वह लड़की
बहुत छोटी सी लड़की
जिसकी आंखों में नहीं हाथों में था पानी
हर राही से पूछ रही थी वह स्टेशन पर पानी बेच रही थी
थी नन्ही सी खुद भी जो प्यासी
फिर भी कर्म पथ की अनुरागी
कड़ी तपती धूप बड़ी थी
फिर भी जीवन से हार न मानी
उसके नन्हे बनने पर तो जलते थे
पर तो जलते थे पर हाथ तो सब की प्यास मिटाते
वही बगल में एक भिखारी मांगे भी
जिसको नन्ही लड़की दे गई थी सीख
लगन अगर सच्ची हो तो कुछ भी कर सकती है नन्ही सी बच्ची बूंद बूंद सब की प्यास मिटा दें कितनी मेहनत वह करती थी
हाल देख कर जग को सारे मेरी आंखो में आ गया था पानी
वह नन्ही सी लड़की पानी को बेच रही थी
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