Thursday, May 21, 2020



                        कोरोना संकट और   जनसंपर्क



वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में एक गंभीर बीमारी और महामारी के रूप में उभरे कोरो ना का संकट सभी समझ रहे हैं

इस दौर में जनसंपर्क को समझना बहुत आवश्यक है जनसंपर्क के जरिए हम इस कार की चुनौतियों को भलीभांति समझ सकते हैं और और संवाद के जरिए समाधान भी पा सकते हैं



 जैसा कि हम हम सब जानते हैं सरकार ने मोबाइल फोन की रिंगटोन से लेकर हर वह साधन जिससे संचार हो सकता है चाहे वह विज्ञापन हो समाचारपत्र हो मीडिया हो सोशल मीडिया हो या व्यक्तिगत पहुंच द्वारा लोगों को समझाना संचार को ही करो ना से युद्ध का सबसे सशक्त हथियार कहां जा सकता है जानकारी ही बचाव है यह मूल मंत्र और बार-बार माननीय मोदी जी का राष्ट्र के नाम संदेश मन की बात और लोगों को जागरूक बनाना समाधान है



किसी भी झगड़ा लड़ाई का हल आपसी बातचीत संवाद है  जिसके लिए जनसंपर्क आवश्यक है लेकिन वर्तमान में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए जनसंपर्क कर पाना कितने संभव है यह एक विचारणीय प्रश्न है परंतु यहां यह बता देना अनिवार्य है कि जनसंपर्क का तात्पर्य व्यक्तिगत रूप से मिलकर या भीड़ के बीच में जाकर ही अपनी बात रखना नहीं है बल्कि वर्तमान में ऐसे अनेक संसाधन है जन संपर्क कर सकते हैं और अपनी बातों को पहुंचा सकते हैं कोरोना संकट में जन संपर्क और संवाद बचाव का सब तैयार है सशक्त हथियार है मजदूरों के साथ सही संवाद स्थापित हो जाता तो शायद जो प्रवासी मजदूरों का संकट है वह इतना गंभीर स्वरूप ना लेता वहीं दूसरी ओर कोटा से बच्चों को लाना जनसंपर्क का धारण कहा जा सकता है कोरोना संकटकाल में सरकार ही आम जनता तक प्रत्यक्ष संवाद करना चाहिए जिसका सफल धारण माननीय प्रधानमंत्री जी का पंचायत अधिकारियों नौकरशाहों और राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अलग-अलग कांफ्रेंस के जरिए संपात करना भी हैं संवाद करना चाहिए वहीं दूसरी ओर ताकि मोबाइल रिंगटोन को बदल देना जनसंपर्क का उदाहरण है आम जनता यूट्यूब व्यक्तिगत संपर्क के स्थान पर फोन से सोशल मीडिया के जरिए अपनी बातों को रखने के लिए मंच को पाया है अनेकना यूट्यूब चैनल फेसबुक पेज और सफल बना लो का आयोजन आयोजन वेबिनार का आयोजन जनसंपर्क के उदाहरण है ताली बजाना योद्धाओं के सम्मान में ऐसा करना हो या दिवाली मनाना यह सभी जनसंपर्क के एक सशक्त उदाहरण है जो करो ना कार्य में जनसंपर्क की उपयोगिता को दर्शाते हैं करोना काल में जनसंपर्क के उदाहरण के लिए निम्नलिखित के अंतर्गत जनसंपर्क को समझा जा सकता है



सरकारी प्रयास और जनसंपर्क



 जनसंपर्क और व्यक्तिगत प्रयास

 NGO और जनसम्पर्क

अमित और प्रसिद्ध कलाकार और जनसंपर्क

 नौकरशाह और  जनसम्पर्क



 जनसम्पर्क, विज्ञापन और कोरोना संकट



 संसार में अगर देखा जाए विज्ञापन की अहम भूमिका है वर्तमान के प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक सभी विज्ञापनों में आप देखेंगे कि कोरोना के खिलाफ कैसे जागरूकता फैलाई जा रही है चाहे वह चमनप्राश का ऐड हो या नंबर वन साबुन का डेटॉल का या फिर अन्य तरह के विज्ञापन यहां तक की टाटा स्काई से लेकर अनेक ऐसे विज्ञापन बने हैं जो हमें यह संचालित करते हैं यह कैसे घर पर रहकर बच   सकते है और कोरोना से कैसे और क्या बचाव कर सकते लॉक डाउन डाउन को लेकर भी जागरूकता और संचार के प्रभावी विज्ञापन बने हैं



 प्रिंट मीडिया के जरिए और  जनसंपर्क कोरोना संकट



 वर्तमान में अगर कोई सबसे विश्वसनीय माध्यम बनकर उभरा है तो वह प्रिंट माध्यम है प्रिंट माध्यम की खबरों में संपादन और लेखन का पर्याप्त समय मिल जाता है जिससे खबरों तथ्यों की पुष्टि की जा सकती है हम कह सकते हैं कि इस दौर में जो भी खबरें प्रिंट माध्यम से आ रही है अधिक विश्वसनीय हैं स्थानीय खबरों के लिए सूचनाओं के लिए प्रिंट मीडिया संकट  संकट में संचार के सशक्त माध्यम के रूप में उभरा है



 कोरोना काल में जनसंपर्क की चुनौतियां और   महत्व



एक ओर जान का संकट है दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था हिली है प्रवासी मजदूर जहां जिंदगी रोटी रोजी रोटी के लिए तरस के पैदल चलकर अपने गांव पर जाने को मजबूर है वहीं घरों में बैठे   मानसिक चुनौतियां आरती चुनौतियां का सामना कर रहे हैं ऐसे में ज्ञान और उपदेश उपदेश कितना समझ आएगा यह एक दुष्कर प्रश्न है जनसंपर्क कीजिए हम सही जानकारी एक दूसरे को दे सकते हैं चुनौतियों को साझा कर सकते हैं आपसी बहस और विवादों को सुलझा सकते हैं  कोरोना के संकट काल में सभी जनसंपर्क और सटीक जानकारी हमें सुरक्षित कर सकती हैं संकट काल में जनसंपर्क का बहुत महत्व है 





 Dr Sadhana Srivastava assistant professor journalism and Mass Communication



UPRTOU prayagraj, U. P


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