपूर्ण है मां यदि जीवन की धूप में अपने आंचल की छांव देती है तो पिता अपने बच्चे को संसार की समस्त मुसीबतों से बचाता है मानव को अपने डॉक्टरी का मानवता का पाठ याद आने लगा पाप से घृणा करो पापी से नहीं उसे उसे स्कूटर सवार के संग उसके परिवार की भी चिंता होने लगी तब तक पुलिस आ गई थी मानव को अपने डॉक्टरी का कर्म याद आने लगा फिर उसने मन ही मन ईश्वर को याद किया इस संसार के समस्त अच्छे और बुरे कर्मों का फल देने वाला तो वह है मानव का अध्ययन तो बिना फल की चिंता किए कर्म करने का है वह एक झटके से आंखों से उतर गया उस अनजान घायल की मदद करने उस वक्त उसे सिर्फ अपना कर्म याद था ना कि उस व्यक्ति का वह लड़की प्रश्नवाचक निगाहों से मानव को देखने लगी सच में हर मनुष्य को अपने अपने कर्म का शुभ और अशुभ फल तो भोगना ही पड़ता है
Sadhana shrivastava
 property expert मैगजीन जनवरी 2010 पेज नंबर 100-101  मे प्रकाशित

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