Siyapa Zindgi ka--,,😂🤣सबके किस्से अपने अपने
जिंदगी का कुल मिलाकर सियापा चल रहा है,,
अजी सिर्फ मेरा ही नहीं सबकी ज़िन्दगी में अच्छे से मूड की बैंड बजी है ,
क्यों आपको क्या लग रहा है मैं क्या गलत कह रही हूं कुछ को हंसी आ रही होगी अब कुछ कहेंगे बिल्कुल सही बात,,
चारों और korona का आतंक छाया है और लोग गली गोलगप्पे के नुक्कड़ पर ऐसे गोलगप्पे और बतासे खा रहे हैं कुछ दिनों पहले तो बिना मास्क के बहादुरी दिखा रहे हैं वाह वाह क्या बात है इनको ही मेडल मिलना है इनकी बहादुरी की सजा दूसरे भुगत रहे हैं
चलो कुछ तो गनीमत है कि कुछ ज्ञानी लोग भी बीच में ज्ञान देकर समझदारी का काम कर रहे हैं
और दुसरी आफत मचा दी है इन ज्ञानियों ने भी जिंदगी का सियापा करने में इन न्यूज़ चैनल और सोशल मीडिया वालों की भी कोई कमी नहीं है जिसे देखो व्हाट्सएप पर और सोशल मीडिया पर ऐसे ज्ञान प्रवचन दे रहा है जैसे वही सब ज्ञानी है हमें तो कुछ आता ही नहीं
चलो इतना तो चल जा रहा है अब न्यूज़ चैनल वालों की भी क्या कहें और जान पर खेलकर रिपोर्टिंग कर रहे हैं अब कोरोना काल में संकट झेल रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर किसी एक न्यूज़ की ऐसे बार बार सुना रहे हैं चिल्ला चिल्ला कर बता रहे हैं ,बंद कर दो न्यूज़ चैनल नहीं तो और मन दुखी हो जाएगा एक ही न्यूज़ पर इतनी चर्चा और कई महत्वपूर्ण मुद्दों की अनदेखी
अब मैं भी मीडिया से हूं तो मीडिया वालों का दर्द भी समझती हूं इसलिए ज्यादा नहीं कहूंगी बस इतना ही कहूंगी कि मीडिया के समझदार लोगों को भी दुनिया का दर्द समझना चाहिए अब थोड़ी तो सकारात्मक समाचार दिखानी चाहिए जैसे कि बीच-बीच में दिखाते हैं,,
कभी-कभी तो किसी न्यूज़ पर इतना अटक जाते हैं कि ऐसा लगता है दुनिया में और कोई घटना घटी नहीं है पर मीडिया की भविष्यवाणी से जरूर घट जाएगी,
देश की सुरक्षा पर भी ऐसी ऐसी बातें बता देते हैं जो उन्हें नहीं बतानी चाहिए अरे गोपनीयता नाम की कोई चीज होती है
चलिए बेचारे मीडिया वालों के दर्द पर तो हम फिर कभी चिंता करेंगे
अभी तो बात कर रहे हैं अपनी जिंदगी में चलने वाले सियापे अरे शायद आपकी ज़िंदगी में भी आपकी ज़िंदगी चल रहा सोचा थोड़ा बैठ कर बात कर ले और कुछ समाधान निकाल ले,
क्या बताएं ऐसा समय है कि क्या नेता क्या जनता क्या प्रशासन और क्या सरकारें सब उलझे हैं
अरे शांति से मिल बैठकर बात कर ले तो शायद कुछ समाधान भी निकल आए पर यहां तो सबको ज्ञान चंद्र बनना है और ज्ञान बांटना है हल्की-फुल्की बात तो कोई करना ही नहीं चाहेगा सब एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल कर अपनी गलतियों पर पल्ला झाड़ते है
सोशल मीडिया के तो जलवे ही क्या है एक और तो कुछ लोग बहुत अच्छा भी कर रहे हैं पर ज्यादातर फेक न्यूज़ और योद्धाओं का तमगा तो सोशल मीडिया वालों को ही मिलना मिलना चाहिए,
सोशल मीडिया पर भड़ास निकालना और कुछ भी कह देना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर ऐसी अफरा-तफरी korona काल में ही देखने को मिली है पहले भी थी लेकिन आजकल कुछ ज्यादा ही हो गई है सबको कुछ न कुछ करना है
