Sunday, March 1, 2015

दर्द बिकता है 69

माँ उठो.…। माँ उठो.माँ उठो  …… हम तुम्हारे बिना कैसे जीयेंगे
 उन दोनों मासूमो के रोने से किसी का   भी  दिल काँप उठता
लेकिन वक्त किसके पास था मासूमो के आँसू  पोछने का
किसी ने १० किसी ने ५ तो किसी दानवीर ने ५० का नोट डाल दिया। …।
देखते देखते रात  हो गयी।
माँ उठो.…। माँ उठो.माँ उठो  …… रात हो गयी

एक झटके से वो महिला उठ बैठी। …आज कितने की कमाई हुयी
माँ आज तो रोज से ज्यादा की कमाई हुयी क्यो……
गिल्सरीन की शीशी अंदर रखते हुए बेटी ने पूछ लिया। ।
माँ ने कहा ---क्योंकि दर्द बिकता है.।
गरीब की मदद करे लेकिन भीख न दे देश के होनहार बच्चों  को गलत राह पर न जाने दे 

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