Tuesday, July 7, 2020

Poem rule of lockdown

 मन डरा डरा सा है हौसला गिरा गिरा सा है क्यों नहीं निभा रहे लोग नियमों को
  क्यों मौत से लोग आंखें निभाने को है तैयार हालात इतने बिगड़ रहे फिर भी नहीं लोग संभल रहे
कोई अर्थव्यवस्था संभाल रहा
तो कोई लॉक डॉन के नियमों की अनदेखी
मन डरा डरा सा है हौसला गिरा गिरा सा है
हम तो सब निभा लेंगे पर क्या सब यह कर ले जाएंगे ए दोस्तों जिंदगी है तो. सब कर लेंगे
थोड़ा तो इस तनाव कम करो थोड़ा तो वक्त की नजाकत को समझो तुम
थोड़ा तो हालातों को जानो
तुम थोड़ा तो हकीकत को पहचानो तुम
काम जो रूके रूके से हैं
सिर्फ तेरे ही नहीं वह सबके हैं जिंदगी होगी
तो सब संभाल लेंगे पर अभी जिंदगी तो बचा लो ऐ मेरे दोस्त लौट डाउन के नियमों को निभा लो
मत करो आपसी बहस मत करो आपसी संघर्ष
कुछ पल बैठो सुकून से कुछ पल तो अपने घर में
बिता लो मन डरा डरा सा है हौसला गिरा गिरा से है के नियमों को निभा लीजिए
डॉ साधना श्रीवास्तव

No comments:

Post a Comment