Tuesday, February 24, 2015

त्रिकोरीय प्रेम 6 4

मैं आपके बिना नहीं रह सकती हू -रीमा
जी तो मैं भी नही सकता तुम्हारे बिना। ………। क्या करू माँ हमारे रिश्ते को कभी हा नही करेगी -मोहन
 क्या कमी है मुझमे ---------रीमा
जानता हू अच्छी मुझे कोई नही मिलेगी. जितना प्यार तुमने किया कोई नही करेगा। । कोई कमी नही है तुमसे जिससे शादी करोगी बहुत नसीब वाला होगा ---मोहन
फिर क्यों छोड़ रहे हमे अकेले जीने को दुनिआ के लिए....... फिर कुछ सोच कर जाओ मैं कभी नहीं  परिवार से उसका बेटा छीने---रीमा रोते हुए  जानती हू अपनी कमी
ऐसा मत बोलो हमारी जाति एक नहीं सिर्फ कहने को जमाना बदला हैं। …शादी मैं माँ की मर्जी से समाज कोदिखाने को कर लगा  और की होगी हम कभी न मिले कभी पर प्यार तो नही मर सकता और माँ हमारे दर्द को भी समझेगी ना दुनिआ त्रिकोरीय प्रेम  मान देगी -। …--मोहन
सच कहा और जमाना एक बार फिर इस जाति के न मिलने बनाए त्रिकोरीय प्रेम नही समझ पायेगा -रीमा
साधना श्रीवास्तव

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