Tuesday, July 7, 2020

Education

पुराने अध्यापक को प्रशासन ने बदल दिया था।कक्षा में उदासी का वातावरण था, बच्चे चुप थे। किसी का पढ़ने में मन नहीं लग रहा था। उन्हें लगा नये अध्यापक भी पढ़ाने को नहीं आयेगे। आचनक शोर शांत हो गया।
अध्यापक क्लास में थे उन्होने तेजस्वी आवाज में कहा-‘‘शिक्षा समाज के सामाजिक आर्थिक विकास के लिये बहुत जरूरी है।इस बात का गवाह इतिहास है।शिक्षा का मुख्य लक्ष्य छात्रों को सामाजिक आर्थिक रूप से सक्षम बनाना है।शिक्षकों को अपने दायित्व का निवार्हन करना चाहिये,बिना किसी भेदभाव के स्वार्थरहित हो कर सभी छात्रों को पढ़ाना चाहिये और उनकी ज्ञान की क्षमता को विकसित करना चाहिये। अपने लक्ष्य निर्धारित करे सफलता जरूर मिलेगी।
बच्चे शांति से सुन रहे थे एक ने कहा-‘‘क्या फायदा नौकरी तो मिलनी नहीं मेरे भाई साहब तो बहुत पढ़े लिखे है लेकिन बेरोजगार है।‘‘
दूसरे ने कहा -‘‘बिल्कुल सही नौकरी तो परिचय वालो और पैसों वालो को मिलती है।‘‘
अध्यापक -‘‘आज के समाज को विकास लिये कपड़े,घर,कार या अन्य सुख सुविधाओं से ज्यादा आवश्यकता शि़क्षा की आवश्यकता है,इससे आत्मविश्वास आता है।अगर सभी अपना लक्ष्य लेकर चलें जिन्दगी की चुनौतियों से ना डर नहीं बल्कि अपनी आलोचना सुनते हुये,कठिन परिश्रम से आगे बढ़ते रहे तो सफलता अवश्य मिलेगी है।‘‘
उनके अच्छे से पढ़ाने से क्लास का रिजल्ट अच्छा आया । लेकिन अगले साल उनके स्थान पर किसी और को नौकरी मिल गयी। कुछ बच्चे उदास थे तो कुछ उपहास से देख रहे थे ।
परन्तु अध्यापक निराश नहीं था क्योकि उसे यकीन था कि जीवन भर सीखना ,प्रेरणादायक सपने और आंतरिक आत्मविश्वास शिक्षा से ही आता है जो आपके और आपके परिवार के सपनों को पूरा कर सकते है। अपनी शिक्षा और डिग्रीयों के साथ नये सफर को वह एक बार फिर तैयार था।
डॉ साधना श्रीवास्तव

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