तलाश जिन्दगी की
सब शून्य या नश्वर है
ये मैने सुना था कभी
फिर भी देखा
लोगों को तलाशते जिन्दगी
जीने की चाह में देखा
हर रोज लोगों को मरते देखा
कोई मान की तो
कहीं पैसों की आह भरती
फिर भी देखा
लोगों को तलाशते जिन्दगी
मानव ने कहा पे्रम है जिन्दगी
तो सन्यासी ने कहा एक मोह है जिन्दगी
एक माॅ जो लड़ रही थी
अपनी मौत से.........
देखा उसको अपनी बेटी की आॅखों में
तलाशते जिन्दगी.................
फिर मैने जाना कि क्या है जिन्दगी
हाॅ ये नश्वर है, मोह है
फिर भी अपनों की खातिर ही जीना है जिन्दगी।
सब शून्य या नश्वर है
ये मैने सुना था कभी
फिर भी देखा
लोगों को तलाशते जिन्दगी
जीने की चाह में देखा
हर रोज लोगों को मरते देखा
कोई मान की तो
कहीं पैसों की आह भरती
फिर भी देखा
लोगों को तलाशते जिन्दगी
मानव ने कहा पे्रम है जिन्दगी
तो सन्यासी ने कहा एक मोह है जिन्दगी
एक माॅ जो लड़ रही थी
अपनी मौत से.........
देखा उसको अपनी बेटी की आॅखों में
तलाशते जिन्दगी.................
फिर मैने जाना कि क्या है जिन्दगी
हाॅ ये नश्वर है, मोह है
फिर भी अपनों की खातिर ही जीना है जिन्दगी।
डॉ साधना श्रीवास्तव
Bhut marmik rachna
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThanks
ReplyDeleteits too much heart touching MAM
ReplyDeleteThanks Ayush
Deleteबहुत खूब सम्माननीय मैम। चंद लाइनें इस लेखनी के लिए-
ReplyDeleteजिंदगी एक कागज की नाव है
मनुष्य तो महज पतवार है
चले जा रही है बहे जा रही है
अपने मस्त झोके से
कभी-कभी आहिस्ता-आहिस्ता
कभी हिलकोरे से।
Wah khub best wishes.... Ap kya krte hai....
ReplyDelete