और जो बेचारे असली कोरोना के वीर योद्धा हैै, उनको शत-शत नमन और जितना भी प्रणाम करें कम है उनकी वजह से ही थोड़ा हंस बोल लेते हैं और सुकून की सांसे ले लेते हैं ऐसे वीर कर योद्धाओं के सम्मान में जो भी कहा जाए कम है वही है जो धरती के भगवान हैं इस वक्त चाहे वह सफाई कर्मी हूं चाहे डॉक्टरों नर्सों या फिर कोई भी ऐसा इंसान जो इस में दूसरे के लिए कुछ कर पा रहा है थोड़ा सा समाज में सकारात्मक सहयोग फैला रहा है
बस उनकी वजह से ही बची है और सांसे रुकी है नहीं तो इतनी नकारात्मकता है और जिंदगी के इतने सियापे पर चल रहे हैं कि फेक न्यूज़ वालों ने और भ्रष्टाचारियों ने तो अति कर कर रखी है
साइबर क्राइम बढ़ गया है फोन पर क्राइम होने लगे हैं बहुत मजबूरियां बढ़ रही है और korona तो इस गति से बढ़ रहा है कि क्या कहा जाए जब सब बंद होना चाहिए था तो सब खुल गया है
कभी-कभी तो इतनी घबराहट बेचैनी होती है ऐसा लगता है महाभारत का युद्ध कोई नहीं चाहता था लेकिन अब युद्ध शुरू हो चुका है और आपको हाथ पे हाथ रख के बस उस इलाके का नाम और इंसान की खबर जानी है जिसे korona हो गया ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था और आम आदमी की जेब दोनों की हालत ऐसी हो रही है जिंदगी बदल हो रही है जहां एक और जिंदगी का रिस्क है वहीं दूसरी ओर आर्थिक स्थिति में नौकरी के संकट ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया
और जनाब अगर आपने इससे पहले मेरा हास्य व्यंग समाज का हिस्सा सुना होगा तो आपको तो पता ही होगा कि यह जो समाज के वीर योद्धा है जिनका काम दूसरे की जिंदगी में घुसपैठ करना होता है जबरदस्ती की सलाह और ज्ञान देना होता है उनकी सूचनाओं की त्राहि-त्राहि और अधिकता से क्या बताएं जेब के साथ-साथ दिमाग की हालत खराब हो गई है
सूचनाओं की इतनी अधिकता हो गई है कि अब तो अच्छी बात भी थका देती है वेबिनार की अधिकता और ऑनलाइन क्लासेस का जोर जहां एक और शिक्षक परेशान है वही बच्चे भी हैरान है लेकिन जीवन का एकमात्र सहारा और ज्ञान का रास्ता यही बचा भी है ऐसे में korona की स्थितियां
सिर्फ शरीर पर ही नहीं मन पर बुरा प्रभाव डाल रही है
बातें तो बहुत सारी है पर लंबी हो रही है सिर्फ हम ही कहे यह तो सही नहीं ना आप भी कुछ कहे
कैसा लगा मेरी ज़िन्दगी का सीयापा
अभी तो बहुत से सियापे पर चर्चा बाकी है
प्रतियोगी छात्र के जीवन का संकट
अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने की चुनौती
और रोजगार की चिंता
लोगों की चिंता
प्यार की कमी और
परिवारों की चिंता
घरों में रहते रहते घटने वाली घटनाओं और घरेलू हिंसा के सियापे
ऑफिस में वर्क फ्रॉम होम के नाम पर होने वाले
दोस्तों से ना मिल पाने
और परिवार से दूर रहने के सियापे
अपने प्यार को ना समझ पाने
अकेलेपन के रहने के साथ सबके साथ होने वाले सियापे
आप क्या कहना चाहेंगे
आपको क्या लगता सियापो के बारे में
आपका आभार और प्यार
मेरी कोई बात बुरी लगी हो तो क्षमा
सोचा मिल बैठकर कुछ समाधान निकालेंगे
अपने दिल की अगर आपको कुछ बुरी लगी हो तो सॉरी
और आप भी कुछ बताइए कैसे हो सकता है समाधान
जिंदगी का कुल मिलाकर सियापा चल रहा है,,
अजी सिर्फ मेरा ही नहीं सबकी ज़िन्दगी में अच्छे से मूड की बैंड बजी है ,
