Sunday, May 3, 2020

कोरोना संकट और संचार

कोरोना संकट और संचार





मानव सभ्यता ने अपनी लम्बी अवधि में अनेक महामारियों  के दुष्प्रभाव को सहन किया है जोकि एक विशेष क्षेत्र तक ही सीमित रही है, तथापि कोविड -19   सही मायने में वैश्विक महामारी कहा जा सकता है जिसने लगभग पूरे विश्व को अपने आगोश में ले लिया है | इस संकट से उबरने में मुख्य भूमिका  संचार माध्यमों की हो गयी है| संभवतः  संचार माध्यमों का इतना व्यापक लोकहितकारी  स्वरूप  पहली बार उभरकर आ रहा है | एक ओर बीमारी से बचाव की  जानकारी देकर निरोग करने में भूमिका निभा रहा है तो दूसरी ओर  लोगों को अपने विचारों और भावनाओं को मंच प्रदान कर स्वस्थ वातावरण का भी निर्माण कर रहा है|

वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में एक गंभीर बीमारी और महामारी के रूप में उभरे कोरो ना का संकट सभी समझ रहे हैं.



आज के समय में जब कोरोना की वैक्सीन दवाई या कोई समाधान नहीं दिख रहा है उस वक्त जानकारी ही बचाव है और सही और सकारात्मक संचार ही एक सशक्त हथियार है.



जैसा कि हम हम सब जानते हैं सरकार ने मोबाइल फोन की रिंगटोन से लेकर हर वह साधन जिससे संचार हो सकता है चाहे वह विज्ञापन हो समाचारपत्र हो मीडिया हो सोशल मीडिया हो या व्यक्तिगत पहुंच द्वारा लोगों को समझाना संचार को ही करो ना से युद्ध का सबसे सशक्त हथियार कहां जा सकता है जानकारी ही बचाव है यह मूल मंत्र और बार-बार माननीय मोदी जी का राष्ट्र के नाम संदेश मन की बात और लोगों को जागरूक बनाना समाधान है.



विज्ञापन और कोरोना संकट

 संसार में अगर देखा जाए विज्ञापन की अहम भूमिका है वर्तमान के प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक सभी विज्ञापनों में आप देखेंगे कि कोरोना के खिलाफ कैसे जागरूकता फैलाई जा रही है चाहे वह चमनप्राश का ऐड हो या नंबर वन साबुन का डेटॉल का या फिर अन्य तरह के विज्ञापन यहां तक की टाटा स्काई से लेकर अनेक ऐसे विज्ञापन बने हैं जो हमें यह संचालित करते हैं यह कैसे घर पर रहकर बच   सकते है और कोरोना से कैसे और क्या बचाव कर सकते लॉक डाउन डाउन को लेकर भी जागरूकता और संचार के प्रभावी विज्ञापन बने हैं



 प्रिंट मीडिया के जरिए संचार और  करोना ना संकट



वर्तमान में अगर कोई सबसे विश्वसनीय माध्यम बनकर उभरा है तो वह प्रिंट माध्यम है प्रिंट माध्यम की खबरों में संपादन और लेखन का पर्याप्त समय मिल जाता है जिससे खबरों तथ्यों की पुष्टि की जा सकती है हम कह सकते हैं कि इस दौर में जो भी खबरें प्रिंट माध्यम से आ रही है अधिक विश्वसनीय हैं स्थानीय खबरों के लिए सूचनाओं के लिए प्रिंट मीडिया संकट  संकट में संचार के सशक्त माध्यम के रूप में उभरा है



 इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए संचार और   कोरोना संकट



 इस समय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के चैनल जिस त्वरित गति से भारतीय और वैश्विक खबरों को दिखा रहे हैं वह काबिले तारीफ है अपनी जान पर खेलकर ग्राउंड जीरो से या घटनास्थल पर जाकर सच्ची खबरों को लाना जौनपुर और सराहनीय है जोखिम पूर्ण है एबीपी न्यूज़ नमस्ते भारत मन का विश्वास सच्चाई का सेंसेक्स सेंसेक्स और मास्टर स्ट्रोक जैसे कार्यक्रमों के जरिए तो वही आज तक दंगल हल्ला बोल और ऐसे अनेक कार्यक्रमों के जरिए खबरों का विश्लेषण और वस्तुस्थिति से लोगों को अवगत करा रहे हैं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर कभी-कभी आरोप और पक्षपातपूर्ण    व्यवहार का दोष लगता है इलेक्ट्रॉनिक चैनल जहां संचार के सशक्त माध्यम है वही इनका दायित्व और बढ़ जाता है कि समाज में सकारात्मक और प्रभावशाली संचार करें जाति धर्म राजनीति से परे एक अच्छी पहल और शुरुआत की   आवश्यकता है



