Monday, July 13, 2020

Lockdown story-1 कुबेर का खजाना

स्टोरी -१

                        कुबेर का खजाना


शाम को चाय का कप लेकर बैठे रागिनी और सुमित डूबते सूरज को देख रहे थे

आज दिन भर के काम से लैपटॉप पर बैठे-बैठे सुमित के सिर में दर्द हो गया था ऐसे में रागनी की हाथों की कड़क चाय सुमित को बहुत आराम दे दी एक चाय की प्याली में सुमित की सारी चिंताएं दूर कर दी थी,
रागिनी एक समझदार पत्नी मां के साथ-साथ शहर के एक प्रतिष्ठित स्कूल स्कूल की शिक्षिका शिक्षिका थी तो वही सुमित सॉफ्टवेयर कंपनी में इंजीनियर उन दोनों के सुखी परिवार को कोरोना की जैसे नजर सी लग गई थी एक और जहां बेटे वैभव के अच्छे स्कूल में पढ़ाने की फीस की चिंता थी तो वहीं दूसरी ओर सुमित की कंपनी ने सुमित के ऊपर काम का बहुत ज्यादा डाल दिया था और आर्थिक संकट बताकर सैलरी आधी कर दी थी ऐसे में रोशनी की ऑनलाइन क्लासेस से होने वाली कमाई से थोड़ा सहारा था,


रागिनी ने सुमित से धीरे से पूछा सुमित क्या आपके पास अभी ₹5000 हैं

इतने पैसों का क्या करोगी अभी तो करो ना कल चल रहा है तुम्हें तो पता ही है की पैसों की कितनी दिक्कत है थोड़ा हाथ दबा कर चलो

रागिनी ने कहा मुझे अपने लिए नहीं चाहिए वह जो काम वाली शीला ताई है उनको देना है

शीला ताई देना है क्यों वह तो काम पर भी नहीं आ रही है और तुमने उनके वेतन भी बिना नाम के ना आए दे दिया है फिर अब क्यों इतने पैसे


रागिनी ने संकोच से कहा शीला ताई को स्मार्टफोन लेना है

सुमित को गुस्सा आ गया यहां खाने और जान के संकट पड़े हैं और शीला तारीख को स्मार्टफोन लेना है और तुम्हें क्या लगता है हम लोग कुबेर का खजाना रखे हैं

रागिनी ने संकोच से कहा ऐसा नहीं है मैं भी समझती हूं हमारा वैभव तो ऑनलाइन पढ़ाई कर ले रहा है लेकिन शीला ताई बेचारी इतनी गरीब है कि अपनी बेटी को जैसे-तैसे पढ़ा रही थी अब ऐसे में उनकी बेटी ऑनलाइन कैसे पड़ेगी उनके पास तो पुराना मोबाइल है

सुमित सोच में पड़ गया हां बात तो सही है लेकिन हम भी क्या करें तुम्हें तो पता है पैसों की आर्थिक दिक्कत

तो अब आप बताएं कि अगर आप सुमित रागनी की जगह होते तो शीला ताई की मदद कैसे कर पाते और शीला ताई की बेटी जैसी उन हजारों लोगों को कैसे ऑनलाइन शिक्षा से जोड़ पाते... 


 Dr sadhana Srivastava

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