क्यों आपको क्या लग रहा है मैं क्या गलत कह रही हूं कुछ को हंसी आ रही होगी अब कुछ कहेंगे बिल्कुल सही बात,,
चारों और korona का आतंक छाया है और लोग गली गोलगप्पे के नुक्कड़ पर ऐसे गोलगप्पे और बतासे खा रहे हैं कुछ दिनों पहले तो बिना मास्क के बहादुरी दिखा रहे हैं वाह वाह क्या बात है इनको ही मेडल मिलना है इनकी बहादुरी की सजा दूसरे भुगत रहे हैं
चलो कुछ तो गनीमत है कि कुछ ज्ञानी लोग भी बीच में ज्ञान देकर समझदारी का काम कर रहे हैं
और दुसरी आफत मचा दी है इन ज्ञानियों ने भी जिंदगी का सियापा करने में इन न्यूज़ चैनल और सोशल मीडिया वालों की भी कोई कमी नहीं है जिसे देखो व्हाट्सएप पर और सोशल मीडिया पर ऐसे ज्ञान प्रवचन दे रहा है जैसे वही सब ज्ञानी है हमें तो कुछ आता ही नहीं
चलो इतना तो चल जा रहा है अब न्यूज़ चैनल वालों की भी क्या कहें और जान पर खेलकर रिपोर्टिंग कर रहे हैं अब कोरोना काल में संकट झेल रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर किसी एक न्यूज़ की ऐसे बार बार सुना रहे हैं चिल्ला चिल्ला कर बता रहे हैं ,बंद कर दो न्यूज़ चैनल नहीं तो और मन दुखी हो जाएगा एक ही न्यूज़ पर इतनी चर्चा और कई महत्वपूर्ण मुद्दों की अनदेखी
अब मैं भी मीडिया से हूं तो मीडिया वालों का दर्द भी समझती हूं इसलिए ज्यादा नहीं कहूंगी बस इतना ही कहूंगी कि मीडिया के समझदार लोगों को भी दुनिया का दर्द समझना चाहिए अब थोड़ी तो सकारात्मक समाचार दिखानी चाहिए जैसे कि बीच-बीच में दिखाते हैं,,
कभी-कभी तो किसी न्यूज़ पर इतना अटक जाते हैं कि ऐसा लगता है दुनिया में और कोई घटना घटी नहीं है पर मीडिया की भविष्यवाणी से जरूर घट जाएगी,
देश की सुरक्षा पर भी ऐसी ऐसी बातें बता देते हैं जो उन्हें नहीं बतानी चाहिए अरे गोपनीयता नाम की कोई चीज होती है
चलिए बेचारे मीडिया वालों के दर्द पर तो हम फिर कभी चिंता करेंगे
अभी तो बात कर रहे हैं अपनी जिंदगी में चलने वाले सियापे अरे शायद आपकी ज़िंदगी में भी आपकी ज़िंदगी चल रहा सोचा थोड़ा बैठ कर बात कर ले और कुछ समाधान निकाल ले,
क्या बताएं ऐसा समय है कि क्या नेता क्या जनता क्या प्रशासन और क्या सरकारें सब उलझे हैं
अरे शांति से मिल बैठकर बात कर ले तो शायद कुछ समाधान भी निकल आए पर यहां तो सबको ज्ञान चंद्र बनना है और ज्ञान बांटना है हल्की-फुल्की बात तो कोई करना ही नहीं चाहेगा सब एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल कर अपनी गलतियों पर पल्ला झाड़ते है
सोशल मीडिया के तो जलवे ही क्या है एक और तो कुछ लोग बहुत अच्छा भी कर रहे हैं पर ज्यादातर फेक न्यूज़ और योद्धाओं का तमगा तो सोशल मीडिया वालों को ही मिलना मिलना चाहिए,
सोशल मीडिया पर भड़ास निकालना और कुछ भी कह देना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर ऐसी अफरा-तफरी korona काल में ही देखने को मिली है पहले भी थी लेकिन आजकल कुछ ज्यादा ही हो गई है सबको कुछ न कुछ करना है
और जो बेचारे असली कोरोना के वीर योद्धा हैै, उनको शत-शत नमन और जितना भी प्रणाम करें कम है उनकी वजह से ही थोड़ा हंस बोल लेते हैं और सुकून की सांसे ले लेते हैं ऐसे वीर कर योद्धाओं के सम्मान में जो भी कहा जाए कम है वही है जो धरती के भगवान हैं इस वक्त चाहे वह सफाई कर्मी हूं चाहे डॉक्टरों नर्सों या फिर कोई भी ऐसा इंसान जो इस में दूसरे के लिए कुछ कर पा रहा है थोड़ा सा समाज में सकारात्मक सहयोग फैला रहा है
