Tuesday, July 7, 2020

Poem - shiva

 कण-कण में बसते हैं शिव
जन-जन को रचते हैं
शिव मनोकामना पूरी करते हैं
शिव सृजन भी करते हैं विध्वंस भी करते हैं 
विष्णु ने पूजा ब्रह्मा ने पूजा
सभी देवी देवताओं के वंदनीय है शिव
ना महलों में बसते हैं ना भवनों में बसते हैं
शिव क्या करूं कैसे करूं
 प्रशन प्रसन्न उनको जो जग के हैं
स्वामी उनको क्या करूं अर्पण और समर्पण
शिव को कंदमूल भी हैै प्रिय
तप कर्म समर्पण में निष्ठा
छल कपट से .परे हैं शिव
शिव सच्ची श्रद्धा है शिव
बहुत ही भोले हैं शिव
मानवता में बसते हैं शिव
शिव को पूजना है तो मानवता की सेवा
प्रकृति की सेवा
जीवन के मूल को समझना ही सच्ची श्रद्धा है सिर्फ कण-कण में बसते हैं सब जन जन को रचते हैं शिव
 डॉ साधना श्रीवास्तव

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