सोशल मीडिया के जरिए संचार और   कोरोना  संकट



सोशल मीडिया के तहत फेसबुक ट्विटर ब्लॉग इत्यादि सभी आ जाते हैं सोशल मीडिया ने एक और जहां उन खबरों को तवज्जो दिया है जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया नहीं दिखाता है तो वही दूसरी ओर से एक न्यूज़ और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर अतिशयोक्ति और विश्वसनीयता का संकट उत्पन्न किया है आपदा प्रबंधन के समय व्हाट्सएप पर जारी अफवाहें गलत न्यूज़ फेक न्यूज़ निश्चय ही संकट को करोना की चुनौतियों को बढ़ाते हैं परंतु वही सही और सटीक जानकारी के जरिए त्वरित संचार के लिए त्वरित संचार के लिए सोशल मीडिया एक अच्छा माध्यम है



 सोशल मीडिया ने    कोरोना संकट में लोगों की अभिव्यक्ति और रचनात्मकता को एक मंच दिया है बहुत सारे लोगों ने लॉक डाउन के समय में   अपने यूट्यूब चैनल फेसबुक ,इंस्टाग्राम pratilipi.com और अन्य सोशल मीडिया के माध्यमों के द्वारा रचनात्मक सृजनात्मक कहानी कविताएं और व्याख्यान दिए हैं यहां तक कि शैक्षणिक गतिविधियां भी ऑनलाइन माध्यम से हो रही हैं



 वर्तमान में मैंने भी एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते एक लेखिका होने के नाते सोशल मीडिया के जरिए यूट्यूब चैनल और pratilipi.com के जरिए संचार किया अनेक कविताएं कोरोना जागरुकता  के संदर्भ में लिखी जिनमें से कुछ रचनाओं का जो मेरी मौलिक और स्वरचित है जिनका प्रयोग मैंने कोरोना संकट में लोगों को जागरूक करने के लिए किया अग्र लिखित   संदेश  सोशल मीडिया के जरिए संचारित किए

करोना से लड़ो ना, सेआपस में नहीं



जाति धर्म और राजनीति के लिए नहीं



देश के लिए समाज के लिए अपने लिए



प्रकृति जो संदेश उसे समझो ना,

अपने लिए ना सही तो अपनों के लिए कुछ दिन घर पर तो रहो ना  या रुकना नहीं चाहता

 इनको समझाया जाए कैसे काम सब हो जाएंगे अभी तनाव को निपटाया जाए कैसे   जाएगा का   उत्तर सकारात्मक संचार है.



थोड़ा तो इस तनाव कम करो थोड़ा तो वक्त की नजाकत को समझने की  आवश्यकता है



कोरोना संकट में मीडिया की भूमिका और मूल्यांकन  महत्वपूर्ण है,  अफवाहों और फेक समाचार की  चुनौती को तथ्यों की जांच और एक जिम्मेदारी पूर्वक दायित्वों का निर्वाह करते हुए दूर किया जा सकता है आज तक सुना था की जानकारी ही बचाव है परंतु पुराना काल में यह सिद्ध हो गया कि जानकारी ही बचाव है और संचार कितना आवश्यक है सकारात्मक समाचार और मीडिया के सकारात्मक रुख ने इस संकटकाल में संचार की प्रासंगिकता को सिद्ध कर दिया है अतः हम यह कह सकते हैं कि जीवन के

सभी क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.





 डॉ साधना श्रीवास्तव



 assistant professor



 सहायक प्रवक्ता पत्रकारिता एवं जनसंचार



 उत्तर प्रदेश  राजर्षि  टंडन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज

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