बस उनकी वजह से ही बची है और सांसे रुकी है नहीं तो इतनी नकारात्मकता है और जिंदगी के इतने सियापे पर चल रहे हैं कि फेक न्यूज़ वालों ने और भ्रष्टाचारियों ने तो अति कर कर रखी है
साइबर क्राइम बढ़ गया है फोन पर क्राइम होने लगे हैं बहुत मजबूरियां बढ़ रही है और korona तो इस गति से बढ़ रहा है कि क्या कहा जाए जब सब बंद होना चाहिए था तो सब खुल गया है
कभी-कभी तो इतनी घबराहट बेचैनी होती है ऐसा लगता है महाभारत का युद्ध कोई नहीं चाहता था लेकिन अब युद्ध शुरू हो चुका है और आपको हाथ पे हाथ रख के बस उस इलाके का नाम और इंसान की खबर जानी है जिसे korona हो गया ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था और आम आदमी की जेब दोनों की हालत ऐसी हो रही है जिंदगी बदल हो रही है जहां एक और जिंदगी का रिस्क है वहीं दूसरी ओर आर्थिक स्थिति में नौकरी के संकट ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया
और जनाब अगर आपने इससे पहले मेरा हास्य व्यंग समाज का हिस्सा सुना होगा तो आपको तो पता ही होगा कि यह जो समाज के वीर योद्धा है जिनका काम दूसरे की जिंदगी में घुसपैठ करना होता है जबरदस्ती की सलाह और ज्ञान देना होता है उनकी सूचनाओं की त्राहि-त्राहि और अधिकता से क्या बताएं जेब के साथ-साथ दिमाग की हालत खराब हो गई है
सूचनाओं की इतनी अधिकता हो गई है कि अब तो अच्छी बात भी थका देती है वेबिनार की अधिकता और ऑनलाइन क्लासेस का जोर जहां एक और शिक्षक परेशान है वही बच्चे भी हैरान है लेकिन जीवन का एकमात्र सहारा और ज्ञान का रास्ता यही बचा भी है ऐसे में korona की स्थितियां
सिर्फ शरीर पर ही नहीं मन पर बुरा प्रभाव डाल रही है
बातें तो बहुत सारी है पर लंबी हो रही है सिर्फ हम ही कहे यह तो सही नहीं ना आप भी कुछ कहे
कैसा लगा मेरी ज़िन्दगी का सीयापा
अभी तो बहुत से सियापे पर चर्चा बाकी है
प्रतियोगी छात्र के जीवन का संकट
अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने की चुनौती
और रोजगार की चिंता
लोगों की चिंता
प्यार की कमी और
परिवारों की चिंता
घरों में रहते रहते घटने वाली घटनाओं और घरेलू हिंसा के सियापे
ऑफिस में वर्क फ्रॉम होम के नाम पर होने वाले
दोस्तों से ना मिल पाने
और परिवार से दूर रहने के सियापे
अपने प्यार को ना समझ पाने
अकेलेपन के रहने के साथ सबके साथ होने वाले सियापे
आप क्या कहना चाहेंगे
आपको क्या लगता सियापो के बारे में
आपका आभार और प्यार
मेरी कोई बात बुरी लगी हो तो क्षमा
सोचा मिल बैठकर कुछ समाधान निकालेंगे
अपने दिल की अगर आपको कुछ बुरी लगी हो तो सॉरी
और आप भी कुछ बताइए कैसे हो सकता है समाधान
Well said Ma'am
ReplyDeleteThanks sir
ReplyDeleteShaandaar abhivakti
ReplyDeleteThanks sir
