गर्मी बहुत है।
आग लगी है धरती प्यासी पानी को तरसे लोग
फिर भी न जाने पानी कीमत
क्यों प्यासे मरते लोग
जीना है तो धरती को भी जीवन दो
हरियाली न ख़त्म करो
गर्मी को तपिश को कम लो
गर्मी बहुत है।
न भागो कूलर और फ्रिज की और थोड़ा प्रकृति से नाता जोड़ो
पेड़ो को काटोगे और टिशू पेपर और कागज को बर्बाद करोगे
तो बोलो बेचारे काटते पेड़ कैसे तुम्हे आबाद करेंगे
गर्मी बहुत है।
तुम बैठ घरो में कहते हो उन चिड़ियों की सोचो जो दाना खोज रही
गर्मी बहुत है। सिर्फ अपनी नही दुनिआ की सोचो और धरती की सोचो
हरियाली होगी तो ही खुशहाली होगी
और इस गर्मी से राहत होगी
आग लगी है धरती प्यासी पानी को तरसे लोग
फिर भी न जाने पानी कीमत
क्यों प्यासे मरते लोग
जीना है तो धरती को भी जीवन दो
हरियाली न ख़त्म करो
गर्मी को तपिश को कम लो
गर्मी बहुत है।
न भागो कूलर और फ्रिज की और थोड़ा प्रकृति से नाता जोड़ो
पेड़ो को काटोगे और टिशू पेपर और कागज को बर्बाद करोगे
तो बोलो बेचारे काटते पेड़ कैसे तुम्हे आबाद करेंगे
गर्मी बहुत है।
तुम बैठ घरो में कहते हो उन चिड़ियों की सोचो जो दाना खोज रही
गर्मी बहुत है। सिर्फ अपनी नही दुनिआ की सोचो और धरती की सोचो
हरियाली होगी तो ही खुशहाली होगी
और इस गर्मी से राहत होगी
अच्छा लिखा है... ऐसे ही लिखते रहिये...
ReplyDeleteआपको शुभकामनायें