निश्चित भू-भाग
के अन्दर रहने
वाले समुदाय विशेष
के लिए समुदाय
का समुदाय के
लिए और समुदाय
के द्धारा सामुदायिक
रेडियो वह माध्यम
है जो स्थानीय
जरूरतों को ध्यान
में रखकर कार्यक्रमों
का निर्माण और
प्रसारण करता है
जिसमे समुदाय के
सदस्यों की सक्रिय
सहभागिता होना आवश्यक
है यानि रेडियो
कार्यक्रमों का निर्माण
और प्रसारण समुदाय
के लिए समुदाय
के द्वारा समुदाय
का प्रसारण करना
होता है। यह
एक ऐसा मंच
प्रदान करता है
जो विकास प्रक्रिया
में तो सहायक
होने के साथ
स्थानीय समस्याओं को सामने
लाने में भी
सहायक होता है।
भारत में सामुदायिक
रेडियो की परिकल्पना
काफी पहले से
चल रही थी,
लेकिन इसकी विधिवत
शुरूआत 1995 में सुप्रीम
कोर्ट के फैसले
से हुयी 2002 और
2006 में भारत सरकार
ने सामुदायिक रेडियो
खोलने हेतु नीतिगत
दिशा निर्देश पारित
किये। यह प्रजातंत्रिक
प्रणाली के आधार
पर कार्य करता
है 50-100 वाट के
कम शक्ति वाले
ट्रांसमीटर से अपने
कार्यक्रमों से स्थानीय
भाषा में ही
स्थानीय लोगों की समस्याओं
का समाधान प्रस्तुत
करता है।
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