ReplyDeleteसही कहा मैम इसके अलावा कुछ सकरात्मकता भी है मसलन जो किताबो से दूर हो गए थे उनके पास अध्ययन का प्रयाप्त मौका है इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में अपनों के साथ समय बिताने का प्रयाप्त अवसर है बच्चों के साथ खेलकर अपना बचपना पुनः पाने का अवसर है और सबसे बड़ी बात हम मनुष्य है यह जानने का सबसे बड़ा अवसर है ।जिसतरह हम अपने निजी स्वार्थवश प्रकृति का अंधाधुंध दोहन कर रहे अपने आप को खाद्य श्रंखला में सबसे बड़े होने के गुमान में थे इस बीमारी ने हमे एहसास करा दिया है कि हम प्रकृति से बड़े नही है ।रही बात मीडिया की तो यह आप और हमसे बेहतर कौन जानता है आज के वैश्विक बाजार के दौर में मीडिया घरानो के लिए यह सर्वोत्तम वयवसाय है आज इनको रिपोर्टर की आवश्यकता नही वरन एक लाईजनर कि आवश्यकता है ऐसे में उनसे सवेदनशील खबरों की सामाजिक सरोकार से जुड़ी खबरों की उम्मीद करना बेमानी होगी।समाचार चैनल भी फिल्मी मसालों की तरह ही अपना न्यूज़ सेगमेंट बनाते है मसलन सनसनी ,रहस्य,रोमांच,फंतासी और प्राइम टाइम में दो तीन पार्टियों के प्रवक्ताओं को बिठाकर बहस के नाम पर मुर्गा लड़ाने का खेल होता है ऐसे में इनसे गम्भीर मसले पर गम्भीरता से चर्चा की उम्मीद न करे।और अगर आप अपने जीवन मे सकून चाहते है तो समाचार चैनलों से दूर रहकर अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाये।अगर ज्यादा लिख दिया तो क्षमा प्राथी
ReplyDeleteसही कहा मैम इसके अलावा कुछ सकरात्मकता भी है मसलन जो किताबो से दूर हो गए थे उनके पास अध्ययन का प्रयाप्त मौका है इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में अपनों के साथ समय बिताने का प्रयाप्त अवसर है बच्चों के साथ खेलकर अपना बचपना पुनः पाने का अवसर है और सबसे बड़ी बात हम मनुष्य है यह जानने का सबसे बड़ा अवसर है ।जिसतरह हम अपने निजी स्वार्थवश प्रकृति का अंधाधुंध दोहन कर रहे अपने आप को खाद्य श्रंखला में सबसे बड़े होने के गुमान में थे इस बीमारी ने हमे एहसास करा दिया है कि हम प्रकृति से बड़े नही है ।रही बात मीडिया की तो यह आप और हमसे बेहतर कौन जानता है आज के वैश्विक बाजार के दौर में मीडिया घरानो के लिए यह सर्वोत्तम वयवसाय है आज इनको रिपोर्टर की आवश्यकता नही वरन एक लाईजनर कि आवश्यकता है ऐसे में उनसे सवेदनशील खबरों की सामाजिक सरोकार से जुड़ी खबरों की उम्मीद करना बेमानी होगी।समाचार चैनल भी फिल्मी मसालों की तरह ही अपना न्यूज़ सेगमेंट बनाते है मसलन सनसनी ,रहस्य,रोमांच,फंतासी और प्राइम टाइम में दो तीन पार्टियों के प्रवक्ताओं को बिठाकर बहस के नाम पर मुर्गा लड़ाने का खेल होता है ऐसे में इनसे गम्भीर मसले पर गम्भीरता से चर्चा की उम्मीद न करे।और अगर आप अपने जीवन मे सकून चाहते है तो समाचार चैनलों से दूर रहकर अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाये।अगर ज्यादा लिख दिया तो क्षमा प्राथी
ReplyDeleteThanks...
ReplyDeleteAp sab comments ke sath apna parichay dege to achaa lagega..aur charcha aage ki jayegi
Zindgi के सीयापे काम हो तनाव दूर हो यही जरूरी है
सकारात्मक ऊर्जा बहुत जरूरी
सर्वेश त्रिपाठी
DeleteThanks...
ReplyDeleteAp sab comments ke sath apna parichay dege to achaa lagega..aur charcha aage ki jayegi
Zindgi के सीयापे काम हो तनाव दूर हो यही जरूरी है
सकारात्मक ऊर्जा बहुत जरूरी